स्कूल में मातृ-पितृ दिवस( नैतिक दिवस) का आयोजन
हम सभी भारतीय परम्पराओं और संस्कारों का निर्वहन करें।
हमारे बच्चे पश्चिमी संस्कृति और संस्कारों से दूर रहें।
सीबीएसई से मान्यता प्राप्त स्थानीय जीएन कॉन्वेंट +2 स्कूल में आज 14 फरवरी को मातृ-पितृ पूजन दिवस का आयोजन किया गया। उपस्थित छात्र छात्राओं को सम्बोधित करते हुए विद्यालय के निदेशक मदन प्रसाद केशरी ने कहा कि हम भारतीय, हैं, भारत हमारा देश है और यह देश परंपराओं का देश है, संस्कार और सभ्यता का देश है। नैतिकता प्रधान देश है जहाँ हम पेड़-पौधों, पत्थरों, पाषाणों का पूजन करते हैं। अत: इस देश की परंपरा को अक्षुण बनाए रखना हमारा नैतिक दायित्व ही नहीं वरन
कर्त्तव्य भी है।
आज हमारे देश मे चहुँओर मातृ-पितृ पूजन (सम्मान) दिवस पूरे श्रद्धा के साथ मनाया जा रहा है। जो माता-पिता हमें जन्म दिए, इस जीवनदायिनी पृथ्वी पर लाए, पालन-पोषण किया और हमेशा अपनी ममता के छावं में रखा, आज उन्हीं के सम्मान का दिवस है। यह दिवस माता-पिता को सम्मान, प्यार और उनकी प्रति देखभाल के लिए समर्पित है जिसक वे हकदार हैं। आज इस दिवस की प्रासंगिकता भी है जो सामाजिक जागृति लाने के लिए आवश्यक है। बच्चों के अंदर सहिष्णुता, आदर और समर्पण का भाव भरने की जरूरत है। जिस प्रकार माता-पिता अपने बच्चों के लिए सर्वस्व न्यौछावर कर देते हैं. बच्चों का भी यह नैतिक कर्तव्य है कि उन्हें आदर, सम्मान और प्यार प्रत्येक दिन देते रहे । यह दिन उनके लिए सादर समर्पित रहे, इसके लिए आज करें एक जगह ऊँचे आसन पर बैठाकर उनकी "आरती करें, चरणस्पर्श के पश्चात् चरण वंदन, कुमकुम से तिलक करें। उनके कार्यों को करके उन्हें आराम देने की काशिश करें और उनके जीवन में कोई। "कष्ट न आए, ऐसा संकल्प हो और प्रेम पूर्वक, 'साथ निभाएँ।' ,उनकी पसंद का भोजन बनाएँ। उनके साथ खाएँ और खिलाएँ ।
5. कोई मन पसंद उपहार देकर स्वयं को कृतार्थ करें और पुण्य का भागीदार बने। श्रवण कुमार रामचंद्रजी जैसा अनेको उदाहरण हमारे धर्मग्रंथो में उलेखित हैं जिसका अनुसरण कर हम अपने जीवन को धन्य कर सकते हैं और ईश्वरीय आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं।
कार्यक्रम को सफल बनाने में शिक्षक उदय प्रकाश, नरेन्द्र सिन्हा, मुकेश भारती संजीव कुमार, नीरा शर्मा, सरिता दूबे, सुषमा तिवारी, निलम कुमारी, सुनिता कुमारी, संतोष प्रसाद की भूमिका सराहनीय रही।