सतबहिनी झरना तीर्थ में 24वां मानस महायज्ञ संपन्न
फोटो : देवी शिखा चतुर्वेदी।
फोटो : पं. अखिलेश मणि शांडिल्य।
साकेत मिश्रा की रिर्पोट
कांडी : मां सतबहिनी झरना तीर्थ एवं पर्यटन स्थल विकास समिति के तत्वावधान में आम जनों के द्वारा आयोजित 24वें मानस महायज्ञ के विश्राम दिवस को भी लोगों की भारी भीड़ उमड़ी। परिक्रमा, पूजा, प्रसाद, प्रवचन व मेला में श्रद्धालु खचाखच भरे रहे। मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम के आचरण, कार्य व संस्कृति की सही परेप्रेक्ष्य में व्याख्या कर समाज में बदलाव लाने की अपनी मुहिम में क्रांतिकारी कथाकार पं. अखिलेश मणि शांडिल्य ने कहा कि उसुलों पे जो आंच आए तो टकराना जरूरी है, जिंदा हो तो जिंदा नजर आना जरूरी है। जो समाज की भलाई के लिए अपने आप को कुर्बान कर दे वह ऋषि है। लैंगिक असमानता पर चोट करने की जरूरत बताते हुए कहा कि बेटियों नजर झुकाकर नहीं चलो। बदतमीजों को नजर झुकाकर चलना चाहिए। आज की राजनीति की चर्चा करते हुए कहा कि सियासत गजब से कल्याण करती है, आंखें फोड़ देती है व चश्मा दान करती है। कथा विश्राम की बेला में कहा कि सतबहिनी विलक्षण तीर्थ है। इसका विकास नहीं रुकना चाहिए। अगले वर्ष इस महायज्ञ की रजत जयंती होगी। जिसकी तैयारी अभी से शुरू कर दें। आचार्य धर्मराज शास्त्री ने कहा कि एक के बाद जीरो लगाएं तो दस, एक और जीरो सौ, एक और हजार। इसी तरह केवल एक जीरो से दस गुना बढ़ता जाता है। लेकिन दर्जनों जीरो लगाने के बाद एक को हटा दिया जाए तो बस शून्य बचेगा। परमात्मा एक है और आदमी जीरो। तौल की गणना राम से शुरू होती है। वृंदावन की देवी शिखा चतुर्वेदी ने कहा कि जिस भारत में भरत जैसा भाई हुआ। जिसने अयोध्या का राज तिनके के समान ठुकरा दिया। आज बित्ता भर जमीन के लिए भाई भाई का गला काट देते हैं। भाई भाई, पति पत्नी, पिता पुत्र का संबंध मानस से सीखिए। भगवान तर्क का नहीं भाव का विषय है। मुन्ना पाठक ने भी भजनों के साथ श्रीराम कथा कही। इधर यज्ञाचार्य के नेतृत्व में ब्राह्मणों की टोली के द्वारा वैदिक मंत्रोच्चार के बीच मुख्य यजमान कृष्णा शर्मा पत्नी सुशीला देवी व अमरेश चंद्र व पत्नी पूनम देवी के द्वारा हवन यज्ञ के बाद विसर्जन किया गया। जबकि कार्यकारी अध्यक्ष अरुणोदय सिंह व कमेटी द्वारा आयोजित महा भंडारा में सैकड़ों लोगों ने महाप्रसाद ग्रहण किया। साथ ही साधु संत व विद्वत जनों की विदाई की गई। इसी के साथ 11 दिनों का मानस महायज्ञ संपन्न हो गया।