बारिश बिना फसलें बर्बाद व कथा के अभाव में नस्लें बर्बाद हो जाती हैं : शांडिल्य Kandi

बारिश बिना फसलें बर्बाद व कथा के अभाव में नस्लें बर्बाद हो जाती हैं : शांडिल्य

सतबहिनी झरना तीर्थ में महायज्ञ का 5वां दिन
फोटो : पं. अखिलेश मणि शांडिल्य। 

साकेत मिश्रा की रिर्पोट 
कांडी : सतबहिनी झरना तीर्थ में 24वें मानस महायज्ञ के चौथे दिन के प्रवचन सत्र में देवरिया के क्रांतिकारी कथा वाचक पं. अखिलेश मणि शांडिल्य ने कहा कि अगर बारिश नहीं हो तो फसलें बर्बाद हो जाती हैं। इसी तरह ऐसे कथा सत्संग के कार्यक्रम नहीं हों तो नस्लें कुसंस्कारी हो जाती हैं। बारिश से एग्रीकल्चर व कथा से कल्चर का विकास होता है। खर पतवार को खुरपी से वे संस्कार में मिलावट को प्रवचन से दूर किया जाता है। मिर्जापुर से पधारे धर्मराज शास्त्री ने नारद मोह प्रसंग की व्याख्या करते हुए कहा कि प्रशंसा भी एक तरह की मदिरा है। जिसके चक्कर में नारद जैसा महर्षि भी पड़े। 
वृंदावन की देवी शिखा चतुर्वेदी ने कहा कि भगवान ने जाति नहीं बनाई। जाति पांति हमने बनाया। जाति होती तो राम कोल भीलों को गले नहीं लगाते। शबरी के यहां नहीं जाते। कृष्ण विदूर को गले नहीं लगाते। लोगों ने तो भगवान को भी जाति में बांट दिया। शिखा चतुर्वेदी ने नंदलाला के जन्मोत्सव को अपने गीतों व प्रवचन से साकार कर दिया। आचार्य सौरभ भारद्वाज ने श्रीराम कथा व भजनों के साथ प्रसंगवश कहा कि बिटिया के जन्म पर लोग आज शोक मनाते हैं। जबकि बिटिया दो कुलों को पवित्र करती है। इसलिए पुत्री के जन्म पर खुशी मनाएं। पं. मुन्ना पाठक ने भी श्रीराम कथा कही।

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