सतबहिनी झरना तीर्थ में मकर संक्रांति पर दूसरे दिन के मेला में 25 हजार लोगों ने लिया भाग Kandi

सतबहिनी झरना तीर्थ में 
मकर संक्रांति पर दूसरे दिन के मेला में 25 हजार लोगों ने लिया भाग
कई जिलों व राज्यों के हजारों लोग आए मेला

फोटो : सजी दुकानें व खरीदार। 

साकेत मिश्रा की रिर्पोट 
साकेत मिश्रा की रिर्पोट 
कांडी : प्रसिद्ध पर्यटन स्थल सतबहिनी झरना तीर्थ में मकर संक्रांति के पुण्यकाल के मौके पर वर्ष के तीसरे मेले में दूसरे दिन का मेला लगा। मालूम हो कि यहां  वैशाख पूर्णिमा, कार्तिक पूर्णिमा, मकर संक्रांति, माघ पूर्णिमा व महाशिवरात्रि के अवसर पर साल में 5 मेला लगता है। पांचो मेला यहां सदियों से लगता रहा है। आज सुबह भगवान सूर्य के मकर राशि में प्रवेश व उनके उत्तरायण होने के पवित्र मौके पर अहले सुबह से ही श्रद्धालुओं का झरना में स्नान शुरू हो गया। कड़ाके की ठंड व कनकनी में भी  सुबह से ही लोग झरना में स्नान करते देखे गए। दिन चढ़ते ही यह भीड़ और बढ़ गई। इसके बाद लोगों ने सतबहिनी भगवती माता महा दुर्गा, महालक्ष्मी व महाकाली, भैरवनाथ, भगवान भास्कर, बजरंग बली, भगवान शिव, साक्षी गणेश व नंदी महाराज के मंदिरों में दर्शन पूजन किया। उन्होंने तिल, चावल, द्रव्य आदि दान भी किया। भगवती मंदिर के निकट काफी संख्या में लोगों ने श्री सत्यनारायण व्रत कथा सुनी। इधर मेला में विभिन्न चीजों की सैकड़ों दुकानों पर लोगों ने प्रसाद, मिठाई, सिंगार, खिलौना, चाट चाउमीन, होटल, रेडीमेड, जूता चप्पल, रसोई सामग्री, सजावट, फोटो, स्टूडियो, सब्जी, कृषि उपकरण, पान, एलेक्ट्रिक मसाज सहित अन्य दुकानों पर हजारों लोग देर शाम तक खरीदारी करते रहे। सेतू मार्ग पर पांच रुपए में ललाट पर तिलक के साथ जय श्री राम लिखाने के लिए युवाओं का पूरे दिन तांता लगा रहा। दूसरे दिन स्थानीय गावों के साथ साथ पलामू, लातेहार, लोहरदगा, रांची सहित यूपी, बिहार, छत्तीसगढ़, एमपी, बंगाल, राजस्थान, उड़ीसा आदि राज्यों के करीब 25 हजार पर्यटकों ने मेला में भाग लिया। 
काफी प्राचीन है स्थल :- यह स्थल प्राचीन काल का एक धार्मिक व प्राकृतिक धरोहर है। यहां मनोरम झरना, कलकल बहती नदिया, मीलों तक फैली टीलों व बिहड़ों की सुंदर वादियां, हरियाली, भव्य मंदिरों की श्रृंखला लोगों को आकर्षित करती है। साथ ही झरना से उत्तर तरफ रहस्यमयी सातमंजिली साधना सह समाधि गुफा अवस्थित है। इस गुफा पर्वत के नीचे कोई  न कोई महल या मंदिर छिपा हुआ है जो खोज का विषय है। तीन सौ साल पहले एक ऋषि बाबा शामदास ने इसी में वर्षों साधना की थी। उन्होंने यहीं समाधि भी ली थी।  इस मौके पर मां सतबहिनी झरना तीर्थ एवं पर्यटन स्थल विकास समिति के अध्यक्ष नरेश प्रसाद सिंह, सचिव पं. मुरलीधर मिश्र, कोषाध्यक्ष विभूति नारायण द्विवेदी, सुदर्शन तिवारी, प्रियरंजन सिन्हा, डॉ प्रमोद कुमार सिंह, जयकिशुन राम, रघुनंदन राम, अशर्फी सिंह, राम जन्म पांडेय, रामदास दुबे, अवधेश गुप्ता, सुखदेव साव सहित काफी संख्या में लोग उपस्थित थे। उद्घोषणा व संचालन प्रियरंजन सिन्हा व दिलीप कुमार पांडेय ने की।

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