सुंडीपुर मवि में 5 महीने से नहीं है एसएमसी, प्रारंभिक शिक्षा में लोक भागीदारी शून्य
साकेत मिश्रा की रिर्पोट
कांडी : प्रखंड क्षेत्र के एक सरकारी स्कूल की शिक्षा व्यवस्था में लोक भागीदारी के प्रावधान का मखौल उड़ाया जा रहा है। इस स्कूल में अभिभावकों की सहभागिता वाली विद्यालय प्रबंधन समिति पांच महीने से अस्तित्व में नहीं है। यह मामला राजकीय मध्य विद्यालय सुंडीपुर का है। प्रखंड क्षेत्र के गाड़ा खुर्द पंचायत के सुंडीपुर गांव स्थित मध्य विद्यालय सुंडीपुर एक प्रमुख शैक्षणिक संस्थान है। बावजूद इसके यहां विगत पांच महीने से विद्यालय प्रबंधन समिति कार्यरत नहीं है। जिस कारण स्कूल में पढ़ाई कर रहे छात्र छात्राओं के माता पिता की सीधी भागीदारी से विद्यालय वंचित है। मालूम हो कि स्कूल के कार्यकलाप के प्रभावित होने को लेकर पंचायत की मुखिया आरती सिंह ने प्रखंड शिक्षा प्रसार पदाधिकारी कांडी का ध्यान आकृष्ट कराया था। जिसके आलोक में बीईईओ ने चार जुलाई 2023 को उनके तत्काल प्रभाव से इस स्कूल की एसएमसी को भंग कर दिया। बावजूद इसके महीनों तक भंग समिति ही विद्यालय की प्रबंधकीय गतिविधियों को संचालित करती रही। इससे क्षुब्ध होकर समिति के आठ सदस्यों ने अपना इस्तीफा सौंप दिया। उन्होंने समिति की तत्कालीन अध्यक्ष व प्रधानाध्यापक की मिली भगत व सदस्यों की कोई पूछ नहीं होने का आरोप लगाया। इसके बाद भी लंबी अवधि तक बिना सदस्यों वाली भंग समिति ही कार्यरत रही। यह मामला कई बार समाचार माध्यमों की सूर्खियां बना। इसके बाद भी विद्यालय प्रबंधन समिति के पुनर्गठन की दिशा में किसी तरह की कार्रवाई करना मुनासिब नहीं समझा गया। हां इतना जरूर किया कि आनन फानन में 11 सितंबर 2023 को एक तदर्थ समिति (एडहॉक कमेटी) का गठन कर दिया गया। जिसमें एक संकुल साधन सेवी प्रभू राम, प्रधानाध्यापक प्रदीप कुमार उरांव व विद्यालय के ही एक शिक्षक रमेश कुमार पूर्वे को शामिल किया गया है। जिसमें समुदाय की भागीदारी शून्य है। इस प्रकार शिक्षा विभाग राजकीय मध्य विद्यालय सुंडीपुर का अनोखे तरीके से संचालन कर रहा है। इसकी जानकारी जिला स्तरीय नियंत्री पदाधिकारियों को भी है। क्योंकि दैनिक भास्कर द्वारा इस संबंध में पूछे जाने पर जिला शिक्षा अधीक्षक आकाश कुमार ने कहा था कि भिलेज पॉलीटिक्स के कारण एसएमसी का पुनर्गठन नहीं कराया गया है। एडहॉक कमेटी बनाई गई है। चार दिसंबर को हो रहा चुनाव भी विवाद के कारण नहीं हो सका।क्योंकि मौके पर पुलिस बल के साथ किसी बड़े पदाधिकारी की उपस्थिति जरूरी थी। जो नहीं थी।