कुछ पाने के लिए अपने में पात्रता विकसित करनी पड़ती है : धर्मराज Kandi

कुछ पाने के लिए अपने में पात्रता विकसित करनी पड़ती है : धर्मराज 
फोटो : पं. धर्मराज शास्त्री। 
 
फोटो: पं. अखिलेश मनी शांडिल्य
फोटो: देवी शिखा चतुर्वेदी

साकेत मिश्रा की रिर्पोट 
कांडी : मां सतबहिनी झरना तीर्थ एवं पर्यटन स्थल विकास समिति के तत्वावधान में आम जनों द्वारा आयोजित 24वें मानस महायज्ञ का शनिवार को 5वें दिन के प्रवचन सत्र में देवरिया से पधारे समाज सुधार व राष्ट्र की सांस्कृतिक चेतना की दिशा में अपने उद्बोधन से क्रांति की मशाल जलाने के लिए प्रतिबद्ध पं. अखिलेश मणि शांडिल्य ने कहा कि मानस के उन स्थानों को उभारने की पिता ने भी कोशिश की थी। मैं भी कोशिश करता हूं जिन्हें न जाने क्यों छिपाया गया। राम सांप्रदायिकता, कट्टरता, अहंकार के दुश्मन, स्त्री को पैरों की जूती समझने वालों के दुश्मन। नफरतों के इस बाजार में पता नहीं मोहब्बत समझ में आए कि नहीं। कहा कि बीमारी रूप बदलकर आ रही है को इंजेक्शन भी नया बनाना पड़ेगा। तुम्हारी जात का गुंडा गुंडा - मेरी जात का बाहुबली यह नहीं चलेगा। तुम्हारा कुत्ता कुत्ता मेरा कुत्ता टॉमी नहीं चलेगा। 
मिर्जापुर से पधारे पं. धर्मराज शास्त्री ने कहा कि ईश्वर की कृपा पाने के लिए सुपात्र बनना पड़ता है। कुछ पाने के लिए अपने में पात्रता विकसित करनी पड़ेगी। अपनी बुनियाद - अपनी जड़ों को नहीं भूलना चाहिए। कर्म करने के बाद ही भगवान की कृपा मिलती है। वृंदावन से पधारीं देवी शिखा चतुर्वेदी ने श्रीमद्भागवत महापुराण की कथा कही। उन्होंने सामाजिक संदर्भ देते हुए मानस व भागवत की कथा कही। कहा कि आप धर्म पर चलेंगे तो कोई आपका कुछ बिगाड़ नहीं सकता। बालक को नजर लगी हो तो गोशाले में ले जाकर गाय की पूंछ शरीर पर फिरा दें। भगवान पर भी विपत्ति आई तो उन्हीं के नाम से हटाई गई। कह कि हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे, हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे - महामंत्र है। इसकी एक दो माला रोज किया करें। संकट मुक्त हो जाएंगे। 
वहीं आचार्य सौरभ कुमार भारद्वाज ने श्रीराम कथा के साथ कई भजन से श्रोताओं को बांधे रखा। पं. मुन्ना पाठक जी ने भजन व प्रवचन में श्रीराम कथा कही। इसी के साथ यज्ञ मंडप की परिक्रमा, पाठ, प्रसाद वितरण व प्रवचन चल रहा है। मालूम हो कि यह मानस महायज्ञ 6 मार्च तक चलेगा। 5 मार्च तक महायज्ञ के सभी कार्यक्रम चलेंगे। पूजन हवन, संगीतमय मानस पाठ, प्रवचन व प्रसाद वितरण चलता रहेगा। जबकि 6 मार्च को महायज्ञ की महापूर्णाहुति, संत विद्वानों की विदाई व महा भंडारा के साथ यज्ञ संपन्न हो जाएगा।

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