हाईकोर्ट के आदेश के आलोक में सीओ ने सतबहिनी झरना तीर्थ का, विधायक चंद्रवंशी से लिया प्रभार satbahini

हाईकोर्ट के आदेश के आलोक में सीओ ने सतबहिनी झरना तीर्थ का विधायक चंद्रवंशी से लिया प्रभार

4 महीना सरकारी पदाधिकारी की देखरेख में संचालन का कोर्ट ने दिया है निर्देश

इसके बाद न्यायालय की देखरेख में आमसभा करके किया जाएगा नई कमेटी का गठन

फोटो : विधायक सह ट्रस्ट के पूर्व अध्यक्ष रामचंद्र चंद्रवंशी से सतबहिनी का प्रभार ग्रहण करते सीओ। 
साकेत मिश्र की रिर्पोट 
कांडी : प्रसिद्ध पर्यटन स्थल सतबहिनी झरना तीर्थ का प्रभार कांडी के अंचल पदाधिकारी अजय कुमार दास ने 2 मई 2023 मंगलवार को ग्रहण कर लिया। उन्होंने हिंदू धार्मिक न्यास बोर्ड सतबहिनी झरना स्थल के पूर्व अध्यक्ष स्थानीय विधायक रामचंद्र चंद्रवंशी से सतबहिनी का प्रभार ग्रहण किया। झारखंड हाई कोर्ट के आदेश के आलोक में झारखंड राज्य हिंदू धार्मिक न्यास बोर्ड के द्वारा कांडी के अंचल पदाधिकारी को पत्रांक 1021/2023 दिनांक 27 मार्च 2023 के अनुसार यह निर्देश दिया गया था कि सतबहिनी ट्रस्ट के पूर्व अध्यक्ष रामचंद्र चंद्रवंशी से तत्काल सतबहिनी का प्रभार ग्रहण कर अपनी देखरेख में यहां की व्यवस्था का संचालन करें। इससे पहले झारखंड उच्च न्यायालय ने मां सतबहिनी झरना तीर्थ एवं पर्यटन स्थल विकास समिति के द्वारा दायर याचिका संख्या डब्ल्यूपी (सी) 6830 2017 में 22 फरवरी 2023 को अपना निर्णय सुनाते हुए ट्रस्ट के गठन को फर्जी करार देते हुए उसे निरस्त कर दिया था। मालूम हो कि सतबहिनी झरना में दर्जनों की संख्या में उल्लेखनीय विकास कार्य करके इसे सतबहिनी झरना तीर्थ बनाने वाली समिति की अवहेलना करके 11 अक्टूबर 2017 को स्थानीय विधायक एवं तत्कालीन मंत्री रामचंद्र चंद्रवंशी के द्वारा एक फर्जी ट्रस्ट का गठन कर लिया गया था। इस संदर्भ में उन्होंने कहा था कि सतबहिनी में कुछ नहीं है। एक टूटे-फूटे छोटे चबूतरे का भग्नावशेष मात्र है। इसी के आधार पर एक लेटर हेड पर चिट्ठी बनाकर फर्जी आमसभा के आलोक में मंत्री के धौंस में ट्रस्ट का गठन करा लिया गया था। जबकि खुद अंचल पदाधिकारी कांडी के द्वारा अपने प्रतिवेदन में लिखा गया था कि स्थानीय ग्रामीणों के द्वारा दो से ढाई करोड़ रुपए खर्च करके सतबहिनी झरना तीर्थ में नौ मंदिर, कलात्मक सीढ़ियां, सेतु मार्ग, प्रवेश द्वार, नवीन यज्ञशाला आदि अचल संपत्ति का निर्माण कराया जा चुका है। उक्त अचल संपत्ति के अलावा यहां पूरे वर्ष में बड़ी राशि का आय व्यय हुआ करता है। कायदे से अचल संपत्ति एवं आय व्यय को मिलाकर उसका चार फीसदी राशि जमा करने के बाद ही ट्रस्ट का रजिस्ट्रेशन किए जाने का प्रावधान है। जिसे मात्र ढाई करोड़ पर भी देखा जाए तो दस लाख रुपए जमा करने के बाद ही ट्रस्ट का गठन व रजिस्ट्रेशन हो सकता था। लेकिन मात्र 500 रुपए आवेदन शुल्क जमा करके फर्जी ट्रस्ट का गठन करा लिया गया। जो सरकारी राजस्व की चोरी है। जिस आमसभा में ट्रस्ट के गठन का प्रस्ताव पारित दिखाया गया उसमें उपस्थित लोगों में से करीब 75 फ़ीसदी ने शपथ पत्र के माध्यम से न्यायालय को बताया कि वह किसी आम सभा को नहीं जानते और ना ही उन्होंने ऐसी किसी आम सभा में भाग लिया है। दिलचस्प बात यह कि हस्ताक्षर करने वाले लोगों का आम सभा में अंगूठे का निशान एवं अंगूठे का निशान लगाने वाले अनपढ़ लोगों का हस्ताक्षर किया हुआ है। इतने तक ही नहीं बल्कि करीब आठ साल पहले बिहार राज्य के रोहतास जिले में मिर्चाई चुनने के वक्त मर चुका व्यक्ति भी ट्रस्ट की आम सभा में उपस्थित दिखाया गया है। इधर समिति के अध्यक्ष एवं सचिव को भी बिना जानकारी एवं हस्ताक्षर के ट्रस्ट का क्रमशः सदस्य एवं कोषाध्यक्ष बना दिया गया। तत्कालीन मंत्री ने सतबहिनी में केवल भग्नावशेष बताया था उन्होंने ही बतौर विधायक वहां कार्यरत समिति की प्रशंसा एवं शुभकामना विजिट बुक में अपने हाथों दर्ज की थी। इसके साथ ही सामुदायिक भवन के निर्माण के लिए मां सतबहिनी झरना तीर्थ एवं पर्यटन स्थल विकास समिति को विधायक मद से डेढ़ लाख रुपए प्रदान किए थे। जबकि विधायक चंद्रशेखर दुबे ने छठ घाट निर्माण के लिए दस लाख रुपए प्रदान किए थे। जब वहां कोई था ही नहीं तो यह पैसे किसे प्रदान किए गए एवं निर्माण कार्य किसने कराया। इन सभी बोलते तथ्यों का प्रमाण मां सतबहिनी झरना तीर्थ एवं पर्यटन स्थल विकास समिति ने उच्च न्यायालय में जमा किया था। जिसे देखते हुए उच्च न्यायालय ने केस नंबर डब्ल्यूपी (सी) 6830. 2017 के तहत 22 फरवरी 2023 को सतबहिनी झरना हिंदू धार्मिक न्यास बोर्ड को फर्जी करार देते हुए ग्रामीणों के पक्ष में न्याय किया। इस फैसले के आलोक में झारखंड राज्य हिंदू धार्मिक न्यास बोर्ड को स्थल का निरीक्षण करने एवं अपनी देखरेख में गठन कराने का निर्देश दिया। इसके साथ ही चार महीने तक स्वयं या अपने द्वारा चयनित पदाधिकारी के द्वारा सतबहिनी झरना तीर्थ के मंदिरों एवं व्यवस्था की देखरेख का निर्देश दिया। इसके आलोक में झारखंड राज्य हिंदू धार्मिक न्यास बोर्ड रांची के द्वारा पत्रांक 1021/2023 दिनांक 27 मार्च 2023 के अनुसार अंचल पदाधिकारी कांडी को सतबहिनी झरना तीर्थ का प्रभार ग्रहण करने एवं स्थानीय विधायक रामचंद्र चंद्रवंशी को सतबहिनी झरना तीर्थ का प्रभार सौंपने का निर्देश दिया था। इस निर्देश के आलोक में अंचल पदाधिकारी अजय कुमार दास ने सतबहिनी झरना तीर्थ का प्रभार ग्रहण कर लिया। सतबहिनी झरना तीर्थ की व्यवस्था को लेकर अंचल पदाधिकारी की प्राथमिकता के संबंध में पूछे जाने पर उन्होंने बताया कि पहले वे वहां की व्यवस्था का जायजा लेंगे। इस संदर्भ में वे मौके पर एक बैठक बुलाना चाहेंगे। ताकि इस तरह की व्यवस्था की जाए जिसमें स्थानीय मंदिरों में पूजा पाठ की सुचारू रूप से व्यवस्था की जा सके। इसके साथ ही सतबहिनी आने वाले श्रद्धालुओं को किसी तरह की कोई कठिनाई नहीं हो।

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