झारखंड राज्य हिंदू धार्मिक न्यास बोर्ड के पुर्व कार्यकारी अध्यक्ष सह विधायक प्रतिनिधि अजय कुमार सिंह ने एक प्रेस कांफ्रेंस किया Kandi

झारखंड राज्य हिंदू धार्मिक न्यास बोर्ड के पुर्व कार्यकारी अध्यक्ष सह विधायक प्रतिनिधि अजय कुमार सिंह ने एक प्रेस कांफ्रेंस किया
फोटो -प्रेस वार्ता करते विधायक प्रतिनिधि व अन्य।

साकेत मिश्रा की रिर्पोट 
कांडी : प्रखंड क्षेत्र अंतर्गत  प्रसिद्ध सतबहिनी झरना तीर्थ व पर्यटन स्थल के प्रांगण में रविवार को झारखंड राज्य हिंदू धार्मिक न्यास बोर्ड के पुर्व कार्यकारी अध्यक्ष सह विधायक प्रतिनिधि अजय कुमार सिंह ने एक प्रेस कांफ्रेंस किया । जहां उन्होंने अपने ब्यान  में कहा कि बीते 25 सितंबर को न्यास बोर्ड रांची के निर्देश पर एक आम सभा का आयोजन किया गया था, जहां हो हंगामा के अलावे कुछ भी नहीं हुआ था। बोर्ड सदस्य संजीव कुमार तिवारी कह कर गए थे कि जनभावना की बात समझ चुका हूं। इसे बोर्ड की बैठक में रखूंगा, लेकिन बोर्ड में बताते-बताते 06 सितंबर बीत गया। 07 अक्टूबर को संजीव कुमार तिवारी के द्वारा सोशल मीडिया के माध्यम से एक प्रेस विज्ञप्ति जारी किया गया की पुरानी कमीटी को बहाल किया जा रहा है और नरेश प्रसाद सिंह को अध्यक्ष नियुक्त किया जाता है। मेरा कहना है कि उनके पास क्या अधिकार है। श्री तिवारी न्यास बोर्ड के एक सदस्य हैं जबकि न्यास बोर्ड में और कई वरीय पदाधिकारी हैं।सतबहिनी झरना तीर्थ स्थल को इतना छोटा समझ रहे हैं कि अकेला एक सदस्य निर्णय दे रहे हैं। जबकि बोर्ड में पांच सदस्यीय टीम है। जब हाईकोर्ट में केस दर्ज है और हाई कोर्ट से यह निर्देश दिया गया कि बोर्ड के सदस्य जाकर जांच करें कि ट्रस्ट फर्जी है या नहीं। इस सम्बन्ध में कोर्ट को जांच रिपोर्ट सौंपना था। अभी तक कमीटी बर्खास्त नहीं है, केवल निलंबित है। इस के बावजूद भी अकेला सदस्य इतना बड़ा फैसला कैसे ले लिया। जबकि उनके द्वारा जारी लेटर पैड पर पत्रांक भी अंकित नहीं है। यह जो मामला है डबल बेंच में हमलोग अपील किए हैं, जो अभी चल रहा है। संजीव कुमार तिवारी एक और बात कहे थे कि सतबहिनी झरना तीर्थ स्थल को हम चारागाह नहीं बनने देंगे। मैं उनको एक बात अवश्य बताना चाहता हूं कि सबसे पहले तो वे ही सतबहिनी को चर रहे हैं। एक बड़े मजे की बात है कि जब प्रधानमंत्री के द्वारा नवम्बर 2016 में नोट बन्दी किया गया था। तब 2016 में यहां बड़ा मंदिर का ढ़लाई किया गया था। वह भी जब घाटा में ढ़लाई हुआ था। नोटबन्दी में भी इतना पैसा कहां से अचानक दस लाख रुपया आ गया, वह भी बड़ा बड़ा नोट। जब हिन्दू धार्मिक न्यास बोर्ड बना तो आनन-फानन में पूर्व विकास समिति द्वारा एकाउंट से पैसा निकाल लिया गया। समय आने दिजिए तो मैं बताऊंगा विकास समिति के सम्बन्ध में। जरुरत पड़ने पर प्रमाण भी दुंगा। चिठ्ठी में दिखाया गया है कि पुरानी कमीटी को बहाल किया जा रहा है। जबकि आमसभा से पुर्व बताया गया था कि कांडी प्रखंड के लोग अपना-अपना आधार कार्ड साथ लेकर आएं। चुनाव में केवल कांडी प्रखंड के ही लोग हिस्सा ले सकते हैं।हास्यास्पद  यह है कि आयोजित आमसभा में कांडी प्रखंड के लोग पहुंचे और मझिआंव प्रखंड के व्यक्ति अध्यक्ष क्यों बने ? इसका पूरजोर विरोध होगा। पुनः आमसभा होगा, जिसका हमारे माननीय विधायक रामचन्द्र चन्दवंशी फेस भी करेंगे। कांडी प्रखंड के ही व्यक्ति अध्यक्ष भी बनेगा। 22फरवरी को जब कोर्ट का पहली बार आदेश आया था तो पुर्व समिति के अध्यक्ष आमजन कुटिया से बोल रहे थे कि राजनीतिक करने वाले व्यक्ति अध्यक्ष नहीं हो सकते तो क्या नरेश सिंह इस सवाल का जबाब दे सकते हैं कि वे राजनीतिज्ञ हैं कि नहीं। वह एक बार चुनाव भी लड़ चुके हैं। 27 हजार वोट भी पा चुके हैं। अब वे विधिवत राजद के मेंबर भी हैं। राजद के झंडा भी लगाकर चलते हैं। जब राजनीतिज्ञ को अध्यक्ष नहीं बनना है तो वह कैसे बन रहें हैं। 2019 में मां सतबहिनी की कृपा से उन्हें फल मिल गया है। 2024 में भी मिल जाएगा। 

मौके पर रविन्द्र चंद्रवंशी, ललित बैठा, दुदुन उपाध्याय, विजय सिंह, जगरनाथ मेहता, संजय गुप्ता, सरयू राम, अशोक कुमार, ब्रह्मदेव राम, लछु राम सहित दर्जनों लोग उपस्थित थे।

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