काव्यानुरागी" साहित्य विधा के नवोदित रचनाकारों लिए वरदान साबित होगा : के. डी. पाठक
कला एवं समाज सेवा को समर्पित संस्था पंडित हर्ष द्विवेदी कला मंच नवादा, गढ़वा द्वारा नवोदित रचनाकारों को समर्पित काव्यानुरागी नमक कार्यक्रम का तृतीय आयोजन बंधन मैरेज हॉल नवादा मोड़ ,गढ़वा में किया गया।
सर्वप्रथम उपस्थित जनों के द्वारा भगवान नटराज की प्रतिमा के समक्ष दीप प्रज्वलन और पुष्पार्चन किया गया। योग साधिका अर्चना कुमारी द्वारा किए गए मंत्रोच्चार से कार्यक्रम की शुरुआत हुई।
विषय प्रवेश कराते हुए पंडित हर्ष द्विवेदी कला मंच के निदेशक नीरज श्रीधर स्वर्गीय ने कहा कि नवोदित रचनाकारों को उचित मार्गदर्शन मिले और उनके अंदर काव्य-रचना की जो प्रतिभा है वह निखरकर सबके सामने आए। इसी उद्देश्य के साथ काव्यानुरागी नमक आयोजन के माध्यम से उन्हें मंच प्रदान किया जाता है। साथ ही ऑनलाइन जुड़े कवि के से परस्पर संवाद के माध्यम से नवोदित रचनाकारों की रचना धार्मिकता का परिष्कार भी होता है।
मुख्य अतिथि कवि के रूप में दिल्ली से ऑनलाइन जुड़े भोजपुरी के प्रख्यात कवि एवं पत्रकार के. डी. पाठक ने कहा कि पंडित हर्ष द्विवेदी कला मंच के द्वारा नवोदित रचनाकारों को समर्पित काव्यानुरागी नामक कार्यक्रम का आयोजन साहित्य के क्षेत्र में एक महा अभियान है। इस महा अभियान के माध्यम से निखरकर निकलने वाले साहित्यकार अपनी वैश्विक पहचान बनाने में निश्चित रूप से सक्षम हो सकेंगे। श्री पाठक ने अपनी भोजपुरी कविता "भोजपुरी हमार मातृभाषा ह..."
तथा अपनी हिन्दी कविता
"मैं दिनकर बोल रहा हूँ,
मैं दिनकर बोल रहा हूँ,
वेद ,वेदांगों और उपनिषदों से
रचे-बसे भारतीय संस्कृति का स्वर
तुम्हारे कानों में घोल रहा हूँ
मैं दिनकर बोल रहा हूँ..." प्रस्तुत कर सभी को प्रभावित किया।
"बसो मेरो नैनन में नंदलाल..." की प्रस्तुति राजकीय मध्य विद्यालय चिरौंजिया की छात्राएँ सोनाली,पुष्पा तथा रिंकू ने की।
शान्वी मधुकर ने "मैंने चूहा पकड़ लिया आहा जोर से पकड़ लिया..." प्रस्तुत किया।
गढ़वा जिला की प्रथम कवयित्री अंजलि शाश्वत ने अपनी भोजपुरी कविता "सरकारी शिक्षक के जइसन महान केहु नईखे,
ओकरा से बेसी बिदवान केहु नइखे..." प्रस्तुत की।
सौरभ कुमार तिवारी ने "नमन करूं मैं आज उन्हीं चरणों में भारत माता के..." प्रस्तुत किया।
अलका कुमारी ने अपनी रचना "ना रोक उसे अभय प्रगति पथ पर बढ़ने दे..." प्रस्तुत की।
जाह्नवी कुमारी ने अपनी रचना "प्रेम राधा कृष्ण में अपार था,एक श्वांस तो दूजा धड़कन का आधार था..."
प्रस्तुत की।
दीप्ती तिवारी ने अपनी रचना "खुशी इस बात की नहीं कि मैं आजाद हो रही हूँ,
गम इस बात का है कि मैं अपने आप को खो रही हूँ..." प्रस्तुत की।
पुरुषोत्तम सिंह चंदेल ने अपनी रचना "था कैसा साथ ये तेरा जो बीचों बीच छोड़ा है..." प्रस्तुत की।
शिवम चौबे ने अपनी रचना "श्रीमती का दर्जा मिला मिला सम्मान देवी का..." प्रस्तुत की।
नीरज मालाकार ने अपनी रचना "मांग भरना तो एक रिवाज भर है, साथी का जीवन खुशियों से भरो तो कोई बात बने..." प्रस्तुत की।
जय प्रकाश विश्वकर्मा ने अपनी रचना "तू उड़ता चल, तू उड़ता चल,
समय की रेत पर, काँटों की सेज पर..." प्रस्तुत की।
अद्भुत प्रभात ने अपनी रचना "निकट कर्ण के प्रिय शब्द तेरे, सुमधुर सुन आह्लादित मन है..." प्रस्तुत की।
आलम झारखंडी ने अपनी रचना "अगर भारतीय हैं तो बने हिन्दी प्रेमी, यह भी सबको बताना पड़ेगा?..." प्रस्तुत की।
अखिल भारतीय साहित्य परिषद् के गढ़वा जिला संयोजक प्रमोद कुमार ने अपनी रचना "कर लो जो करना काम अभी, यह वक्त निकलता जाता है..." प्रस्तुत की।
आयोजन को सफल बनाने में बंधन मैरेज हॉल के प्रोपराइटर विजय सोनी , कुमार गौरव गर्ग, रीतेश चौबे, राम प्रदीप राम, रोबिन कश्यप तथा फलाहारी बाबा का महत्वपूर्ण योगदान रहा।
कार्यक्रम का संचालन काव्यानुरागी की सूत्रधार अंजलि शाश्वत ने किया।
योग साधिका अर्चना कुमारी द्वारा करवाए गए शांति पाठ "सर्वे भवन्तु सुखिन:..." के साथ कार्यक्रम सम्पन्न हुआ।