मैं एक पत्रकार हूं सकेत मिश्रा की ✍️ कलम से saket

हां साहब मैं एक लाचार कलमकार हूं फिर भी बड़े ही गर्व से कहता हूं हां मैं एक पत्रकार हूं

मैं एक पत्रकार हूं सकेत मिश्रा की ✍️ कलम से 
कांडी: हां मैं एक पत्रकार हूं। लोगों की समस्याओं से रुबरु करवाऊं जब अपने पर पड़े तो खुद को अकेला पाऊं क्यूंकि मैं पत्रकार हूं। आज मैं बात करने जा रहा हूं। श्रमजीवी पत्रकारों के बारे में जी हां सही सुना आपने यूं तो पत्रकारों को देश का चौथा स्तंभ कहा जाता है। लेकिन सोचनीय विषय तो यह है। कि क्या अगर वही स्तंभ कमजोर हो जाए तो क्या घर की वही मजबूती बनी रहेगी कुछ ऐसा ही हाल आज हम श्रमजीवी पत्रकारों का हो गया है। यूं तो एक तरफ बड़े ही शानो शौकत के साथ हम खोजे जाते हैं वहीं दूसरी तरफ अपने काम निकालने के बाद हम पत्रकारों पर ही उंगली उठाए जाते हैं अगर सच्चाई दिखाऊं तो धमकी और नोटिस पकड़ा दिए जाते हैं और एक मिस्टेक हो गई तो बिकाऊ और दलाल बता दिए जाते हैं अभी-अभी हमने बताया और आप सभी जानते भी हैं कि पत्रकारों को देश का चौथा स्तंभ कहा जाता है। सोचनीय विषय तो यह है। कि अगर घर का स्तंभ ही कमजोर हो जाए तो पूरे भवन का क्या हाल होगा आज स्थिति ऐसी हो गई है। कि लोग पत्रकारिता के क्षेत्र से दूर भागने लगे हैं और ऐसा हो भी क्यों नहीं एक बड़ा ही मशहूर कहावत है। अंधेर नगरी चौपट राजा टके सेर भाजी टके सेर खाजा जिस नागर का राजा ही अंधा हो उस राज्य का तो यह हाल होना ही है। हम श्रमजीवी पत्रकारों को ना कोई मासिक भत्ता दिया जाता है। यहां तक की पेट्रोल भी खुद के पैसे से ही डलवाना होता है। अपना ढेर सारी मेहनत और बहुमूल्य समय को एक पत्रकार पत्रकारिता के पीछे न्योछावर कर देता है लेकिन अबतक कोई भी नेता या मंत्री का कोई भी विचार हम पत्रकारों या उनके सुरक्षा को लेकर के सामने नहीं आता और न ओ कभी इस बिसय पर चर्चा करना सही समझते बल्कि आज के राजनेता बड़े-बड़े भाषण देते नहीं थकते कि देश संकट में है। लेकिन आश्चर्य तो तब होता है। जब देश में व्याप्त भ्रष्टाचार और दुराचार को दिखाने वाले पत्रकार संकट में होते हैं उस वक्त किसी राजनेता का आवाज नहीं निकलता अगर कोई पत्रकार सच्चाई दिखाने की गुस्ताखी कर भी ले तो उसे तुरन्त नोटिस पकड़ा दिया जाता है। कई बार तो एफआईआर करने और जान से मारने जैसी बड़ी धमकियां भी दी जाती है। एक तरफ तो महोदय जैसा बड़ा शब्द का प्रयोग किया जाता है। वहीं दूसरी तरफ नोटिस जैसे पत्र जारी कर उन्हें जलील भी किया जाता है। हां साहब मैं एक लाचार कलमकार हूं। फिर भी बड़े ही गर्व से कहता हूं। क्यूंकि मैं एक पत्रकार हूं।

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