अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य देकर निराहार छठ व्रतियों ने किया खरना Kandi

अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य देकर निराहार छठ व्रतियों ने किया खरना
फोटो : डूबते सूर्य को पहला अर्घ्य देतीं छठ व्रती। 

साकेत मिश्रा की रिर्पोट 
कांडी : प्रसिद्ध पर्यटन स्थल सतबहिनी झरना तीर्थ में लोक आस्था के महापर्व छठ का सामूहिक महान अनुष्ठान का विराट आयोजन अस्ताचलगामी  सूर्य को अर्घ्य के साथ शुरू हो गया। इस दौरान हजारों की संख्या में निराहार व्रतियों ने सभी जीवो के उद्गम भगवान भास्कर को श्रद्धा पूर्वक अर्घ्य प्रदान किया। मंगलवार को नहाए खाए के साथ चार दिनों का कठिन महाव्रत छठ शुरू हो गया। इस दिन व्रतियों ने नदियों एवं पवित्र जलाशयों में स्नान कर घर में शुद्धता एवं पवित्रता के साथ लउका, भात व चने की दाल बनाकर खरना किया एवं प्रसाद स्वरूप उसका वितरण किया। जबकि बुधवार को कतिकी छठ का उपवास शुरू हो गया।  आज दिन के तीसरे प्रहर से ही चारों तरफ से छठ के गीत सुनाई पड़ने लगा। इसलिए कि सतबहिनी झरना तीर्थ पहुंचने वाले सभी रास्तों से पैदल एवं छोटे बड़े वाहनों पर सवार होकर निराहार छठ व्रती एवं उनके परिजन छठी मइया का गीत गाते हुए सतबहिनी आ रहे थे। देखने से मानो लग रहा था कि सभी रास्ते एवं खेतों की मेड़ आज सतबहिनी ही आ रही है। लोगों ने झरना घाटी में पहुंचकर तिल, जौ एवं अक्षत पानी में डालकर जल जगाया। उसके बाद काफी संख्या में व्रतियों ने मनोरम झरना और कतिपय  व्रतियों ने नदी में स्नान किया। स्नान के बाद लोगों ने छठ घाट, मेला मैदान,  नवीन यज्ञशाला मैदान व झरना घाटी में अपने बैठने के स्थान पर लोटे में जल भरकर कलश के रूप में उसे स्थापित कर छठी मैया एवं सूर्य भगवान की स्तुति गाई। पांच पांच गीत गाने के बाद सभी निराहार व्रती अपने-अपने घर की ओर प्रस्थान कर गए। जहां उन्होंने चंद्रास्त के पहले साठी चावल की खीर एवं बिना चकला बेलन की बनी हुई पक्की रोटी खाकर खरना किया। इसके बाद चांद को अर्घ्य दिया। उसके पश्चात 36 घंटे की कठिन तपस्या प्रारंभ हो गई। इस अवधि में तमाम छठ व्रती  उपवास के साथ-साथ जल भी ग्रहण नहीं करेंगे। देर शाम तक सभी व्रतियों के घर में पड़ोस के लोग प्रसाद ग्रहण करने आते देखे गए। इस मौके पर प्रखंड मुख्यालय कांडी स्थित पोखरा पर नवनिर्मित सूर्य मंदिर सह टेंपल इन वॉटर के समक्ष लोक आस्था के महापर्व छठ का विराट आयोजन किया गया है। जहां दर्जनों गांव के सैकड़ो व्रतियों ने संझत के दिन अस्ताचल गामी सूर्य को पहला अर्घ्य प्रदान किया। मौके पर अपने अपने थाला के निकट छठी मैया एवं सूर्य भगवान की स्तुति कर सभी ने घर की ओर प्रस्थान किया। जहां खीर भोजन के रूप में खरना किया। इसी तरह सोन तटीय एवं कोयल तटीय गांवों की व्रतियों ने नदी की जलधारा के निकट महाव्रत छठ की शुरुआत की। सबों ने डूबते सूर्य को अर्घ्य प्रदान कर अपने घरों में विधिवत खरना किया।

Latest News

क्षेत्र भ्रमण के क्रम में अवैध उत्खनन के मामले मिलने पर एसडीओ ने जताई नाराजगी Garhwa