कालिया के फन पर जबतक कन्हैया नृत्य नहीं करेगा तबतक गंगा जमुना साफ नहीं हो सकती : शांडिल्य kandi

कालिया के फन पर जबतक कन्हैया नृत्य नहीं करेगा तबतक गंगा जमुना साफ नहीं हो सकती : शांडिल्य

23वें मानस महायज्ञ का दूसरा दिन

साकेत मिश्र
कांडी : आंख ही बेशर्म हो तो व्यर्थ घूंघट क्या करेगा। लोग कैसे जी रहे हैं आज के वातावरण में .. महामंडलेश्वर जी महाराज ने प्रवचन करते हुए कहा।  मां सतबहिनी झरना तीर्थ एवं पर्यटनस्थल विकास समिति के तत्वावधान में आमजनों के द्वारा आयोजित 23वें मानस महायज्ञ के दूसरे दिन के प्रवचन सत्र में समय के नाजुक दौर के परिप्रेक्ष्य में कहा कि लोग कैसे जी रहे हैं आज के वातावरण में। कहा कि राम हवन डाक्टर नमवें ह दवाई पी ल पी ल बाबु लोग रोग ना सताई। 
वहीं देवरिया से पधारे क्रांतिकारी कथा वाचक पं अखिलेशमणि शांडिल्य ने मानस की कथा को सामयिक संदर्भ देते हुए कहा कि एक बोतल में गंगोत्री का गंगाजल व दूसरे में बनारस का गंगाजल देखें तो गंगोत्री का साफ व बनारस का गंदा नजर आएगा। तो आप पूरे गंगाजल को गंदा नहीं कह सकते। गंगा गंगोत्री से चलती हैं बिल्कुल साफ व स्वच्छ। लेकिन रास्ते में कारपोरेट के मिलों की गंदगी ने गंगा में मिलकर जल का स्वरुप गंदा कर दिया। कहा कि यह कोई नयी रवायत नहीं है। कालिया के फन पर जबतक कन्हैया नृत्य नहीं करेगा तबतक गंगा जमुना साफ नहीं हो सकती। भगत सिंह, आजाद, सुभाष का शरीर जल गया लेकिन वे हमारे दिलों में जिंदा हैं। अशफाक उल्ला मरे, 23 वर्ष की लक्ष्मीबाई मर गईं लेकिन हमारे दिलों में जिंदा हैं। कहा कि आलमारी में रखी मानस जला सकते हो लेकिन जो मानस करोड़ों दिलों में रखी है उसे कैसे जलाओगे। क्योंकि जितनी मोहब्बत से हम तुलसी को रखते हैं उतनी ही मोहब्बत से कबीर, रविदास, दादू व फरीद कै भी रखते हैं। कहा कि धर्म भक्ति पर आधारित होता है लेकिन राजनीति विभक्ति पर आधारित होती है। वृंदावन से पधारीं शिखा चतुर्वेदी ने श्रीमद् भागवत महापुराण की कथा कही।
तराजू के एक पलड़े में स्वर्ग का सुख, मोक्ष व सारी संपदा रख दें तो भी सत्संग की बराबरी नहीं कर सकता। औषधि रोगी को दी जाती है लेकिन रसायन रोगी व स्वस्थ व्यक्ति भी खा सकता है। भागवत कथा वही रसायन है। कहा कि जो धन में बड़ा है वास्तव में वह बड़ा नहीं है। बल में बड़ा है वह बड़ा नहीं है। बड़ा वह है जो ज्ञान में बड़ा है। गुरु की बहुत बड़ी महिमा है। कहा कि सात समद की मसि करौ लेखनी सब वनराई। धरती सब कागद करौ गुरु गुण लिखा न जाई। आपके अंदर पात्रता है तो गुरु खुद भी चलकर आएंगे। प्रेम कितना है, समर्पण कितना है यह देखने की चीज है। सामाजिक संदर्भ देते हुए कहा कि आज भाई भाई का दुश्मन बना है। बित्ता भर जमीन के लिए भाई का गला काटता है। साले से प्रेम करता है। उनकी ओर एक कहावत है कि दीवार बिगाड़े आरो व घर बिगाड़ो सारो। धृतराष्ट्र ने साला शकुनी को घर का मालिक ही बना दिया था। कुल में कोई नहीं बचा। बिहार से आए अनंताचार्य जी ने कहा कि प्रथम भगति संतन कर संगा। संत की संगति से कौआ भी हंस का आचरण करने लगता है। जयंत लोमश ऋषि की शरण में जाने पर कागभुसुंडी बन गया।
 इस मौके पर मां सतबहिनी झरना तीर्थ एवं पर्यटनस्थल विकास समिति के अध्यक्ष नरेश प्रसाद सिंह, सचिव पं मुरलीधर मिश्र, सुदर्शन तिवारी, रघुनंदन राम, विकास उपाध्याय, हरिनाथ चंद्रवंशी, सुरेश पासवान सहित काफी संख्या में लोग उपस्थित थे। मंच का संचालन प्रियरंजन सिन्हा व दिलीप कुमार पांडेय ने किया।

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