विगत 2 दिनों के अंदर चाचा भतीजे की मौत से भंडरिया हड़कंप मंच गया है। जबकि कोरोना के भय से समाज तिलोक संवेदनहीन हो चुके हैं।--रिपोर्ट : ब्रजेश कुमार पाण्डेय

  नतीजा है कि  65 वर्षीय बंधू सिंह का शव पीपीई किट के अभाव में तीस घंटे तक लोगों का बाट जोहता रहा,अंतिम संस्कार के लिए नहीं निकले लोग। सरकार के लाख दावे के बावजूद प्रशासन का भी संवेदनहीन रूप आया सामने। प्राप्त जानकारी के अनुसार प्रखंड मुख्यालय भंडरिया स्थित भीतर भंडरिया एवं जोगियामठ टोले में कोरोना का प्रकोप ज्यादातर घरों तक फैल गया है। हर दुसरे घर में सर्दी, खाँसी व बुखार के मरीज हैं। मरीजों की माने तो स्वास्थ्य कर्मी कि व्यवहार के कारण अस्पताल में जाने पर कोई ध्यान नहीं देता, कुछ लोग जाँच करा भी लें तो रिपोर्ट आने में दस दिन से ज्यादा समय लग जाता है, तबतक मरीज को कोई दवा नही मिलती। दुबारा जाने पर रिपोर्ट अभी नही आया है, ऐसा कहा जाता है। ऐसी स्थिति में बीमारी बढ़ जाती है। ग्रामीणों की मानें तो झोलाछाप डॉक्टर ही वरदान साबित हो रहे हैं, वे घर घर जाकर ईलाज कर देते हैं। इसी क्रम में मंगलवार को 42 वर्षीय दरोगा सिंह पिता जटा सिंह की मौत हो गई, अंतिम संस्कार के पश्चात घर में मायुसी थी ही कि बुधवार को उनके चाचा बंधू सिंह की भी मृत्यु हो गई। घर में बंधू सिंह व उनकी पत्नी ही रहते हैं। कोई संतान साथ में नही हैं। मृत्यु के पश्चात गाँव में सूचना देने के बावजूद कोरोना के भय से अंतिम संस्कार के लिए कोई सामने नही आया। गमगीन अकेली महिला चौबीस घंटे से शव का देखभाल कर रही थी। स्थानीय लोगों ने प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी विजय किशोर रजक को इसकी सूचना दी। जिसपर संवेदनहीनता दिखाते हुए चिकित्सक ने अंतिम संस्कार के लिए भी पीपीई किट देने से इंकार कर दिया। ग्रामीणों का आरोप है कि आपदा के काल में अस्पताल से जुड़े लोगों के परिवार वालों का मृत्यु होने पर दर्जनों पीपीई किट तत्काल मुहैया हो जा रहा है, किन्तु गरीब की मौत होने पर अस्पताल से पीपीई किट नही मिल पाता। पीपीई किट के इंतजार में तीस घंटे से रखा शव भी चिकित्सकों को नही दिखता। वे चेहरा देखकर सेवा देते हैं। पीपीई किट नही मिलने से लोगों में अस्पताल कर्मियों के विरुद्ध घोर नाराजगी है। इसकी सूचना अंचलाधिकारी मदन मोहली को दी गई। अंचलाधिकारी ने 27 मई तक छुट्टी में रहने की बात कही,और बीडीओ से संपर्क करने को कहा। ज्ञात हो कि गढ़वा जिला में भंडरिया प्रखंड कोरोना का हॉटस्पॉट बना हुआ है, बावजूद प्रशासनिक अधिकारी संवेदीनहीनता के साथ लापरवाह बने हुए हैं। घटना की सूचना पाकर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के जिला कार्यवाह नितेश कुमार, समाजसेवी सतीश सिन्हा, देवानंद कुमार व संजय केशरी के द्वारा संयुक्त रूप से पहल करते हुए अंतिम संस्कार के लिए स्थानीय लोगों को तैयार किया गया। साथ ही गढ़वा के युवा समाजसेवी विवेक तिवारी से संपर्क कर सदर अस्पताल से पीपीई किट,मास्क,गलब्स सहित अन्य सामग्री की व्यवस्था कराया गया। इस बाबत स्थानीय सांसद प्रतिनिधि रूपनिरंजन सिन्हा ने चिकित्सक से बात कर पीपीई किट के लिए कहा, किन्तु सीएचसी भंडरिया से किट उपलब्ध नहीं कराने पर नाराजगी जताई। विकास तिवारी के माध्यम से गढ़वा से पीपीई किट आने के पश्चात 30 घंटे बीतने पर शव का अंतिम संस्कार कराया गया। जिसमें गऊँवा विशेश्वर मांझी,बावन सिंह,विजय सिंह,सूर्यदेव सिंह आदि ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाया।

इस बाबत बीडीसी सुशील सिन्हा ने कहा कि सरकार के तरफ से कोरोना काल में स्वास्थ्य विभाग को लगातार सभी आवश्यक सामग्री की आपूर्ति की जा रही है। सांसद प्रतिनिधि,पत्रकार सहित कई लोगों के आग्रह के बाद भी अस्पताल से पीपीई किट उपलब्ध नहीं कराया जाना अत्यंत दुःखद है। 

प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी विजय किशोर रजक ने कहा कि पीपीई किट हमारे पास जरूरत भर ही है। इसलिए हम अस्पताल से नही दे पाएँगे।

बीडीओ बिपिन कुमार भारती ने कहा कि किसी प्रकार मृतक का अंतिम संस्कार करा लें। अस्पताल से पीपीई किट किस स्थिति में नही उपलब्ध कराया गया, यह जाँच कर पता किया जाएगा।



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