अपील : चाइनीज लाइटों की जगह मिट्टी के दीप जलाकर मनाएं दिवाली उत्सव diya

अपील : चाइनीज लाइटों की जगह मिट्टी के दीप जलाकर मनाएं दिवाली उत्सव
पंच तत्वों का प्रतीक है मिट्टी का दीपक : प्रिंस

साकेत मिश्रा की रिर्पोट 
कांडी : दीपावली महापर्व व धनतेरस को लेकर प्रखण्ड क्षेत्र के कांडी मुख्य बाजार साहित ग्रामीण इलाकों में लोग जोरो की खरीदारी में लगे हुए हैं। वैसे में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के नगर मंत्री प्रिंस कुमार सिंह ने लोगों अपील किया है की वे दीपावली पर्व पर बाजार से चाइनीज वस्तुओं को न खरीदें। इनकी जगह स्वदेशी वस्तुओं की खरीद को प्राथमिकता दें। चाइनीज लाइटों और दीयों की जगह मिट्टी के दीप जलाकर दिवाली मनाएं। इससे देश को आर्थिक नुकसान भी नहीं होगा और अपनी संस्कृति के अनुरूप उत्सव मनाया जा सकेगा। दीप की जगमगाती रोशनी के सामने कृत्रिम साज सज्जा के समान फीके है। मिट्टी का दीप हमें हमारे भारतीय संस्कृति से जोड़े रखता है।
प्रिंस ने कहा है कि अपने हाथों से दीपक बना कर रोशनी का पर्व दीपावली का आमतौर पर बड़ी उत्सुकता से इंतजार करने वाले कुम्हार भाई बहन दीपक की जगह बिजली से जगमगाने वाले झालरों और बल्बों के बढ़ते वर्चस्व से खुद को आर्थिक रूप पीछे और कमजोर सा महसूस करते हैं। दिवाली पर उनकी मेहनत, लग्न और कला को सम्मान देना हमारा फर्ज है। ऐसे में पुरे प्रखण्ड वासियों से आग्रह होगा कि दिपावली पर मिट्टी के दीये का प्रयोग कर आत्मनिर्भर समाज की परिकल्पना को चरितार्थ करें। मिट्टी से जुड़ी हर चीज की जरूरत हम सबको है। मिट्टी का दिया पंच तत्व का प्रतीक है, इसे मिट्टी को पानी में गला कर बनाते हैं जो भूमि तत्व और जल तत्व का प्रतीक है, उसे बनाकर धूप और हवा से सुखाया जाता है जो आकाश तत्व और वायु तत्व के प्रतीक हैं फिर आग में तपाकर बनाया जाता है। दूसरी ओर ये यह ईको फ्रेंडली भी है। इसलिए दिवाली जैसे महापर्व पर पर्यावरण संरक्षण की ओर कदम बढ़ाते हुए मिट्टी के दिये का प्रयोग अवश्य करें, ताकि इस रोजगार से जुड़े लोगों का रोजगार और मनोबल दोनों बढ़े। प्रिंस ने कहा कि दीपावली पर्व पर बाजार में चाइनीज वस्तुओं की भरमार है, आकर्षक और सस्ती वस्तुओं के चक्कर में आकर लोग चाइनीज वस्तुओं की खरीद करते हैं। इसके चलते अपने देश का पैसा दूसरे देश में जाता है। ऐसे में देश की आर्थिक स्थिति कमजोर होती है। उन्होंने लोगों से अपील किया है की दीपावली पर्व पर चाइनीज झालर, बल्ब और अन्य सामान न खरीदे। स्वदेशी वस्तुओं की ही खरीद करें। इससे दिवाली के कारोबार से जुड़े गरीब परिवारों की भी मदद हो जाएगी।

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