रिपोर्ट (बेलाल अंसारी धुरकी)
धुरकी प्रखंड के पंचायत खुटिया में शुक्रवार को शहीद जीतराम बेदिया का 220 वा जयंती मनाई गई
तथा उनकी चित्र पर माल्यार्पण कर श्रद्धांजलि अर्पित किया इस दौरान बेदिया विकास परिषद के अध्यक्ष मुन्ना लाल बेदिया ने बताया की आजादी की लड़ाई में कई योद्धाओं ने अपने जीवन को बलिदान कर दिया हालांकि कई शहीदों ने नाम इतिहास के पन्नों से गायब हो गया जीतराम बेदिया और गुमनाम शहीदों में से एक थे जीतराम बेदिया का जन्म 30 दिसंबर 1802 को झारखंड में ओरमांझी ब्लॉक के गगाऋ गांव में हुआ था स्वतंत्रा संग्राम 1857 से पहले संथाल विद्रोह ने कर दिया था उनके पिता जगत नाथ बेदिया के मृत्यु के बाद 1857 में अंग्रेजो के खिलाफ विद्रोह में छोटानागपुर क्षेत्र से जीतराम बेदिया सहित टिकैत उमराव सिंह और शेख भिखारी ने संभाला मद्रासी सेना के मेजर मैकडोनाल्ड ने चारों की पकड़ने की योजना बनाई और एक सेना भेजी 8 जनवरी 1858 को शहीद टिकैत उमरांव सिंह और शेख भिखारी तीनों को गिरफ्तार कर लिया गया और फांसी दे दी गई उस समय जीतराम बेदिया अंग्रेजों के नियंत्रण से बाहर थी और आंदोलन को जारी रखा आपने गोरिल्ला युद्ध कला और संगठना टंक कौशल के कारण जनता ने जीतराम का समर्थन किया और कई बार साथियों की मदद से अंग्रेजों पर हमला किया और उनकी नींद उड़ा दी 23 अप्रैल 1858 को मेजर मैकडोनाल्ड की सेना ने गगारी और खटंगा गांव के बीच जीतराम बेदिया और उनके साथियों को घेर लिया आत्मसमर्पण नहीं करते हुए जीतराम बेदिया ने युद्ध जारी रखाजीतराम बेदिया पकड़ी गई और उनके घोड़े के साथ गोली मार दी गई जीतराम बेदिया और उनके घोड़े को एक गड्ढे में दफना दिया गया उसके बाद उस स्थान का नाम बसरगड़ा से घोड़ागढ़ा पड़ गया इस मौके पर महेश बेदिया, डॉक्टर पंकज गुप्ता,पिंटू गुप्ता,रामराज गोंड, लूतन देवी,बंशीधर बेदिया, विजय बेदिया,आलोक सिंह बेदिया,सत्यनारायण गोंड,जयप्रकाश सहित अन्य लोग उपस्थित थे