मेरे कण कण में राम
राम बस एक शब्द नहीं , एक नाम नहीं बल्कि एक भाव हैं।
जिसको समझने के बाद मन से दिखावापन जैसी चीज निकल जाती है।मनुष्य जितना उस भाव में मग्न होता जाता है ,उतना ही मान-अपमान आदि से ऊपर उठता जाता है । इस भाव में जितनी बार हम गोते लगाते हैं उतनी बार एक नई ऊर्जा से भर जाते हैं। मैं इसे स्वयं महसूस करती हूँ।
राम को जीना ही उनकी सच्ची भक्ति है। और ये काम साल में किसी विशेष दिन को डीजे में चिल्ला-चिल्लाकर नारा लगाने जितना आसान नहीं। राम को जीने के लिए राम को समझना पड़ता है। और राम को समझने के लिए मन, विचार और कर्म से स्वयं को उनको समर्पित करना होता है । अपने को समर्पित करने का अर्थ है कि जो राम कहते हैं उस ओर बहने का प्रयास। जैसे
अपने आचरण को ऐसा बनाना जिससे लोगों को प्रेरणा मिले।
अपनी मर्यादा को ध्यान में रखना। किसी भी जीव को अपने सुख के लिए परेशान न करना।अपनी संस्कृति जिससे पोषित हो वह काम करना आदि।
आज के इस दिखावे भरे आधुनिक युग में मनुष्य के लिए ऐसा कर पाना बहुत कठिन है किन्तु असंभव नहीं।
अंजलि शाश्वत
युवा सांसद झारखण्ड
व
सहमंत्री, संस्कार भारती गढ़वा जिला इकाई