फर्जी ट्रस्ट को निरस्त करने के बाद राज्य धार्मिक बोर्ड ने देखरेख का जिम्मा दिया सरकारी अधिकारी को -news

हाई कोर्ट द्वारा सतबहिनी के फर्जी ट्रस्ट को निरस्त करने के बाद राज्य धार्मिक बोर्ड ने देखरेख का जिम्मा दिया सरकारी अधिकारी को 

कोर्ट के फैसले को लागू कराए जाने को लेकर समिति की बैठक की गई

फोटो : बैठक करते समिति के लोग। 

साकेत मिश्र की रिर्पोट 
कांडी :  सतबहिनी के मुक्ताकाश में मां सतबहिनी झरना तीर्थ एवं पर्यटन स्थल विकास समिति की रविवार को एक आवश्यक बैठक की गई। बैठक की अध्यक्षता समिति के अध्यक्ष समाजसेवी नरेश प्रसाद सिंह ने की। इस मौके पर समिति के कई विशिष्ट स्थायी, स्थायी तथा सामान्य कोटि के सदस्य उपस्थित थे। इस दौरान लोगों ने झारखंड उच्च न्यायालय रांची के  द्वारा सतबहिनी झरना तीर्थ में गठित फर्जी ट्रस्ट के संदर्भ में दिए गए फैसले के आलोक में बदली हुई परिस्थिति को लेकर विचार विमर्श किया गया। मालूम हो कि सतबहिनी झरना में दर्जनों की संख्या में उल्लेखनीय विकास कार्य करके इसे सतबहिनी झरना तीर्थ बनाने वाली समिति की अवहेलना करके 11 अक्टूबर 2017 को स्थानीय विधायक एवं तत्कालीन मंत्री रामचंद्र चंद्रवंशी के द्वारा एक फर्जी ट्रस्ट का गठन कर लिया गया था। इस संदर्भ में उन्होंने कहा था कि सतबहिनी में कुछ नहीं है। एक टूटे-फूटे छोटे चबूतरे का भग्नावशेष मात्र है। इसी के आधार पर एक लेटर हेड पर चिट्ठी बनाकर फर्जी आमसभा के आलोक में मंत्री के धौंस में ट्रस्ट का गठन करा लिया गया था। जबकि खुद अंचल पदाधिकारी कांडी के द्वारा अपने प्रतिवेदन में लिखा गया था कि स्थानीय ग्रामीणों के द्वारा दो से ढाई करोड़ रुपए खर्च करके सतबहिनी झरना तीर्थ में नौ मंदिर, कलात्मक सीढ़ियां, सेतु मार्ग, प्रवेश द्वार, नवीन यज्ञशाला आदि अचल संपत्ति का निर्माण कराया जा चुका है। उक्त अचल संपत्ति के अलावा यहां पूरे वर्ष में बड़ी राशि का आय व्यय हुआ करता है। कायदे से अचल संपत्ति एवं आय व्यय को मिलाकर उसका चार फीसदी राशि जमा करने के बाद ही ट्रस्ट का रजिस्ट्रेशन किए जाने का प्रावधान है। जिसे मात्र ढाई करोड़ पर भी देखा जाए तो दस लाख रुपए जमा करने के बाद ही ट्रस्ट का गठन व रजिस्ट्रेशन हो सकता था। लेकिन मात्र 500 रुपए आवेदन शुल्क जमा करके फर्जी ट्रस्ट का गठन करा लिया गया। जो सरकारी राजस्व की चोरी है। जिस आमसभा में ट्रस्ट के गठन का प्रस्ताव पारित दिखाया गया उसमें उपस्थित लोगों में से करीब 75 फ़ीसदी ने शपथ पत्र के माध्यम से न्यायालय को बताया कि वह किसी आम सभा को नहीं जानते और ना ही उन्होंने ऐसी किसी आम सभा में भाग लिया है। दिलचस्प बात यह कि हस्ताक्षर करने वाले लोगों का आम सभा में अंगूठे का निशान एवं अंगूठे का निशान लगाने वाले अनपढ़ लोगों का हस्ताक्षर किया हुआ है। इतने तक ही नहीं बल्कि करीब आठ साल पहले बिहार राज्य के रोहतास जिले में मिर्चाई चुनने के वक्त मर चुका व्यक्ति भी ट्रस्ट की आम सभा में उपस्थित दिखाया गया है। इधर समिति के अध्यक्ष एवं सचिव को भी बिना जानकारी एवं हस्ताक्षर के ट्रस्ट का क्रमशः सदस्य एवं कोषाध्यक्ष बना दिया गया। तत्कालीन मंत्री ने सतबहिनी में केवल भग्नावशेष बताया था उन्होंने ही बतौर विधायक वहां कार्यरत समिति की प्रशंसा एवं शुभकामना विजिट बुक में अपने हाथों दर्ज की थी। इसके साथ ही सामुदायिक भवन के निर्माण के लिए मां सतबहिनी झरना तीर्थ एवं पर्यटन स्थल विकास समिति को विधायक मद से डेढ़ लाख रुपए प्रदान किए थे। जबकि विधायक चंद्रशेखर दुबे ने छठ घाट निर्माण के लिए दस लाख रुपए प्रदान किए थे। जब वहां कोई था ही नहीं तो यह पैसे किसे प्रदान किए गए एवं निर्माण कार्य किसने कराया। इन सभी बोलते तथ्यों का प्रमाण मां सतबहिनी झरना तीर्थ एवं पर्यटन स्थल विकास समिति ने उच्च न्यायालय में जमा किया था। जिसे देखते हुए उच्च न्यायालय ने केस नंबर डब्ल्यूपी (सी) 6830. 2017 के तहत 22 फरवरी 2023 को सतबहिनी झरना हिंदू धार्मिक न्यास बोर्ड को फर्जी करार देते हुए ग्रामीणों के पक्ष में न्याय किया। इस फैसले के आलोक में झारखंड राज्य हिंदू धार्मिक न्यास बोर्ड को स्थल का निरीक्षण करने एवं अपनी देखरेख में गठन कराने का निर्देश दिया। इसके साथ ही चार महीने तक स्वयं या अपने द्वारा चयनित पदाधिकारी के द्वारा सतबहिनी झरना तीर्थ के मंदिरों एवं व्यवस्था की देखरेख का निर्देश दिया। इसके आलोक में झारखंड राज्य हिंदू धार्मिक न्यास बोर्ड रांची के द्वारा पत्रांक 1021/2023 दिनांक 27 मार्च 2023 के अनुसार अंचल पदाधिकारी कांडी को सतबहिनी झरना तीर्थ का प्रभार ग्रहण करने एवं स्थानीय विधायक रामचंद्र चंद्रवंशी को सतबहिनी झरना तीर्थ का प्रभार सौंपने का निर्देश दिया है। इधर पत्रांक 1020/2023 दिनांक 27 मार्च 2023 को ही मां सतबहिनी झरना तीर्थ एवं पर्यटन स्थल विकास समिति को इस विषय पर अपना पक्ष रखने एवं संबंधित कागजात एवं दस्तावेज लेकर 19 अप्रैल 2023 को उपस्थित होने का निर्देश दिया है। बैठक में समिति के सदस्यों ने झारखंड उच्च न्यायालय के फैसले को अक्षरश: लागू किए जाने पर बल दिया। जिसके लिए झारखंड राज्य हिंदू धार्मिक न्यास बोर्ड के पदाधिकारी को सतबहिनी झरना तीर्थ में आकर हर हाल में स्थल जांच एवं मौके पर आमसभा करा कर ट्रस्ट का गठन कराए जाने के अलावे दूसरा कोई रास्ता नहीं है। इसके लिए समिति को सक्रियता से कार्य करने एवं आम जनों के हक अधिकारों की पूरी पूरी रक्षा किए जाने की बात कही गई। यदि फैसले को लागू करने में किसी कारण से भी कोताही बरती गई तो इस मामले को लेकर उच्च न्यायालय का ध्यान तत्काल आकृष्ट कराए जाने पर बल दिया गया। इस मौके पर समिति के अध्यक्ष नरेश प्रसाद सिंह, सचिव मुरलीधर मिश्र, संत हरिदास जी, उपसचिव सुदर्शन तिवारी, रामजन्म पांडेय, अशर्फी दुबे, गोरखनाथ सिंह, कोषपाल अशर्फी सिंह, अंकेक्षक द्वय नवल किशोर तिवारी एवं नंदलाल दुबे, अतीश कुमार सिंह, उपेंद्र नाथ तिवारी, रमेश तिवारी, शंभूनाथ सिंह, लाला पांडेय, सुखदेव साव, पारसनाथ सिंह,  कृष्णा प्रसाद साहू, रघुनंदन राम सहित कई लोग उपस्थित थे।

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