सरकारी दवाएं फेंक दिए जाने के मामले में अधिकारियों की भूमिका उजागर
सिर्फ एक दूसरे के पाले में फेंकी जा रही गेंद
प्रेस के सामने समाजसेवी ने की सबसे बात
फोटो : बात करते युवा समाजसेवी।
साकेत मिश्रा की रिर्पोट
कांडी : काफी बड़े पैमाने पर कामयाब सरकारी दवाएं फेंक दिए जाने के मामले में अधिकारियों की भूमिका को एक युवा समाजसेवी ने उजागर किया। उन्होंने इसके लिए प्रेस को आमंत्रित कर उनके सामने अधिकारियों से इस गंभीर मामले में कृत कार्रवाई को लेकर बात की। जिससे पता चला कि इस मामले को फुटबॉल बनाकर इधर से उधर उछाला जा रहा है। जिससे कुछ दिनों में ही यह आई गई हो गई हो जाए। मालूम हो कि कांडी प्रखंड क्षेत्र के सतबहिनी के निकट 16 मार्च 2024 को बड़े पैमाने पर कामयाब दवाएं फेंकी हुई पा़ई गईं थीं। मीडिया ने प्राप्त सूचना के आधार पर पुलिस को बुलाकर दवाएं बरामद कराईं थीं। दैनिक भास्कर द्वारा सूचना पाकर झारखंड के स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता ने त्वरित संज्ञान लेकर डीसी को जांच के लिए निर्देशित किया था। बावजूद इसके थाना में एफआईआर करके विभाग ने अपने कर्तव्यों की इतिश्री कर ली। अब इस मामले को लेकर कहीं कोई सुगबुगाहट भी नहीं है। 32 दिन गुजर जाने के बाद भी दवाओं का कहीं कोई सुराग नहीं मिला। इससे कूपित होकर युवा समाजसेवी सह दृष्टि यूथ ऑर्गेनाइजेशन के प्रधान सचिव शशांक शेखर ने प्रेस के सामने फोन का स्पीकर ऑन करके डीसी शेखर जमु़आर से दवाएं फेंके जाने के मामले में अबतक की गई कार्रवाई के विषय में पूछा। डीसी ने कहा कि इस बावत पुलिस अधीक्षक से बात कीजिए। क्योंकि इस मामले को लेकर थाना में एफआईआर किया जा चुका है। पुलिस की कार्रवाई के विषय में वे ही बता सकते हैं। शशांक शेखर ने तुरंत गढ़वा जिला के पुलिस कप्तान दीपक कुमार पांडेय से दवाएं फेंके जाने के मामले में प्राथमिकी के बाद कार्रवाई के संबंध में पूछा। एसपी दीपक कुमार पांडेय ने कहा कि स्वास्थ्य विभाग ने किस बैच की कितनी दवा किस सेंटर व संस्थान को दी है। उसका कितना वितरण हुआ। कितनी दवा बची रही। यह रिपोर्ट जबतक नहीं मिलेगी पुलिस क्या कर सकती है। लगे हाथ समाजसेवी शशांक शेखर ने जिला के मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी सह सिविल सर्जन डॉक्टर अशोक कुमार से बात की। सीएस ने कहा कि अब इसमें जो भी करना है पुलिस को करना है। स्वास्थ्य विभाग ने एफआईआर कर दिया है।
इस प्रकार लाखों रुपए की वैसी दवा जिसकी एक्सपायरी तिथि क्रमश: एक से तीन साल के बाद की थी। तमाम दवाएं बच्चों, किशोरियों व महिलाओं की थीं। जिन्हें हेल्थ सेंटर व अस्पतालों में टका सा जवाब कि दवा नहीं है खरीद लीजिए कहकर चलता कर दिया जाता है। और यहां ट्रैक्टर के ट्रेलर से अधिक दवाएं फेंक दी गईं व सारे नियामक व नियंत्री पदाधिकारी चुप हैं। बात उठने पर गेंद को एक दूसरे के पाले में फेंकने का खेल किया जा रहा है। समाज सेवी ने इस बाबत सूबे के वजीरे सेहत से भी बात करने का प्रयास किया। लेकिन बात नहीं हो सकी। उन्होंने कहा कि वे मंत्री से बात करेंगे। दोषियों को चिन्हित कर कार्रवाई करना सुनिश्चित नहीं हुआ तो वे संविधान के दायरे में धरना, प्रदर्शन व अनशन करेंगे। कहा कि प्रेस के सामने बात करके मैंने अवाम को बता दिया कि इस अति गंभीर मामले में क्या किया जा रहा है।