सतबहिनी झरना तीर्थ में महायज्ञ का चौथा दिन Kandi

सब कुछ बन गए हम लेकिन बन न सके इन्सान : शांडिल्य 

सतबहिनी झरना तीर्थ में महायज्ञ का चौथा दिन
फोटो : पं. अखिलेश मणि शांडिल्य। 
फोटो : पं. धर्मराज शास्त्री। 
फोटो : उपस्थित श्रद्धालु। 

साकेत मिश्रा की रिर्पोट 
कांडी : सतबहिनी झरना तीर्थ में 24वें मानस महायज्ञ के चौथे दिन के प्रवचन सत्र में देवरिया के क्रांतिकारी कथा वाचक पं. अखिलेश मणि शांडिल्य ने कहा कि 24 वर्षों की यात्रा में बाहर का विकास विकास नहीं। अंत: चेतना विकसित हुई कि नहीं देखना होगा। इतने समय में श्रीराम की चेतना आई कि नहीं। वह कौन सी चीज है जो सत्संग के बिना पैदा हो ही नहीं सकती। वह है विवेक। भाई कह भाई के घर में आग लगा देते हैं, काम बने तो अमृत कहकर जहर पिला देते हैं। हिन्दू मुस्लिम सिख इसाई बौद्ध पारसी जैन, ब्राह्मण क्षत्री वैश्य शुद्र लड़ते रहते दिन रैन। सब कुछ बन गए हम लेकिन बन न सके इन्सान। 
मिर्जापुर से पधारे धर्मराज शास्त्री ने कहा कि हम सूर्य की किरणों का 5 मिनट भी सामना नहीं कर सकते तो एक हजार सूर्यों का तेज भगवान में है। उन्हें कैसे देख सकते हैं। हम अपनी कमी सुधार लें तो भगवान की जरूरत ही नहीं पड़ेगी। 
वृंदावन की देवी शिखा चतुर्वेदी ने कहा कि बच्चों को सनातन धर्म की शिक्षा दें। दीप जलाकर उसे बुझाने का रिवाज बंद करें। मनुष्य जीवन दुर्लभ है, इसमें भी सत्संग अत्यंत दुर्लभ है - आपको यहां दोनों उपलब्ध है। कहा कि भागवत भगवान के मुख से निकली वाणी है। भागवत मीठा फल है। जो केवल धरती पर उपलब्ध है। यह स्वर्ग, कैलाश, बैकुंठ कहीं उपलब्ध नहीं है। आचार्य सौरभ भारद्वाज ने रामलला के जन्म का संगीतमय प्रसंग प्रस्तुत किया। जल बिन चले न नइया चला के देख लेें, हरि भजन में क्या असर है गाकर देख लें। भक्ति का मर्म बताते हुए पं. मुन्ना पाठक ने कहा कि बचपन में सिखाया गया कि धरा धाम सत्य है, जवानी में बताया कि अर्थ काम सत्य है, पिंजरे का पंछी छोड़ चला तो बताया कि राम नाम सत्य है। यहां नवीन यज्ञशाला में पूजन, हवन व परिक्रमा तथा दूसरे मंडप में मानस का संगीत मय पाठ व प्रसाद वितरण हो रहा है। झरना घाटी के पार अवस्थित मंच पर प्रचन चल रहा है। जबकि मेला मैदान में सैकड़ों दुकानें सजी हैं। इनमें मिठाई, नमकीन, चाट, चाउमीन, होटल, सिंगार, जूता, चप्पल, रेडीमेड, फल, सब्जी, लोहे के औजार, लकड़ी के सामान, फोटो, स्टूडियो आदि की दुकानें शामिल हैं। इन दुकानों पर सैकड़ों लोगों को खरीदारी करते देखे जा रहे हैं। जबकि पास ही में टावर झूला, नाव झूला, ट्वाय ट्रेन आदि लगा है। लोग इनका भी आनंद ले रहे हैं।

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