विशुनपुरा
प्रखंड के पतिहारी गांव में स्वतंत्रता सेनानी व आजाद हिंद फौज के सिपाही बिस्मिल्लाह खां के कब्र पर शनिवार को चादर पोसी की गयी.
वर्ष 1890 में जन्मे बिस्मिल्लाह खां की मौत 107 वर्ष के उम्र में 2 दिसंबर 1996 को हो गई थी.
पतिहारी गांव में परिजनों की ओर से हर वर्ष उनके कब्र पर चादरपोशी की जाती है.
स्वतंत्रता सेनानी के पुत्र अनवर मियां, मनौवर मियां, बदरुद्दीन मियां, हसन मियां ने बताया कि उनके पिताजी स्वतंत्रता सेनानी बिस्मिल्लाह खां सुभाष चंद्र बोस के बहुत करीबी थे. सुभाष चंद्र बोस के साथ रहकर उन्होंने देश की आजादी की लड़ाई में अहम भूमिका निभाई थी.
बिस्मिल्लाह खां का जन्म 7 दिसंबर 1890 में भवनाथपुर थाना अंतर्गत अरशली गांव में हुआ था. वह मुंशी तेज अली खां के पुत्र थे. 8 वर्ष के उम्र में ही बिस्मिल्लाह खां के माता-पिता की मौत हो गयी थी. इसके बाद भवनाथपुर थाना के जिम्मेदार सैयद याकूब ने उन्हें होनहार देखकर अपने साथ बिहार के गया जिला अंतर्गत कुर्मावा गांव ले गए. वहीं पर उनका पालन पोषण के साथ मिडिल स्कूल तक शिक्षा भी दिलाई. इसके बाद उनकी पहली शादी दानापुर बिहार में जमीला खातून से हुयी थी. उनके ससुर रेलवे ड्राइवर थे.
स्वाभिमानी विचारधारा और अन्याय के साथ कभी समझौता नहीं करने वाले बिस्मिल्लाह खां सुभाष चंद्र बोस के नेतृत्व में आजाद हिंद फौज का गठन हो रहा था. उस समय लगभग 45000 फौजी थे. स्वाभिमानी विचारधारा व अन्याय के खिलाफ लड़ाई लड़ने वाले बिस्मिल्लाह खां सुभाष चंद्र बोस के आजाद हिंद फौज के एक जिम्मेवार सिपाही माने जाते थे.
उनके परिजन बताते है कि हिंदुस्तान और पाकिस्तान के बंटवारे के बाद उनकी पहली पत्नी अपने अब्बा के साथ पाकिस्तान जाने लगी. उन्हें भी साथ चलने को कहा पर इन्होंने पाकिस्तान जाने से इनकार कर दिया. पत्नी के बार बार कहने पर उन्होंने कहा कि मुझे इस वतन से प्यार है. वह देश छोड़कर नहीं जा सकते. वह अपनी पत्नी को छोड़ भारत में ही रह गए.
परिजनों ने बताया कि 10 वर्ष पूर्व सरकार द्वारा सम्मानित भी किया जाता था. लेकिन अब प्रसासन कि नजरो से दूर है.
ग्रामीणों का आरोप है. कि स्वतंत्रता सेनानी और आजाद हिंद फौज के जिम्मेवार सिपाही का पैतृक गांव पतीहारी आज भी विकास से कोसों दूर है.