गढ़वा से विकास कुमारकी रिपोर्ट
नीली क्रांति के तहत केज कल्चर से जुड़े मत्स्य पालकों को होगा आर्थिक लाभ: उपायुक्त
मत्स्य पालन से जुड़ने के बाद जीवन में आया परिवर्तन: लाभुक समिति
उपायुक्त ने किया अन्नराज जलाशय में केज कल्चर योजना का निरीक्षण
जिला दण्डाधिकारी-सह- उपायुक्त शेखर जमुआर की वैश्विक सोच से गढ़वा जिला मत्स्य पालन में बेहतरी की दिशा में अग्रसर है। उपायुक्त शेखर जमुआर ने जिले को मत्स्य पालन में अग्रणी बनाने के लिए डैम एवं तालाबों में मत्स्य पालन को बढ़ावा देने में जुटे हैं। उपायुक्त आज खुद अन्नराज डैम का निरीक्षण किया। इस दौरान उन्होंने यहां पूर्व में शुरू की गई केज कल्चर से मत्स्य पालन की जानकारी ली। उन्होंने मत्स्य पालकों से बातचीत की और इसे बेहतर फायदा उठाने की बातें कही। उन्होंने कहा कि केज कल्चर से जुड़े मत्स्य पालकों को आर्थिक लाभ होगा। वहीं जिले के लोगों को ताजी मछलियां मिल पाएगी।
मत्स्य उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाने का प्रयास
गढ़वा सदर प्रखण्ड मुख्यालय से लगभग 12 कि0मी0 की दूरी पर अन्नराज डैम में अनाबद्ध निधि योजना अन्तर्गत केज कल्चर योजना की स्वीकृति प्रदान की गई। योजना का मुख्य उद्देश्य स्थानीय लोगों को रोजगार उपलब्ध कराना, आर्थिक स्थिति में सुधार, जिले को मत्स्य उत्पादन के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाना, स्थानीय लोगों को उचित दर पर ताजा मछली उपलब्ध कराने के साथ ही पर्यटकों को आकर्षित करना है।
उपायुक्त श्री जमुआर ने बताया कि केज कल्चर योजना स्थिर जल श्रोतों में पिंजरे बनाकर अंगुली आकार के मछलियों को संचयित करते हुए बड़े आकार में रूपांतरण कर उसे बेचा जाता है। इस योजना से स्थानीय स्तर पर रोजगार, आर्थिक उन्नयन, पलायन पर रोक, पर्यटकों के लिए आकर्षण केन्द्र के अवसर बनते हैं। इस योजना का कार्य पूर्ण होने पर मत्स्य विभाग को हस्तांतण के उपरांत जिला मत्स्य पदाधिकारी धनराज आर. कापसे द्वारा अन्नराज डैम में तैयार केज कल्चर का लगातार दौरा कर योजना से संबधी प्रस्ताव तैयार कर इस जलाशय पर केज कल्चर योजना के बारे में स्थानीय विस्थापितों के साथ बैठक कर विस्तार से योजना के बारे में बताया गया। इसके बाद समिति के लोगों को प्रशिक्षण दिया गया। प्रशिक्षण उपरांत उन्होने अपने गॉव के कृषकों को संगठित कर मत्स्य पालन हेतु दो समिति का गठन किया। समिति का नाम रखा गया ‘भदुआ समूह एवं ओबरा समूह’’
दोनों समिति को मिलाकर लगभग 50 सदस्य हैं, जिनकी आजिविका मत्स्य व्यवसाय से चलती है। समिति के लोगों के सराहनीय कार्यो को देखते हुए इन्हें पुरस्कार स्वरुप अनुदान पर मोटर साइकल भी प्रदान किया गया। इसके अतितिरक्त मत्स्य विभाग द्वारा इनलोगों के तत्काल आजिविका के लिए अनुदान पर मत्स्य स्पॉन, फीड, जाल इत्यादि प्रदान किया गया। मत्स्य पालन से जुड़ने के बाद समिति के सभी लोगों को नियिमत आय होना प्रारंभ हो जाएगा। केज मत्स्य पालक के रुप में इनके कार्य सराहनीय है। समूह के सारे सदस्य पलायन छोड़कर केज मत्स्य पालन से जुड़ गये हैं तथा उन्हे स्थानीय स्तर पर रोजगार प्राप्त हुए है।
जिला प्रशासन का सपना है कि सभी किसान एवं उनके बच्चे शिक्षित हों, वे आर्थिक स्थिति में आत्मनिर्भर हों, बेरोजगार मुक्त हो, मत्स्य पालन से जुड़े एवं उन्नति के रास्ते पर चलें। इसके लिए वे सतत प्रयासरत हैं।
चिरका डैम में सफलतापूर्वक चल रहा केज कल्चर
गढ़वा जिला के चिनिया प्रखण्ड के चिरका डैम में भी केज कल्चर योजना सफलता पूर्वक चल रहा है, जबकि जिले के मझिआँव प्रखण्ड अंतर्गत खजूरी डैम में भी योजना स्वीकृत कर दी गई है। जल्द ही वहाँ भी केज कल्चर योजना का कार्य प्ररंभ हो जाएगा।