अस्पताल से एक मरीज को रेफर कर दिए जाने के बाद उसके पुत्र के द्वारा जमकर बवाल काटा गया। asptal

फोटो : मरीज की तस्वीर। 

साकेत मिश्र की रिपोर्ट
कांडी : स्थानीय अस्पताल से एक मरीज को रेफर कर दिए जाने के बाद उसके पुत्र के द्वारा जमकर बवाल काटा गया। उन्होंने कहा कि जब उल्टी की दवा या इलाज इस अस्पताल में उपलब्ध नहीं है तो आखिर किस बात का अस्पताल और डॉक्टर हैं। जबकि उस मरीज का इलाज करने वाले डॉक्टर का कहना है कि उक्त मरीज का समुचित इलाज किया गया है और मरीज ठीक है। सावधानी के तौर पर बीमारी बढ़ने या संबंधित जांच कराने के लिए रेफर लिखा गया है। मालूम हो कि कांडी प्रखंड क्षेत्र के लमारी खुर्द गांव निवासी रामेश्वर सिंह उम्र 80 वर्ष के पुत्र वीरेंद्र कुमार सिंह के अनुसार उनके पिता को दो बार उल्टी हुई थी। उन्हें लाकर 11:30 बजे कांडी अस्पताल में भर्ती कराया गया। उसके बाद उनका इलाज किया गया। स्लाइन भी किया गया। डॉक्टर ऑन ड्यूटी सह 3 प्रखंडों के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉक्टर गोविंद प्रसाद सेठ नै मरीज का इलाज किया। वीरेंद्र सिंह के अनुसार साढ़े 3:00 बजे के बाद उनके मरीज को रेफर कर दिया गया। उनका कहना है कि जब किसी मरीज की उल्टी का भी इलाज नहीं हो सकता है तो करोड़ों रुपए लगाकर अस्पताल क्यों खोला गया। लाखों रुपए व्यवस्था पर खर्च किए जा रहे हैं। डॉक्टर आ रहे हैं तो ऐसा क्यों हो रहा है। इस मामले को लेकर डॉक्टर गोविंद प्रसाद सेठ से बात करने पर उन्होंने मरीज का फोटो उपलब्ध कराते हुए कहा कि मरीज को उल्टी हुई थी। जिनका सुई दवा स्लाइन किया गया है। मरीज की स्थिति ठीक है। आप फोटो में देख सकते हैं की मरीज बैठकर पानी पी रहे हैं। उन्होंने कहा कि जिला में डीसी के साथ उनकी मीटिंग थी। करीब 2:00 बजे अस्पताल से निकलने के समय उन्होंने आयुष चिकित्सक डॉ विशाल कुमार मिश्रा को रेफर की पर्ची लिखकर दे दिया था कि यदि स्थिति बिगड़ती है या कोई और बेहतर इलाज की मांग करें तो उसे रेफर कर दीजिएगा। उन्होंने कहा कि कांडी में जांच की कोई सुविधा उपलब्ध नहीं है। वहां डॉक्टर भी नहीं हैं। बाहर से डॉक्टर जाकर अस्पताल को संचालित कर रहे हैं। ऐसी स्थिति में मरीज ठीक है और गार्जियन शोरगुल मचाएंगे तो फिर अस्पताल कैसे चलेगा। प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉक्टर गोविंद सेठ ने नेशनल मेडिकल कमिशन का एक निर्देश दिखाते हुए कहा कि डॉक्टर के ऊपर बेवजह दबाव बनाया जाएगा तो वह मरीज का इलाज करने से मना भी कर सकता है। उल्लेखनीय है कि जिला में डॉक्टरों की कमी के कारण कंडी अस्पताल में एक भी सरकारी डॉक्टर उपलब्ध नहीं था। इस स्थिति को लेकर डीसी रमेश घोलप से मुलाकात कर और दयनीय स्थिति बताने के बाद गढ़वा एवं मझिआंव सीएचसी के डॉक्टर का रोस्टर बनाकर कंडी में ड्यूटी लगाई गई है।

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