स्वाध्याय से मिलेगी ट्यूशन सिस्टम से मुक्ति
स्वाध्याय से मिलता है आत्मबल
संस्कारशाला कार्यक्रम में बच्चों को मिला स्वाध्याय का गुर
सीबीएसई से मान्यता प्राप्त स्थानीय जीएन कॉन्वेंट स्कूल में नववर्ष एवं आगामी नए सत्र के आगमन को मद्देनजर विद्यालय प्रबंधन की ओर से एक संस्कारशाला का आयोजन किया गया।नववर्ष की शुभकामना एवं बच्चों को आशीर्वाद देते हुए विद्यालय के निदेशक मदन केशरी ने कहा कि मनुष्य जीवन सभी प्राणियों में श्रेष्ठ और महत्वपूर्ण है जहां चेतन,ज्ञान और बुद्धि ही उसकी पहचान है। उसमें स्वाध्याय श्रेष्ठ और सुगम है,इसमें एकाग्रता प्रमुख है।यह एक तप और साधना है।स्वाध्याय का अर्थ स्वयं विद्या अध्ययन करना है और इसकी सहायता से जीवन निर्माण और सुधार सम्बंधित पुस्तकों का अध्ययन, श्रवण, मनन, चिंतन करना है। इससे आत्मज्ञान, तथा दोषों का पता चलता है।अपनी त्रुटियों को सुधारने का अवसर हमें स्वाध्याय से ही मिलता है। स्वाध्याय अज्ञान मिटाता है और अविद्या का नाश होता है। नियमित अभ्यास से हमारे अंदर स्वाभाविक रूप से ज्ञान भर जाता है।हमारे प्राचीन ग्रन्थों वेद, पुराण और उपनिषदों में भी स्वध्याय का बखान किया गया है ज्ञान प्राप्ति के मुख्य साधन तो माता पिता व आचार्य होते रहे हैं परंतु स्वअधय्यन भी ज्ञान का एक प्रमुख स्रोत्र है।हर माता पिता अपने बच्चों के अंदर इस विधा की अच्छी आदत डालें जिससे उन्हें अच्छा संस्कार मिल सके। स्वाध्याय से ही एक साधारण व्यक्ति असाधारण बन जाता है।वे विद्वान, ज्ञानी, वैज्ञानिक,चिंतक व मनीषी बन जाता है।स्वाध्यायशीलता एकअनुशासन है जिससे विद्यर्थियों को अच्छे संस्कार मिलते हैं। कार्यक्रम को सफल बनाने में उपप्राचार्य बीके ठाकुर,शिक्षक विनय दुबे, उदय प्रकाश, खुर्शीद आलम, मुकेश भारती, एन के सिन्हा, संजीव कुमार, नीरा शर्मा, सरिता दुबे, रिजवाना शाहीन, शिवानी कुमारी, सन्तोष प्रसाद सुनीता कुमारी आदि की भूमिका सराहनीय रही।