परमेश्वरी मेडिकल सेंटर गढ़वा जिले में शल्य चिकित्सा क्षेत्र में नित्य नए आयाम कायम कर रही है.....
कहानी है हैसियत अंसारी जी की, 50 वर्ष की उम्र में अपने जीवन काल में छाती के टीवी के कारण 8 वर्ष पूर्व टीवी की दवा का सेवन किया था शायद इसके अलावा उन्हें कभी किसी प्रकार की स्वास्थ्य समस्याओं का सामना नहीं करना पड़ा था , परंतु अक्टूबर महीने के पहले हफ्ते में अचानक ही उन्हें पेट में दर्द होता है और पेट फूलने लगता है बार-बार उल्टियां होना और दर्द का बढ़ता जाना , नजदीकी चिकित्सकों से सलाह लेने के पश्चात भी आराम नहीं मिलता है तत्पश्चात वह दर्द से कहराते हुए परमेश्वरी मेडिकल सेंटर के इमरजेंसी विभाग में पहुंचते हैं जहां एमरजैंसी मैनेजमेंट करने के पश्चात उन्हें आईसीयू में भर्ती होने की सलाह दी जाती है और जांचों प्रांत यह पता चलता है की उनके पेट के अंदर छोटी आंत मुड़ गई है और खाना नीचे नहीं जा पा रहा है l डॉ निशांत ( लेप्रोस्कोपिक सर्जन) ने तुरंत ही इमरजेंसी ऑपरेशन करने की सलाह दी, इमरजेंसी ऑपरेशन के दौरान जो मिलता है वह सबके होश उड़ा देता है, जी हां , मरीज के लगभग ढाई फीट फिट की छोटी आंत काली पड़ चुकी थी यानी गैंग्रीन हो चुका था l ऐसी विषम स्थिति में मरीज के जान बचाने हेतु उनकी छोटी आंत को काटकर अलग किया जाता है और मलद्वार ( ileostomy )पेट के दाहिनी भाग में बनाया जाता हैl
एक हफ्ते के अंदर हैसियत अंसारी जी बेहतर हो जाते हैं और एक जंग जीत तो जाते हैं परंतु मन में कहीं ना कहीं यह लगा रहता है की डॉक्टर साहब ने यह क्या कर दिया यह मेरे मलद्वार का रास्ता पेट में क्यों बना दिया क्या मैं नित्य क्रिया के लिए ऐसे ही चलूंगा इस दुख के साथ वह इस अस्पताल के साथ जाते हैं l
डॉ निशांत ने उन्हें बहुत सारे परहेज के बारे में बताया और इस बात का आश्वासन दिया कि आप स्वस्थ होने के पश्चात फिर से अगर आपका ऑपरेशन होगा और आप पहले की भांति एक आम इंसान की भांति जी सकेंगे, इस बात को सुनकर हैसियत अंसारी जी को थोड़ा सुकून आया परंतु मन में हमेशा कसक लगी रहती थी कि मैं कैसे इस चीज का ध्यान रखूंगा कैसे अपने पेट की सफाई करूंगा और कैसे पेट पर लगे हुए इस बैलून जैसे थैले को हमेशा साफ करता रहूंगा l
जी, 6 महीने पश्चात मार्च के अंतिम हफ्ते में एक बार फिर से हैसियत अंसारी डॉक्टर निशांत से मिलते हैं एवं दोबारा किए जाने वाले ऑपरेशन के बारे में जानकारी प्राप्त करते हैं, अनेकों सवाल के बाद बस यह पूछते हैं की क्या मैं अन्य लोगों की तरह अथवा पहले जैसे नित्य क्रिया कर पाऊंगा?
डॉक्टर निशांत ने इसे एक चैलेंज के रूप में लिया और पुनः उनका ऑपरेशन करने के लिए अपनी टीम को एक्टिव किया, एक बार फिर एक बड़े से ऑपरेशन की ओर जी हां पेट के बाहरी हिस्से में बनाए गए मलद्वार को बंद करना एवं उसे रास्ते को पेट के अंदर फिर से जोड़ना ताकि छोटी आंत और बड़ी आंत एक साथ जुड़ सके, का सफल ऑपरेशन किया l
आज इस बात की बड़ी खुशी है और यह खुशी न सिर्फ सर्जन की है बल्कि अपने मरीज के चेहरे पर से गायब उस दुख या चिंता की है जो कुछ दिन पहले तक हमेशा थी।