108 घंटे बाद भी बड़े पैमाने पर सरकारी दवा फेंके जाने का सुराग नहीं
ग्रामीणों ने दी आंदोलन की चेतावनी
फोटो : फेंकी गई दवा।
साकेत मिश्रा की रिर्पोट
कांडी : 108 घंटे बीत जाने के बाद भी बड़े पैमाने पर सरकारी दवा फेंक दिए जाने के मामले का कोई सुराग नहीं मिला। इस मामले को लेकर ग्रामीणों में आक्रोश पनप रहा है। लोगों का कहना है कि स्वास्थ्य उपकेंद्र, अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र से लेकर सदर अस्पताल तक दवा उपलब्ध नहीं है कह कर मरीज को दवा की परची थमा दी जाती है। और इधर दो-तीन साल समय रहते सरकारी दवाओं को एक ट्रैक्टर से अधिक की मात्रा में फेंक दिया जा रहा है। इस मामले का खुलासा होने पर सूबे के स्वास्थ्य मंत्री के हस्तक्षेप के बाद जिला प्रशासन के हवाले से स्वास्थ्य विभाग ने अज्ञात के विरुद्ध थाना में प्राथमिकी दर्ज करा कर अपने कर्तव्यों की इति श्री कर ली। मानों इसमें अब कुछ करना शेष नहीं बचा है। स्वास्थ्य विभाग के लोगों का कहना है कि उन्होंने एफआईआर करा दिया है। अब आगे की कार्रवाई पुलिस को करनी है। कहने का मतलब कि गेंद को पुलिस के पाले में फेंक कर स्वास्थ्य विभाग निश्चित हो गया। इधर स्वास्थ्य विभाग के द्वारा किस केंद्र या संस्था को कब और कितनी दवा दी गई है। उसका किसके बीच किस मात्रा में वितरण किया गया। उनके पास शेष कितनी दवा बचती है। इन सब की तहकीकात करके दोषियों को चिन्हित करने का जब तक प्रयास नहीं किया जाएगा तो पुलिस भी ज्योतिषी नहीं है कि सीधे जिम्मेवार व्यक्ति के गिरेबान पर हाथ डाल देगी। इस प्रकृति के अन्य मामलों की तरह उपरोक्त कार्रवाई नहीं करते हुए फाइल बंद करने की ओर ही यह मामला भी बढ़ रहा है। पूर्व मुखिया सह भाजपा नेता विनोद प्रसाद के साथ कई ग्रामीणों ने कहा कि इस बार इस गंभीर मामले को दाखिल दफ्तर नहीं करने दिया जाएगा। यदि निकट भविष्य में दोषियों को पकड़ने की दिशा में कार्रवाई नहीं की गई तो इस अति गंभीर मामले को लेकर प्रखंड मुख्यालय से लेकर जिला मुख्यालय एवं प्रदेश की राजधानी तक संविधान के दायरे में धरना प्रदर्शन, अनशन, तालाबंदी एवं चक्का जाम जैसे आंदोलनात्मक कदम उठाए जाएंगे। इसकी सारी जिम्मेवारी सरकार एवं प्रशासन की होगी।