बंशीधर महोत्सव विधायक भानू के लिए महज एक कार्यक्रम, जनता के लिए आस्था का विषय
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने दिया है राजकीय महोत्सव का दर्जा - धीरज
झारखंड मुक्ति मोर्चा के केंद्रीय प्रवक्ता धीरज दुबे ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा कि भाजपा विधायक भानु प्रताप शाही के लिए बंशीधर महोत्सव महज एक कार्यक्रम है परंतु जनता के लिए आस्था का विषय है। इसी भावना को देखते हुए मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने बंशीधर महोत्सव को राजकीय महोत्सव का दर्जा दिया है। राजकीय महोत्सव का दर्जा प्राप्त होने से अब हर वर्ष बंशीधर महोत्सव का आयोजन जरूर होगा। पूर्ववर्ती रघुवर सरकार ने सिर्फ राजनीतिक दृष्टिकोण से महोत्सव कराया था जबकि उस वक्त भी बंशीधर महोत्सव को राजकीय महोत्सव का दर्जा दिया जा सकता था। परंतु जानबूझकर इसे एक निजी कार्यक्रम के रूप में आयोजित कराया गया। 8 और 9 अप्रैल को होने वाले बंशीधर महोत्सव की तिथि आगे बढ़ाए जाने के बाद से विधायक भानु प्रताप शाही इस पर तुष्टीकरण की राजनीति कर रहे हैं जबकि विगत 3 वर्षों में एक बार भी उन्होंने बंशीधर महोत्सव के आयोजन के लिए प्रयास नहीं किया। ना ही उन्हें इस तरह के आयोजन से कोई लेना-देना होता है। विधानसभा के सदस्य होने के बावजूद भी अपने ही सदन के लोकप्रिय नेता सह सूबे के मंत्री के निधन पर उन्हें राजनीति सूझ रही है। मानवता के दृष्टिकोण से भी उन्हें ऐसा करने से बाज आना चाहिए। बंशीधर महोत्सव एक धार्मिक महोत्सव के रूप में आयोजित होगा जिसमें सभी लोगों की सहभागिता ही इसे भव्य और दिव्य बनाएगी। तत्कालीन गम के उस माहौल में जहां एक तरफ आम जनता से लेकर, सरकारी शिक्षक, सहायक शिक्षक, राज्य के अधिकारी कर्मचारी सहित तमाम जनता निधन की घटना से शोकाकुल थे उस दौर में महोत्सव का आयोजन उचित प्रतीत नहीं हो रहा था।
सामाजिक व्यक्ति, जनप्रतिनिधि एवं सनातनी परंपरा जानने के बावजूद भी इस तरह की अशोभनीय टिप्पणी विधायक भानु प्रताप शाही को शोभा नहीं देती। नौजवान संघर्ष मोर्चा में रहते हुए इफ्तार पार्टी का आयोजन उनके द्वारा व्यक्तिगत रूप से किया जाता था, तब वह धर्मनिरपेक्ष दल के थे इसलिए उनका आयोजन सही था। परंतु अंजुमन कमेटी रंका द्वारा आयोजित इफ्तार पार्टी में मंत्री मिथिलेश कुमार ठाकुर का शामिल होना अब उन्हें भाजपा नेता के रूप में गलत लगने लगा। यहां तक की क्षेत्र में लोगों के द्वारा आयोजित किए गए कार्यक्रम में मंत्री मिथिलेश कुमार ठाकुर का गाना भी उन्हें नागवार गुजर रहा है। जबकि राजकीय महोत्सव एवं सामाजिक कार्यक्रम के बीच का अंतर वह भली-भांति समझते हैं।
गमगीन माहौल के कारण बंशीधर महोत्सव की तारीख को आगे बढ़ाया गया था एवं इसी महीने अप्रैल में बंशीधर महोत्सव का धूमधाम से आयोजन होगा।