रोजा रखने का मतलब सिर्फ भूखे-प्यासे रहना नहीं है, बल्कि आंख, कान और जीभ का भी रोजा रखा जाता है:तौकीर - NAGAR-

 श्री बंशीधर नगर- रमजान का पवित्र महीना  चल रहा है. यह महीना मुसलमानों के लिए  बहुत महत्वपूर्ण है. उक्त बातें प्रखंड के प्रसिद्ध व्यवसायी एवं अंजुमन कमेटी के नायब सदर तौकीर आलम ने कहा. उन्होंने कहा कि 

यह महीना इस्लामिक कैलेंडर का नौवां महीना होता है.उन्होंने कहा कि रोजा रखने का मतलब सिर्फ भूखे-प्यासे रहना नहीं है, बल्कि आंख, कान और जीभ का भी रोजा रखा जाता है यानि न बुरा देखें, न बुरा सुनें और न ही बुरा कहें.

इसके साथ ही इस बात का भी ध्यान रखें कि आपके द्वारा बोली गई बातों से किसी की भावनाओं को ठेस न पहुंचे. रमजान के महीने में कुरान पढ़ने का अलग ही महत्व होता है. 

हर दिन की नमाज के अलावा रमजान में रात के वक्त एक विशेष नमाज भी पढ़ी जाती है, जिसे तरावीह कहते हैं. उन्होंने कहा कि रमजान के महीने में जन्नत यानी स्वर्ग के दरवाजे खुल जाते हैं और इस पवित्र महीने में हर दुआ पूरी होती है.उन्होंने कहा कि रमजान के महीने को अल्लाह की रहमतों का महीना माना गया है, यह महीना अल्लाह से करीब का रिश्ता बनाने का  माना जाता है. इस माह में अल्लाह जन्नत के दरवाजे खोल देता है.उन्होंने कहा कि रोजे के दौरान हैसियतमंद मुसलमानों के लिए जकात जरूरी है. जकात के तहत मुसलमानों का अपनी सालाना कमाई का 2.5 फ़ीसदी हिस्सा दान करना पड़ता है. उन्होंने कहा कि जकात के बिना अल्लाह की इबादत कबूल नहीं होती है.




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