48 करोड़ रुपये की लागत से निर्माण कराये जा रहे जल मीनार में भारी अनियमितता का ग्रामीणों ने लगाया आरोप jal minar

डंडई से बिंदु कुमार कि रिपोर्ट 
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डंडई प्रखंड के 28 गांवों में लगभग ₹48 करोड़ रुपये की लागत से निर्माण कराये जा रहे जल मीनार में भारी अनियमितता का ग्रामीणों ने लगाया आरोप ।
जरही पंचायत के ग्रामीणों ने कहा जल मीनार में मिट्टी युक्त बालू, मिट्टी युक्त गिट्टी का किया जा रहा  इस्तेमाल।
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डंडई प्रखंड क्षेत्र के 28 गांव में लगभग ₹48 करोड़ रुपये की लागत से निर्माण कराये जा रहे जल मीनार निर्माण कार्य में संवेदको के द्वारा भारी अनियमितता बरतने का मामला प्रकाश में आया है। सोमवार को जरही पंचायत निवासी ग्रामीण मीरा देवी,कलिता देवी ,संजय कुमार चौधरी, गनवरी चौधरी
 सहित अन्य ने बताया कि करोड़ों रुपए की लागत से जरही पंचायत में बन रहे जल मीनार में ठेकेदार के द्वारा भारी अनियमितता बरती जा रही है। आरोप लगाते हुए ग्रामीणों ने बताया कि जल मीनार निर्माण कार्य में मिट्टी युक्त बालू, मिट्टी युक्त गिट्टी सहित अन्य सामग्री घटिया किस्म के लगाया जा रहा है। बताया कि यदि इस तरह के जल मीनार निर्माण कार्य पूरा किया जाएगा तो, कुछ ही वर्षों में  जल मीनार ध्वस्त हो जाएगा। बताया कि निर्माण कार्य करवा रहे  ठेकेदार और मुंशी से शिकायत करने के बावजूद भी धड़ल्ले से निर्माण कार्य में भारी अनियमितता बरती जा रही है। साथ ही अन्य ग्रामीणों ने बताया कि जल मीनार निर्माण कार्य के दौरान यदि इसका खुलकर विरोध नहीं हुआ। तो ठेकेदार जैसे तैसे निर्माण कार्य पूरा कर  यहां से चलते बनेंगे। जिससे हम लोगों को आगे चलकर जल मीनार  के पानी को लेकर भारी मुसीबतें खड़ा हो जाएगी। बताया कि करीब 3 से 4 वर्ष पहले प्रखंड क्षेत्रों में 14 वें और 15 वें वित्त आयोग से जैसे तैसे जल मीनार लगाया गया था। जो आज के तारीख में अधिकतर जल मीनार खराब पड़े हुए हैं। ग्रामीणों ने कहा कि यदि  ठेकेदार के द्वारा गुणवत्तापूर्ण जल मीनार नहीं बनाया गया तो हम लोगों को पिछले जलमिनार की तरह ही निर्माण हो रहे जल मीनार से भारी परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। ग्रामीणों ने कहा कि हम लोग  जिले के वरीय पदाधिकारियों से मांग करते हैं कि विभाग की  जल मीनार निर्माण कार्य पर पैनी नजर रहे और ठेकेदार  एस्टीमेट के आधार पर गुणवत्तापूर्ण कार्य करें। ग्रामीणों ने कहा कि ठेकेदार व मुंशी जल मीनार निर्माण कार्य में मनमानी ना करें। गुणवत्तापूर्ण जल मीनार का निर्माण कराएं और लोगों के घर तक पीने के लिए साफ पानी पहुंचाये, हम लोग यही चाहते हैं। बताया कि यदि ठेकेदार के द्वारा जल मीनार निर्माण कार्य में खानापूर्ति करने का काम किया गया तो हम लोग कतई बर्दाश्त नहीं करेंगे। इसके लिए हम लोगों को आंदोलन करना पड़ेगा तो करेंगे लेकिन गुणवत्तापूर्ण जल मीनार बनना चाहिए। मालूम हो कि  पूरे प्रखंड भर में पेयजल की समस्या को दूर करने के लिए पेयजल एवं स्वच्छता प्रमंडल गढ़वा ने अच्छी पहल कर लगभग 48 करोड़ की प्राक्कलन राशि से सिंगल विलेज स्कीम के तहत प्रखंड के 6 क्लस्टर के 161 टोलों में 497 जल मीनार योजना लगाकर 13,548 घरों को  पाइप द्वारा नल का पानी  पहुंचाने का कार्य शुरू कर दिया गया है।वहीं प्रखंड भर में चार तरह के जल मीनार योजना लगाने का प्रावधान है। पीएचडी विभाग के अधिकारियों के अनुसार पहला स्कीम 8000 क्षमता वाला आरसीसी टंकी जल मीनार लगाया जाएगा। जिसमें 300 फीट बोर होगी और इससे 40 घरों को जल नल से जोड़ा जाएगा। दूसरा स्कीम 5000 लीटर क्षमता वाले जलमिनार लगेगा। जिसमें 200 फीट डीप बोर की जाएगी इससे 20 घरों को जोड़कर नल द्वारा जल पहुंचाया जाएगा। बताया कि 2000 लीटर क्षमता वाले सिंटेक्स टंकी जल मीनार लगाकर 10 घरों को नल द्वारा पानी पहुंचेगा। इसमें भी नया बोर होगा। वही बताया कि पुराना बोर में भी 2000 लीटर क्षमता वाला सिंटेक्स जल मीनार लगाकर 10 घरों को पानी पाइप के माध्यम से नल द्वारा पहुंचाया जाएगा। 

कहां कितना करोड़ रुपए की लागत से बन रहा जल मीनार

क्लस्टर सात डंडई में 8 करोड़ 29 लाख ₹75000 की लागत से 29 टोलो में 86  जल मीनार योजना उतारी जा रही है। क्लस्टर आठ जरही में 6 करोड़ 20 लाख ₹46000 की लागत से 15 टोलो के लिए 62 जल मीनार योजना का निर्माण कार्य शुरू कर दिया गया। क्लस्टर 9 झोतर व करके में  9 करोड़ 38 लाख 59000 रुपए की लागत से 27 टोलों के लिए 98 जल मीनार का निर्माण कार्य शुरू है। क्लस्टर दस लवाहीकला व पचौर में 7 करोड़ 67 लाख ₹3000 की लागत से 30 टोला में  80 जल मीनार लगाने का निर्माण कार्य  प्रारंभ कर दिया गया है। क्लस्टर 11 रारो और तसरार में  9 करोड़ 18 लाख 18 हजार रुपए की लागत से 35  टोला में 98  जल मीनार अधिष्ठापन कराया जा रहा है। वही क्लस्टर बारह सोनेहरा पंचायत में  6 करोड़ 89 लाख 66000 रुपए  की लागत से 25 टोला में 73 जल मीनार योजना का कार्य शुरू किया गया है। जिससे लोगों को पानी की समस्या से निजात मिलेगी। 

मामले में पीएचडी विभाग के   कनिये अभियंता सोमा उरव ने बताया कि अनियमितता का हम भी विरोध करते है जैसे ही जल मीनार निर्माण कार्य में अनियमितता का सूचना मिली थी। मैंने फौरन आकर उस कार्य पर रोक लगाया और पुनः गुणवत्तापूर्ण कार्य करवा रहे हैं। बताया कि ग्रामीणों का विरोध जायज था, ग्रामीणों के समक्ष एस्टीमेट के अनुसार कार्य अब हो रहा है।

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