देवघर से शुभम सिंह की रिपोर्ट
जन्म पूर्व लिंग परीक्षण के दोषी पाये जाने वाले व्यक्तियों व संस्थाओं के खिलाफ कानूनी सजा तथा लाइसेंस रद्द करने और जेल भेजने का है प्रावधान:- सिविल सर्जन
उपायुक्त सह जिला दण्डाधिकारी श्री मंजूनाथ भजंत्री के निर्देशानुसार आज दिनांक 02.12.2022 को सूचना भवन सभागार में घर-घर हो बेटी का सम्मान घर बन जाए स्वर्ग समान थीम के तहत एक दिवसीय पीसी-पीएनडीटी एक्ट कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला का विधिवत्त शुरूआत संबंधित अधिकारियों द्वारा दीप प्रज्जवलित कर किया गया।
इसके अलावे कार्यशाला में स्टेट हेड पीसी-पीएनडीटी एक्ट डॉ. अनील कुमार द्वारा ऑनलाइन माध्यम से प्रशिक्षण दिया गया। इस दौरान प्रशिक्षणार्थियों को जानकारी दी गयी कि बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना से पूरे जीवन-काल में शिशु लिंग अनुपात में कमी को रोकने में मदद मिलती है और महिलाओं के सशक्तीकरण से जुड़े मुद्दों का समाधान होता है। यह योजना तीन मंत्रालयों द्वारा कार्यान्वित की जा रही है अर्थात महिला और बाल विकास मंत्रालय, स्वास्थ्य परिवार कल्याण मंत्रालय तथा मानव संसाधन मंत्रालय।
इस योजना के मुख्य घटकों में शामिल हैं प्रथम चरण में पीसीपीएनडीटी एक्ट को लागू करना, राष्ट्रव्यापी जागरूकता और प्रचार अभियान चलाना तथा विभिन्न क्षेत्रों से संबंधित कार्य करना। बुनियादी स्तर पर लोगों को प्रशिक्षण देकर, संवेदनशील और जागरूक बनाकर तथा सामुदायिक एकजुटता के माध्यम से उनकी सोच को बदलने पर जोर दिया जा रहा है।
क्या है पीसीपीएनडीटी एक्ट....
गर्भाधान और प्रसव पूर्व निदान तकनीक (PCPNDT) अधिनियम, 1994 भारत में कन्या भुण्र हत्या और गिरते लिंगानुपात को रोकने के लिए भारत की संसद द्वारा पारित एक संघीय कानून है। इस अधिनियम से प्रसव पूर्व लिंग निर्धारण पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। प्री-नेटल डायग्नोस्टिक टेक्निक श्पीएनडीटीश् एक्ट 1996, के तहत जन्म से पूर्व शिशु के लिंग की जांच पर पाबंदी है। ऐसे में अल्ट्रासाउंड या अल्ट्रासोनोग्राफी कराने वाले जोड़े या करने वाले डाक्टर, लैब कर्मी को तीन से पांच साल सजा और 10 से 50 हजार/50 हजार से 01 लाख तक जुर्माने की सजा का प्रावधान है।
प्रशिक्षण कार्यक्रम को संबोधित करते हुए सिविल सर्जन डाॅ0 युगल किशोर चैधरी ने जानकारी दी कि भूूण्र हत्या, जन्म पूर्व लिंग परीक्षण और अन्य किसी भी माध्यम से बेटियों की हत्या को अपराध के तहत दोषी पाये जाने वाले व्यक्तियों व संस्थाओं को कानूनी सजा तथा लाइसेंस रद्द करने और जेल भेजने का प्रावधान है। इसके अलावा उन्होंने कहा कि बेटियां की सुरक्षा, संरक्षण, शिक्षा स्वास्थ्य और बेहतरी के लिए हमें सामाजिक रुप से हम सभी लोगों को आगे आना होगा। लिंगानुपात की सुधार और बेटियों को उसका पूरा अधिकार देना हम सबों की सामूहिक जिम्मेवारी है।
प्रशिक्षण कार्यक्रम में उपरोक्त के अलावे जिला जनसंपर्क पदाधिकारी श्री रवि कुमार, प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी, प्रखंड चिकित्सा पदाधिकारी, जिला कार्यक्रम समन्वयक नीरज कुमार, अल्ट्रासाउंड संचालक आदि उपस्थित थे।