ट्रैक्टर दुर्घटना में घायल मजदुर कमलेश राम की हुई मौत majdur


साकेत मिश्र की रिर्पोट 
कांडी : ट्रैक्टर दुर्घटना में घायल मजदूर कमलेश राम की मौत हो गई। उसमे ग्लोबल हॉस्पिटल रांची में बुधवार की सुबह करीब 10.45 बजे दम तोड़ा। कमलेश का इलाज रिम्स रांची के न्यूरो सर्जिकल वार्ड में चल रहा था। लेकिन मंगलवार को वह कई घंटों से बेहोश पड़ा था। जबकि उसे बार-बार माथा में झटके आ रहे थे। उसे ऑक्सीजन पर रखा गया था। हालत और सीरियस होने पर उसे डॉक्टरों की सलाह पर ग्लोबल नामक प्राइवेट हॉस्पिटल में देर शाम भर्ती कराया गया था। मालूम हो कि बालू के उत्खनन एवं ढुलाई में लगे ट्रैक्टर के 6 जून की आधी रात में जयनगरा गांव में पलट जाने से चालक कमलेश राम गाड़ी की चपेट में आकर गंभीर रूप से घायल हो गया था। स्थानीय स्तर पर प्राथमिक इलाज के बाद उसे सदर अस्पताल गढ़वा ले जाया गया था। जहां से डॉक्टरों ने मरीज की गंभीर स्थिति को देखते हुए उसे रांची रेफर कर दिया था। उसे माथे में गंभीर चोट लगी है। उसका माथा दुर्घटना में फट गया था। जिसकी स्थानीय ग्रामीण चिकित्सक ने सिलाई की थी। रिम्स में इलाज के दौरान उसके साथ के सगे भाई धनंजय पासवान व धर्मेंद्र पासवान, मामा सत्येंद्र पासवान के साथ ससुराल के चचेरा ससुर धनंजय व अन्य लोगों ने बताया कि इस स्थिति में चार डॉक्टरों ने जांच के बाद आपस में विचार-विमर्श करके बताया कि मरीज की स्थिति काफी गंभीर हो गई है। इस हाल में कभी भी कुछ हो सकता है। मालूम हो कि कमलेश के भर्ती होने के बाद सीटी स्कैन जांच करने पर माथे में खून का थक्का जम जाने की बात कहीं गई थी। जिसके लिए ऑपरेशन को ही एकमात्र विकल्प बताया गया था। लेकिन डॉक्टर के अनुसार वह ऑपरेशन की स्थिति में था ही नहीं कि उसका ऑपरेशन किया जाए। मंगलवार दोपहर 2:00 बजे से हालत ज्यादा खराब हो गई। उल्लेखनीय है कि बीते 26 मई को ही उसकी  शादी हुई थी। शादी के 11 दिनों के बाद ही ट्रैक्टर चलाने के दौरान वह दुर्घटनाग्रस्त हो गया। मरीज के साथ अस्पताल में मौजूद रहे लोगों ने बताया कि दुर्घटना के बाद इसे रांची लाकर उसी दिन प्राइवेट नर्सिंग होम में न्यूरो सर्जन को दिखाकर तत्काल ऑपरेशन कराया जाता तो उसकी जान बच सकती थी। लेकिन बेहद गरीब परिवार का सदस्य होने के कारण अर्थाभाव में बेहतर इलाज नहीं कराया जा सका। मौत की खबर मिलने के बाद घर में कोहराम मचा है। मात्र 20 दिन की सुहागन कमलेश की पत्नी रंजना के हाथों की मेंहदी नहीं छूटी की उसकी मांग उजड़ गयी। वह चीत्कार करते बार बार बेहोश हो रही है। बेहद गरीब परिवार के सदस्यों का शरीर ही धन होता है। जिससे रोज कमाते और खाते हैं। दिव्यांग पिता महेश पासवान व मां सुमतिया देवी की रो रोकर हालत खराब है। मृतक का शव देर रात खरौंधा गांव में उसके घर पहुंचने की संभावना है।

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