चार वर्षों से दिग्भ्रमित हृदय-रोग ग्रसित युवक की हुई सफल ओपन हार्ट सर्जरी
अन-अनुमोदित एवं अप्रमाणित चिकित्सा पद्धतियों से बचना है अति आवश्यक: डॉ विकास
पूर्णतः प्रतिकूल परिणाम रहित शत-प्रतिशत त्वरित स्वास्थ्य लाभ दिलाने के आकर्षक प्रलोभन दे कर रोगियों से आर्थिक लाभ प्राप्त करने वाले लोग समकालीन चिकित्सा जगत में प्रचुरता में मिलते हैं। रोगियों में ओपन हार्ट सर्जरी के संबंध में व्यापक भ्रांतियों एवं अनुचित भय का लाभ उठाकर उनसे धन राशि संकलन की ऐसी ही एक घटना गढ़वा ज़िले से प्रकाश में आयी है।
हैदर नगर के सुंडीपुर ग्राम के निवासी अजय प्रजापति व्यवसाय से प्राथमिक विद्यालय के शिक्षक हैं एवं अकाल-मृत्यु के हाथों अपने माता-पिता दोनों से विरक्त हो चुके हैं। ४२ वर्षीय अजय को कोरोना काल के पश्चात से चलने-फिरने में सीने और जबड़े में पीड़ा एवं भारीपन की समस्या रहने लगी थी। स्थानीय स्वास्थ्य केंद्रों में स्वास्थ्य लाभ नहीं होने पर उन्होंने आंध्र प्रदेश के सत्य साईं अस्पताल में परामर्श लिया एवं एंजियोग्राफ़ी की जाँच के बाद उनके हृदय की तीनों धमनियों में अवरोध (ब्लॉकेज) की समस्या पायी गई। वहाँ के चिकित्सकों द्वारा एंजिप्लेस्टी पद्धति से इन अवरोधों का निवारण करने के सभी प्रयास असफल रहे एवं उन्हें बाईपास ऑपरेशन करवाने का परामर्श दिया गया।
यहीं से उनके भय के आर्थिक दोहन का क्रम प्रारंभ हुआ। प्राकृतिक रूप से वह ओपन हार्ट सर्जरी से भयभीत थे और ऑपरेशन से बचने की आशा में कुछ मित्रों के परामर्श पर उन्होंने दिल्ली के एक प्रसिद्ध संस्थान में ईसीसीपी नामक चिकित्सा पद्धति से उपचार प्रारंभ किया। अजय बताते हैं कि ईसीसीपी की चिकित्सा में लगभग चार वर्ष एवं लगभग एक लाख रुपये व्यर्थ करने के पश्चात भी उनकी समस्या और भी विकराल होती गई एवं मात्र दस पग चलने में भी उनके सीने में पीड़ा होनी प्रारंभ हो गई। उसके पश्चात ही उन्होंने डॉ विकास केशरी से उनके द्वारा आयोजित मासिक हृदय रोग जाँच शिविर में संपर्क किया।
विस्तृत जानकारी देते हुए डॉ विकास ने बताया कि उपचार में हुए विलंब के कारण एक बार अजय को हृदयघात (हार्ट अटैक) भी हो चुका था एवं उनके हृदय की पंपिंग क्षमता भी अत्यंत कम हो गई थी। यह उनके हृदय रोग का एक उन्नत एवं जटिल चरण था। प्रारंभ से ही बाईपास ऑपरेशन ही उनके लिए एकमात्र समुचित विकल्प था। गुरुग्राम के नारायणा अस्पताल में उनकी बायपास सर्जरी की गई एवं अब वह पूर्णतः स्वस्थ एवं लक्षण मुक्त है।
डॉ विकास ने बताया कि आज अप्रमाणित एवं अनियंत्रित चिकित्सा पद्धतियों की चिकत्सा जगत में भरमार है। कई बार इन अनुचित पद्धतियों से चिकित्सा करवा कर रोगी रोग के उपचार का बहुमूल्य ‘गोल्डन पीरियड’ खो देते हैं एवं रोग अधिकाधिक असाध्य होता जाता है। अज्ञानता एवं क्षद्म भ्रांतियों की यह समस्या झारखंड जैसे राज्यों में विशेष रूप से अधिक विकराल है। यह एक अक्षम्य अपराध है। रोगियों के रोग से भयभीत होना चाहिए रोगों के समुचित उपचार से नहीं। नवीनतम औषधियों एवं तकनीकों के विकास के कारण सामयिक ओपन हार्ट सर्जरी अब पूर्णतः पीड़ा-मुक्त है एवं अन्य सभी शल्य-क्रियाओं के समरूप ही सुरक्षित है। जिन रोगों के समुचित उपचार के लिए शल्य क्रिया आवश्यक है उनके उपचार में अन्य पद्धतियों में समय व्यर्थ में व्यतीत करना प्राणघातक भी सिद्ध हो सकता है।
डॉ विकास ने सभी रोगियों को अजय की भूल से शिक्षा लेते हुए सभी रोगों का समुचित समय पर समुचित उपचार करवाने की निवेदन किया। ज्ञात हो कि नई दिल्ली कि एम्स से हृदय रोग के उपचार का प्रशिक्षण प्राप्त डॉ विकास केशरी निःशुल्क परामर्श के लिए प्रत्येक माह के तृतीय रविवार को गढ़वा के स्थानीय ज्ञान निकेतन विद्यालय में आयोजित निःशुल्क हृदय रोग जाँच शिविर में उपलब्ध रहते हैं।