साकेत मिश्रा की रिर्पोट
कांडी/गढ़वा: कांडी में किसानों के खेत से बरसात के पानी का निकास नहीं होने के कारण कांडी एवं मझिआंव प्रखंड क्षेत्र के लगभग दो दर्जन से अधिक किसानों का जमीन जलमग्न हो चुका है।
जिससे सैकड़ो से अधिक परिवारों के आजीविका पर गहरा संकट उत्पन्न हो गया है। यह मामला कांडी प्रखंड क्षेत्र के भंडरिया एवं मझिआंव प्रखंड क्षेत्र के मोरबे गाँव का है। जहां अवधेश प्रसाद सिंह, सुरेश प्रसाद सिंह, महेंद्र सिंह , राजेंद्र सिंह, प्रभु सिंह, मंगरु रजवार, नंदलाल रजवार, बिरजू रजवार, मनोज राम, प्रवेश राम, कामेश्वर सिंह, रामेश्वर सिंह, रामयश सिंह, रामप्रवेश सिंह, सागर राम, विनय राम, संतोष सिंह, रणजीत सिंह, अजीत सिंह, अनूप सिंह सहित अन्य किसानों का जमीन डुब जाने से लगाया हुआ धान का फसल डुब कर बर्बाद हो चुका है। वहीं इस संबंध में जानकारी देते हुए सुरेश प्रसाद सिंह, रामयश सिंह, प्रभु सिंह, अनुप सिंह सहित अन्य किसानों ने बताया कि मोहम्मद गंज - भंडरिया भीम बराज से निकली बांई नहर और सड़क के निमार्ण के दौरान पानी निकास नहीं बनाए जाने के कारण हम सभी लगभग दो दर्जन किसानों का लगभग 22 एकड़ जमीन डुब चुका है। जिसमें इस वर्ष पहली बरसात में ही अधिक लोगों का धान का बिजडा़ डुब कर सड़ गया। वहीं कुछ लोगों ने किसी तरह धान का फसल लगाया वो डुब कर नष्ट हो गया। किसानों ने कहा कि इस जमीन से दर्जनों बंटाईदारों एवं किसानों के परिवारों का आजीविका है जो इस वर्ष फसल नहीं होने से लोगों में गहरा संकट उत्पन्न हो गया है।
साथ ही बताया कि अधिक पानी भरने पर कई लोगों के घर भी डूबने का खतरा बना रहता है। वहीं पानी का उचित निकाश नहीं बनाए जाने के कारण सभी किसान चिंतित हैं। किसानों ने बताया कि इस खेत से हम सबों का आजीविका चलता है जो पूरी तरह खेत डूब चुका है इससे हम सभी किसानों का संकट गहरा गया है। वहीं रामयश सिंह, सुरेश सिंह, महेंद्र सिंह, प्रभु सिंह, मंगरु रजवार ने कहा कि इधर लगातार हो रही बारिश के कारण खेत का पानी सुख नहीं रहा है जिससे गेहूं का भी फसल नहीं लगने का उम्मीद लग रहा है। साथ ही किसानों ने कहा कि जिला उपायुक्त जब बाढ़ क्षेत्र का दौरा करने आए उस समय भी शिकायत की गई लेकिन जिला प्रशासन के द्वारा भी अभी तक इसका कोई निवारण नहीं किया गया है। किसानों ने कहा कि अगर पानी निकास नहीं बनवाया जाएगा तो हम सब किसानों को प्रति वर्ष भारी नुकसान उठाना पड़ेगा और काफी परिवार दैनिय स्थिति में जीने को मजबूर हैं।
