स्थापना के 60 व उत्क्रमण के प्रावधान के 18 वर्षों के बाद प्लस टू में अपग्रेड हुआ गरदाहा हाईस्कूल
स्थापना काल से ही सभी अहर्ताओं को पूरा करता था यह स्कूल
महंत श्री रामचंद्र पुरी जी ने 1964 में की थी स्थापना
फोटो : उवि गरदाहा के संस्थापक स्व महंत श्री रामचंद्र पुरी जी का फाइल फोटो।
साकेत मिश्रा की रिर्पोट
कांडी गढ़वा : स्थापना के 60 वर्ष के बाद महंत श्री रामचंद्र पुरी उच्च विद्यालय गरदाहा को जमा दो विद्यालय के रूप में उत्क्रमित किया गया। हालांकि यह विद्यालय स्थापना काल से ही जमा दो की सभी अहर्ताओं को पूरा करता था। राज्य सरकार ने वर्ष 2007 से हाईस्कूलों को प्लस टू स्कूल में अपग्रेड करने का प्रावधान किया था। बावजूद इसके शर्तों को पूरा करने के बाद भी गरदाहा हाईस्कूल को अपग्रेड नहीं किया गया। 2007 में कांडी हाईस्कूल को जमा दो का दर्जा दिया गया। लेकिन तीन साल तक साधन के अभाव में वहां इंटर की पढ़ाई शुरू नहीं हो सकी। उस समय भी जमा दो को कांडी से गरदाहा शिफ्ट करने की मांग की गई थी। लेकिन नहीं किया गया। मालूम हो कि आम जनता के अनुरोध पर गरदाहा मठ के महंत सह पंचायत के मुखिया महंत श्री रामचंद्र पुरी ने 1964 में उच्च विद्यालय की स्थापना की थी। इससे पहले 70 - 75 गावों के बीच एक भी हाईस्कूल नहीं था। बड़ी मुश्किल से लोग अपर मिडिल तक की पढ़ाई कर पाते थे। बाहर जाकर विरले लोग पढ़ाई कर पाते थे। महिला शिक्षा की हालत तो और बूरी थी। लिहाजा गांव गांव में अनपढ़ों की जमात बसती थी। इस हाल में महा मानव महंत जी अपने ड्रीम प्रोजेक्ट हाईस्कूल गरदाहा की स्थापना के महायज्ञ में जुट गए। इलाके के लोगों ने बढ़ चढ़कर नैतिक समर्थन व शारीरिक सहयोग दिया। इनमें सैकड़ों लोगों के साथ चेचरिया के रघुवीर उपाध्याय, शिवपुर के नंदकिशोर पांडेय, कुशहा के वीर बहादुर सिंह, अधौरा के गिरिजा सहाय, ठाकुर कमला प्रसाद सिन्हा व ललित मोहन प्रसाद सहित कई लोगों का नाम शामिल है। 1964 में स्कूल की स्थापना के बाद फाउंडर शिक्षकों के रूप में सीताराम राय प्रधानाध्यापक, राम लखन तिवारी, ललित मोहन प्रसाद, विनोद कुमार सिंह, चंद्रदेव राम, रघुनंदन पाठक, जनेश्वर द्विवेदी, अनिरुद्ध पांडेय आदि ने उल्लेखनीय योगदान दिया। जबकि मुद्रिका राम, लखनदेव ठाकुर व विजय कुमार पांडेय ने शिक्षकेत्तर कर्मचारी के रूप में सेवाएं दीं। वर्षों तक विद्यालय की कमेटी के अध्यक्ष रघुवीर उपाध्याय व महंत श्री रामचंद्र पुरी जी संस्थापक सचिव रहे। विद्यालय की स्थापना के कारण महंत श्री रामचंद्र पुरी लोगों के दिलों में बसते थे। वे पंचायत के प्रथम मुखिया बने व 14 नवंबर 1994 को मृत्युपर्यन्त मुखिया रहे।
1964 में यहां हाईस्कूल खुलने के बाद हर घर के लड़के लड़कियां मैट्रिक तक की पढ़ाई करने लगे। लेकिन उसके बाद की पढ़ाई काफी कठिन थी। अधिकांश गावों की लड़कियों को मैट्रिक तक की पढ़ाई के बाद चुल्हा चौका में लगा दिया जाता था। लिहाजा दैनिक भास्कर ने गरदाहा उवि को अपग्रेड किए जाने की मुहिम चलाता रहा। लगातार जारी इस प्रयास से विभाग के साथ साथ प्रशासन ने जिला से कई बार प्रस्ताव बना बनाकर भेजा। लेकिन सभी शर्तों को पूरा करनेवाले इस विद्यालय के प्रस्ताव को राज्य में उल्टी पैरवी से लगातार निरस्त किया जाता रहा। हद तो तब हो गई जब बिना अहर्ता के एक अन्य स्कूल को जमा दो बना दिया गया। जहां आज भी न जमीन है न भवन। इस हाई स्कूल के अपग्रेड होने से इलाके में लोगों के बीच खुशी की लहर दौड़ गई है। अब लोगों को बच्चों के नामांकन व घर के पास इंटर की पढ़ाई की।