युवा समाज सेवी शशांक शेखर ने बड़े पैमाने पर सरकारी दवाएं फेंक दिए जाने के मामले में प्रशासन के मौन के विरोध में आंदोलन करने का लिया निर्णय
फोटो : फेंकी गईं दवाएं।
फोटो : शशांक शेखर।
साकेत मिश्रा की रिर्पोट
कांडी : एक युवा समाजसेवी ने बड़े पैमाने पर सरकारी दवाएं फेंक दिए जाने के मामले में प्रशासन के मौन के विरोध में आंदोलन करने का निर्णय लिया है। इसके तहत कांडी अस्पताल पर 11 जून को एक दिवसीय धरना प्रदर्शन किया जाएगा। इसकी सूचना उन्होंने जिला के डीसी को दे दी है। कांडी प्रखंड क्षेत्र के सतबहिनी झरना तीर्थ से कुछ दूर एक नाला के पास गड्ढे में 16 मार्च 2024 को काफी बड़े पैमाने पर कामयाब सरकारी दवाएं फेंकी हुई पाई गईं थीं। एक प्रत्यक्षदर्शी के द्वारा प्रखंड प्रमुख पिंकू पांडेय को इस आशय की सूचना दी गई थी। प्रमुख ने स्वयं स्थल की जांच कर मीडिया को सूचित किया। मीडिया ने बड़े भोर में मौके पर पहुंचकर जिला के मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी को सूचित करने का प्रयास किया। लेकिन फोन रिसीव नहीं किया गया। थाना प्रभारी को सूचना दी गई। थाना प्रभारी गुलशन कुमार गौतम ने तुरंत मौके पर पहुंचकर एक ट्रैक्टर कामयाब आयरन व फोलिक एसिड की गवर्नमेंट सप्लाई नॉट फोर सेल दवाएं बरामद किया। छह बोड़ा एक्सपायर दवाएं अलग थीं। जिसे पुलिस की गाड़ी पर ले जाया गया। इस बाबत राज्य के स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता को भी सूचित किया गया। मंत्री के हस्तक्षेप से ही डीसी द्वारा एलआरडीसी व सिविल सर्जन की टीम ने थाना जाकर दवाओं की जांच की। इसी के साथ अज्ञात के खिलाफ एफआईआर भी किया गया। उसके बाद से 83 दिन गुज़र जाने के बाद भी मामला ठंडे बस्ते में पड़ा है। इस चुप्पी को लेकर स्वास्थ्य मंत्री को भी सूचना दी गई है। बावजूद इसके चुनाव का हवाला देकर किसी तरह की कोई कार्रवाई नहीं की गई। इस बात को लेकर शुरू से ही सक्रिय दृष्टि यूथ ऑर्गेनाइजेशन नामक स्वयंसेवी संस्था के प्रधान सचिव शशांक शेखर ने 11 जून से कांडी अस्पताल पर एक दिवसीय धरना एवं प्रदर्शन करने का निर्णय लिया है। इस दौरान संस्था के लोगों के साथ ग्रामीण भी धरना में शामिल रहेंगे। युवा समाजसेवी ने कहा है कि प्रशासन चाहता है कि अन्य मामलों की तरह इस गंभीर मामले को भी आई गई कर दिया जाए। लेकिन ऐसा होने वाला नहीं है। गरीब जब अस्पताल के काउंटर पर जाता है तो उसे दवा नहीं है कह कर दुकान की पर्ची थमा दी जाती है। गरीब को दवा खरीद कर लानी पड़ती है। इधर 5 लाख की सरकारी दवाएं काफी बेदर्दी के साथ फेंक दी गईं। वह भी ऐसी दवाएं जिनका डेट अभी 3 साल तक शेष था। इस अक्षम्य अपराध को लेकर दोषी व्यक्ति को चिन्हित कर जब तक आपराधिक मामले में उसे निरुद्ध नहीं किया जाता तब तक संविधान के दायरे में आंदोलन जारी रहेगा। इस मामले को लेकर आंदोलनत्मक गतिविधियां उग्र रूप धारण करती हैं तो इसकी सारी जवाबदेही स्वास्थ्य विभाग, सामान्य प्रशासन एवं पुलिस विभाग की होगी।