झारखंड राज्य हिंदू धार्मिक न्यास बोर्ड ने सतबहिनी झरना तीर्थ में इसका विकास करनेवाली पुरानी समिति को किया बहाल
इसे समिति ने आमजनों की निष्ठा, धैर्य, समर्पण एवं विश्वास की जीत बताया
फोटो : सतबहिनी झरना तीर्थ का विहंगम दृश्य।
साकेत मिश्रा की रिर्पोट
कांडी : प्रसिद्ध पर्यटन स्थल सतबहिनी झरना तीर्थ में पूर्व से कार्यरत मां सतबहिनी झरना तीर्थ एवं पर्यटन स्थल विकास समिति को फिर से बहाल कर दिया गया है। एक प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से इस आशय की सूचना देते हुए झारखंड राज्य हिंदू धार्मिक न्यास बोर्ड के सदस्य संजीव कुमार तिवारी ने कहा है कि 25 सितंबर 2023 को झारखंड राज्य हिंदू धार्मिक न्यास बोर्ड के आदेश से सतबहिनी झरना तीर्थ स्थल कांडी में आम सभा का आयोजन किया गया। आम सभा से पूर्व दोनों पक्षों रामचंद्र चंद्रवंशी विधायक एवं नरेश प्रसाद सिंह को पत्राचार के माध्यम से सूचना देकर आम सभा में उपस्थित होने को कहा गया था। मगर रामचंद्र चंद्रवंशी विधायक उपरोक्त तिथि की आमसभा में अनुपस्थित रहे और ना ही उनका कोई प्रतिनिधि ही आमसभा में उपस्थित हुआ। जबकि हजारों की संख्या में उपस्थित ग्रामीणों ने एक स्वर में कहा कि नरेश सिंह वर्षों से सतबहिनी में सतबहिनी झरना तीर्थ स्थल के विकास के लिए कार्य करते आ रहे हैं तो उन्हें की अध्यक्षता में समिति को कार्य करने का आदेश दिया जाए। इसलिए पूर्व समिति, नरेश प्रसाद सिंह की अध्यक्षता वाली कमेटी को बहाल किया जाता है। इस सूचना को पाकर लोगों में काफी खुशी है। यह करीब एक लाख की संख्या में मां सतबहिनी झरना तीर्थ एवं पर्यटन स्थल विकास समिति से जुड़े हुए लोगों की निष्ठा एवं समर्पण की जीत है। लोगों ने अक्टूबर 2017 से आज तक गजब का धैर्य एवं सतबहिनी भगवती के ऊपर अटूट विश्वास का परिचय दिया है। सच ही कहा गया है कि सत्य परेशान हो सकता है लेकिन पराजित नहीं हो सकता। वर्ष 2001 से लेकर 2017 यानि 17 वर्षों तक संपूर्ण समर्पण के साथ सतबहिनी के विकास में जुटे हुए आम जनों ने इसे शून्य से शिखर पर पहुंचाया है। लोगों ने कहा विकास के लिए जवाबदेह जन प्रतिनिधि को सतबहिनी के नाम से भी परहेज था। कहते थे कि मेरे सामने सतबहिनी का नाम भी मत लीजिए। जब आमजनों ने समिति के साथ मिलकर करोड़ों रुपए खर्च कर इसका विकास कर दिया तो उसी व्यक्ति ने फर्जी तरीके इस पर कब्जा जमा लिया। लेकिन सतबहिनी के श्रद्धालुओं को कानून पर भरोसा था। अंत में जीत सत्य की हुई। अभी भी कोर्ट द्वारा दो दो बार खारिज कर दिए गए व आम सभा का सामना करने से डरनेवाले लोग इस जीत को भी अमान्य बता रहे हैं। ठीक ही कहा है जाकी रही भावना जैसी.. आज लोगों के भरोसे एवं विश्वास की जीत हुई है। इसके लिए सभी आमजन बधाई के पात्र हैं।