जीएन कॉन्वेन्ट स्कूल में कला उत्सव का आयोजन
सीबीएसई से मान्यता प्राप्त स्थानीय जीएन कॉन्वेन्ट (10+2) स्कूल में रंगोली बनाओ प्रतियोगिता और कलश सजाओ प्रतियोगिता का आयोजन हुआ जिसमें छात्र - छात्राओं ने बढ़ - चढ़ कर भाग लिया । कार्यक्रम की शुरुआत विद्यालय के निदेशक मदन प्रसाद केशरी एवं प्राचार्य बसंत ठाकुर के द्वारा सम्मलित रूप से द्वीप प्रज्वलित कर दिया गया । अपने संबोधन में निदेशक महोदय ने कहा कि रंगोली भारत की प्राचीन सांस्कृतिक परंपरा लोककला है । अलग - अलग प्रदेशों में रंगोली के नाम और उसकी शैली में भिन्नता हो सकती है लेकिन इसके पीछे निहित भावना और संस्कृति में पर्याप्त समानता है । इसकी यहीं विशेषता इसे विविधता देती है और इसके विभिन्न आयामों को भी प्रदर्शित करती हैं । इस चित्रकला के तीन प्रमुख रूप से मिलते है - भूमि रेखांकन भित्ति चित्र और कागज तथा वस्रों पर चित्रांकन। इसमें सबसे अधिक लोकप्रिय भूमि रेखांकन हैं , जिन्हें अल्पना या रंगोली के रूप में जाना जाता है । इतिहासिक नज़रिये से देखें तो ऐसा माना
जाता है कि भारत में रंगोली का आगमन मोहन जोदड़ो और हड़प्पा सभ्यता से जुड़ा है । हिन्दू धार्मिक मान्यताओं के अनुसार रंगोली महज एक कलात्मक या फिर सजाने वाली वस्तु नहीं है , बल्कि रंगोली की आकृतियां घर से बुरी आत्माओं एवं सुंदर रंग घर में खुशहाली एवं सुख - समृद्धि का दयोतक है । भारत के कई क्षेत्रों में रंगोली बनाते समय कन्याओं द्वारा लोक - गीत भी गाए जाते है ।
रंगोली अपने भव्य रंगो से घर
में सकारात्मक ऊर्जा को आमंत्रित करती है और उसे बाहर नहीं निकलने देती । गौरतलब है कि बदलते वक्त के साथ - साथ रंगोली बनाने की इस लोककला में भी काफी बदलाव आए हैं । लेकिन हकीकत यह भी है कि जमाना चाहे कितना भी बदल जाए , पर आज भी सभी धार्मिक अवसरो पर रंगोली बनाई जाती है जो लोगो की खुशियों में चार चांद लगा देती है ।
विभिन्न समूहों से चयनित छात्र - छात्राओं की सूची :-
कार्यक्रम को सफल बनाने में शिक्षक विनय दूबे , उदय प्रकाश , नरेंद्र सिंहा , खुर्शीद आलम , नीरा शर्मा , मुकेश भारती , राज चौधरी , रिजवाना शाहिन , सुनीता कुमारी , नीलम केशरी , सरिता दुबे , शिवानी कुमारी , संतोष प्रसाद , सुषमा तिवारी की भूमिका सरहानीय रही ।