पलामू टाइगर रिजर्व में वन विभाग के अधिकारियों के द्वारा बाघ के नाम पर सलाना करोड़ों रुपए का हो रहा है बंदरबांट -अजय सोनी
सोनू कुमार बरवाडीह
बेतला -पलामू टाइगर रिजर्व में करीब एक महीने पहले दिखे बाघ का अब कोई ट्रैस नहीं मिल रहा है जबकि पीटीआर प्रबंधन द्वारा उसकी खोजबीन में कुशल वन कर्मियों को लगाया गया है. पूरे पलामू टाइगर रिजर्व सहित इसके बॉर्डर इलाके में जगह-जगह पर कैमरा ट्रैप भी लगाया गया है. इतना ही नहीं स्केट (मल) और पग मार्क की खोजबीन की जा रही है, लेकिन अब तक वन कर्मियों को निराशा ही हाथ लगी है. वहीं प्रखंड के वन पर्यावरण सांसद प्रतिनिधि अजय सोनी ने चतरा संसद को पत्र जारी कर बताया कि पलामू टाइगर रिजर्व अंतर्गत एक भी बाघ नहीं होने के बावजूद पीटीआर के अधिकारियों द्वारा माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी को गलत रिपोर्ट सौंपी गई है। पीटीआर अंतर्गत विभिन्न सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों में सैकड़ों गांव है। जिनमें निवास करने वाली ग्रामीण जनता का कहना है कि हमलोग जंगलों में निवास करते हैं लेकिन हमलोग को बाघ कभी दिखाई नहीं देता है। वहीं पीटीआर के अधिकारी साल में एक बार घूमने निकल जाते है तो उन्हें बाघ दिखाई दे जाता है। यही नहीं बल्कि बाघ अधिकारियों को फोटो और वीडीओ बनाने के लिए पोज भी देता है।
महोदय विभाग द्वारा बाघ की उपस्थिति दिखाकर केन्द्र सरकार से करोड़ों रूपए इसके संरक्षण के नाम पर लिए जातें हैं यही कारण है विभाग लोगों के साथ सरकार को भी दिग्भ्रमित करने का काम कर रहा है केंद्रीय टीम के द्वारा इस मामले की गहनता से जाँच कराई जाए ताकि वन विभाग के गलत कारनामें जनता और सरकार के समक्ष उजागर हो सके।