गढ़वा से विकास कुमार की रिपोर्ट
दुलदुलवा को नशामुक्त बनाने के लिए एसडीएम ने दिलाया संकल्प
पदाधिकारियों के साथ दुलदुलवा पहुंचे एसडीएम, किया जनसंवाद
गांव के 200 से अधिक ग्रामीणों ने अवैध शराब कारोबार रोकने के लिये किया मंथन
मदर्स डे पर गांव की माताओं को शराब मुक्ति अभियान का सौंपा गया नेतृत्व
शराब के कलंक से मुक्त कराने के लिए एसडीएम ने दुलदुलवा को लिया गोद
गढ़वा। पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के तहत सदर अनुमंडल पदाधिकारी संजय कुमार ने रविवार को प्रखंड एवं पंचायत स्तरीय पदाधिकारियों /कर्मियों के साथ दुलदुलवा पंचायत भवन पहुंचकर यहां के लगभग 200 ग्रामीणों के साथ शराब मुक्त गांव की दिशा में आवश्यक मंथन किया। इस दौरान न केवल अवैध शराब कारोबार से जुड़े परिवारों और देशी महुआ शराब पीने के आदी लोगों की काउंसलिंग की गई बल्कि गांव के ऐसे लोगों के विचार भी लिए गए जो अवैध शराब पर प्रभावी रोकथाम के पक्षधर हैं। अनुमंडल पदाधिकारी के साथ एसडीपीओ नीरज कुमार, मेराल अंचल अधिकारी यशवंत नायक, जेएसएलपीएस के डीपीएम विमलेश शुक्ला, मुखिया राम प्रताप शाह आदि के अलावा प्रखंड कल्याण पदाधिकारी, प्रखंड कार्यक्रम समन्वयक, प्रखंड उद्यम समन्वयक, पंचायत सेवक, रोजगार सेवक आदि ने भी कई कल्याणकारी योजनाओं के बारे में विस्तार से ग्रामीणों के बीच जानकारी साझा की।
शराब के कलंक से गांव को छुटकारा दिलाने का संकल्प
लगभग तीन घंटे चली विमर्श बैठक में अनुमंडल पदाधिकारी तथा अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी उपस्थित ग्रामीणों को समझाते हुए कहा कि अभी दुलदुलवा गांव का नाम अवैध शराब कारोबार के साथ जोड़ा जाता है, गढ़वा एवं आसपास के कई इलाकों में इस गांव से अवैध शराब की आपूर्ति की जाती है, इससे न केवल यहां के लोगों का भविष्य खराब हो रहा है बल्कि आसपास के इलाकों में विधि व्यवस्था की समस्या उत्पन्न करने तथा लाखों लोगों की परेशानी का कारण बनने में भी दुलदुलवा के लोग प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष रूप से शामिल है। अभी पिछले 15-20 सालों से इस गांव का नाम साथ अवैध शराब के लिए जाना जाता है, मगर अब गांव वाले चाहते हैं तो अपने गांव के सम्मान के लिए अपने अनैतिक आर्थिक लाभ का त्याग करते हुए इस धंधे को छोड़ें और गांव को शराब के कलंक से मुक्त करने के लिए आगे आयें। उन्होंने कहा कि शराब का व्यापार छोड़ने के बाद भी किसी परिवार के समक्ष आर्थिक संकट नहीं आने दिया जाएगा । इसके लिए सरकार की तमाम कल्याणकारी योजनाएं हैं जिनसे आच्छादित करने हेतु इस गांव पर विशेष रूप से प्राथमिकता से ध्यान दिया जायेगा। अनुमंडल पदाधिकारी ने कहा कि वे इस गांव के सर्वांगीण विकास और यहां के बच्चों के भविष्य को लेकर के लिए इस गांव को आज से गोद ले रहे हैं, वशर्ते यहां के लोग शराब से तौबा कर लें। उन्होंने कहा कि प्रशासन पूरी तरह से यहां के लोगों के पुनर्वासित करने की दिशा में पहल करेगा।
इच्छा शक्ति की जरूरत
संजय कुमार ने कहा कि गांव में अब तक जो अवैध शराब का धड़ल्ले से कारोबार होता आया है उसमें ग्रामीणों के अलावा बाहरी व्यवसायियों की भी सहभागिता रही होगी, किंतु नुकसान सिर्फ गांव वालों का हो रहा है। न केवल गांव का माहौल खराब हो रहा है, गांव के लोगों का स्वास्थ्य और शिक्षा भी प्रभावित हो रहे हैं। ऐसे में बाहरी लोगों के हित को नजर अंदाज कर इस गांव के लोगों को ही इच्छा शक्ति के साथ संकल्प लेना होगा कि वे आगे से अब इस अनैतिक व्यवसाय को नहीं करेंगे।
लोगों ने हाथ उठाकर लिया संकल्प
अनुमंडल पदाधिकारी एवं अन्य पदाधिकारियों की अपील पर कई ऐसे परिवारों ने भी हाथ उठाकर अवैध शराब नहीं बनाने का संकल्प लिया जो अब तक कई वर्षों से शराब का कारोबार कर रहे थे। उन्होंने कहा कि जब एसडीएम जैसे वरीय प्रशासनिक अधिकारी उनके गांव की इतना चिंता कर रहे हैं तो वे भी इस व्यवसाय को छोड़ने का संकल्प लेते हैं।
बेल का जंगल अपने आप में अद्वितीय, इसकी रक्षा करें : एसडीएम
संजय कुमार से अनुरोध किया कि उनके गांव के चारों ओर जो बेल के पेड़ों का जंगल है वह अपने आप में अनूठा है, ऐसा कहीं उदाहरण नहीं मिलता है जहां इतनी बड़ी मात्रा में सिर्फ बेल के औषधीय पेड़ लगे हों। किंतु छोटे लालच के चक्कर में लोग इन बेलों को काटकर शराब की भरट्टियों में जला दे रहे हैं जिससे बेल का जंगल खत्म होता जा रहा है। उन्होंने सभी से अनुरोध किया कि वह लोग इस जंगल के विनाशक नहीं बल्कि संरक्षक बनें।
महुआ शराब के कारण ही आते हैं हाथी
ग्रामीणों ने बैठक में पहुंचे अधिकारियों से समस्यायें साझा करते हुए कहा कि उनके गांव में खेती की समस्या इसलिए भी ज्यादा है क्योंकि हाथी आकर नुकसान पहुंचा जाते हैं। इस पर अधिकारियों ने उन्हें बताया कि इसके पीछे भी कहीं न कहीं शराब भी एक बड़ा कारण है, क्योंकि महुआ शराब की गंध पाकर हाथी आकर्षित होते हैं, और एक बार जब आना शुरू हो जाते हैं तो वे बार-बार उस क्षेत्र में आते हैं । इसलिए शराब निर्माण बंदी के बाद हो सकता है कि हाथियों का यहां आवागमन बंद हो जाए।
कल्याणकारी योजनाओं के बारे में दी गई जानकारी
अधिकारियों ने कहा कि अवैध शराब का काम छोड़ने के बाद भी उनके पास तमाम विकल्प मौजूद रहेंगे, उनके व्यवसाय करने के लिए या उनके कौशल संवर्धन के लिए सरकार की ओर से तमाम कल्याणकारी योजनाएं संचालित हैं। इन योजनाओं के बारे में मेराल सीओ, प्रखंड कल्याण पदाधिकारी, तथा प्रखंड उद्यम समन्वयक ने विस्तार से प्रकाश डाला और बताया कि अगर कोई परिवार व्यवसाय करना चाहता है तो उसको 25000 से लेकर 25 लाख रुपए तक की ऋण सहायता दी जाएगी। इसके अलावा पीएम विश्वकर्मा योजना, राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा योजना, पीएम किसान सम्मान योजना, केसीसी पशुधन योजना, फूलो झानो योजना आदि के बारे में भी विस्तार से जानकारी दी गई। ग्रामीणों ने बताया कि उनके गांव में बीमारी से भी लोग त्रस्त हैं इस पर उन्हें बताया गया कि वे आयुष्मान कार्ड के अलावा मुख्यमंत्री गंभीर रोग उपचार योजना का भी नियमानुसार लाभ प्राप्त कर सकते हैं।
महिला स्वयं सहायता समूह निभाएंगी सक्रिय भागीदारी
कार्यक्रम में मौजूद डीपीएम विमलेश शुक्ला ने बताया कि दुलदुलवा में 580 महिला स्वयं सहायता समूह कार्यरत है। उन्होंने कहा कि ये महिला समूह न केवल शराब मुक्ति की दिशा में अभिप्रेरक का काम करेंगे बल्कि शराब व्यवसाय छोड़ने के उपरांत वैकल्पिक व्यवसाय हेतु लोगों की काउंसलिंग एवं जानकारी देने का मुख्य माध्यम बनेंगे।
मदर्स डे पर माताओं से अपील
एसडीएम संजय कुमार सहित अन्य पदाधिकारियों ने उपस्थित महिलाओं को मदर्स डे की शुभकामनाएं दीं, साथ ही उनसे अपील की कि बच्चों के भविष्य की चिंता माताओं से ज्यादा कोई नहीं कर सकता है, इसलिए आज वे मदर्स डे पर संकल्प लें कि गांव के नौनिहाल बच्चों के सुरक्षित भविष्य के लिए अवैध शराब कारोबार की बंदी का संकल्प लें, उन्हें इस दिशा में महत्वपूर्ण जागरूकता अभियान का नेतृत्व करने के लिए तैयार हो जाना चाहिए।
बड़े-बड़े आंदोलनों की शुरुआत महिलाओं ने ही की है
एसडीपीओ नीरज कुमार ने कहा कि बड़े-बड़े सामाजिक आंदोलनों में महिलाओं की अग्रणी भूमिका सदैव से रही है, खासकर नशा उन्मूलन को लेकर चलाए गए बड़े प्रयासों में महिलाओं का प्रमुख योगदान रहा है। इसलिए दुलदुलवा की महिलाओं से भी इस दिशा में उन्हें बहुत आशा है कि यहां पर माताएं बहनें शराब मुक्ति की दिशा में अपनी ईमानदार भूमिका निभाएंगी।
सहभागिता
कार्यक्रम में वन सुरक्षा समिति के अध्यक्ष संतोष यादव, वरिष्ठ पत्रकार जितेंद्र सिंह, स्थानिक ग्रामीणों में शमशेर अंसारी, अशोक पाल, विनोद चंद्रवंशी, शबनम आरा, अशोक साव, लीलावती देवी, सुनैना देवी, सविता देवी, पूनम कुमारी, गीता देवी, शांति देवी, रेखा देवी, ललिता देवी, अशोक चंद्रवंशी, अखिलेश चंद्रवंशी, चुन्नू साहब, अरुण गुप्ता, बंशीधर साव, जितेंद्र साव, जसवंती देवी, सत्येंद्र चंद्रवंशी आदि ने विचार रखे।