भोजपुरी गीत-संगीत एवं रंगकर्म के पर्याय बन गए भिखारी ठाकुर : नीरज श्रीधर 'स्वर्गीय'

                   पंडित हर्ष द्विवेदी कला मंच नवादा, गढ़वा के द्वारा भोजपुरी के विश्व प्रसिद्ध गीतकार,संगीतकार,रंगकर्मी, नाटककार,नाट्य निर्देशक श्रद्धेय भिखारी ठाकुर जी की जयंती स्वर साधना केंद्र गढ़वा में मनाई गई।

                कार्यक्रम का शुभारंभ "वक्रतुंड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ, निर्विघ्नं कुरुमेदेव सर्वकार्येषु सर्वदा। " से हुआ। 

               पंडित हर्ष द्विवेदी कला मंच के निदेशक नीरज श्रीधर 'स्वर्गीय' ने विषय प्रवेश कराते हुए कहा कि भोजपुरी के महान कलाकार भिखारी ठाकुर जी ने जिन परिस्थितियों में रहकर भोजपुरी गीत-संगीत एवं रंगमंच को जो वैश्विक पहचान दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है वह कोई महापुरुष ही कर सकता है। इस दृष्टि से भोजपुरी गीत-संगीत एवं रंगकर्म के पर्याय बन चुके श्रद्धेय भिखारी ठाकुर जी सभी कला साधकों एवं कला प्रेमियों के प्रेरणा स्रोत के रूप में सभी के हृदय में सदैव विद्यमान रहेंगे। 

                 इस अवसर पर डॉक्टर शंभू कुमार तिवारी ने देवभाषा में "अमरवाणी जय जननी..." प्रस्तुत कर भिखारी ठाकुर जी को याद किया। 

                  संजय चौबे 'व्यास' ने माँ सरस्वती की वंदना "चरण नीचे हम बानी शारदा भवानी..." लोकगीत "हँसी हँसी पूछेली ललिता विशाखा..." प्रस्तुत की। 

               लोक गायक, अभिनेता एवं फिल्म निर्माता के रूप में ख्यातिलब्ध प्रेम दीवाना 'व्यास' ने भिखारी ठाकुर की रचना "पिया मोरा गईले रामा पूरबी बनीजिया..." तथा "कमर के दर्द से मुअनी रे माई..." प्रस्तुत की। 

               ज्योतिषी श्याम नारायण पांडेय ने "हँसी हँसी पनवा खियावले बेईमनवा..." गीत प्रस्तुत किया। 

                पवन झारखण्ड नामक उभरते कलाकार ने भिखारी ठाकुर की रचना "जोहत जोहत राह,नैना भइली जलबाह..." की प्रस्तुति दी। 

              तबले पर संगत की संगीत शिक्षक पी•के• मिश्रा  तथा सुंदर राम ने। 

            इस आयोजन में कृष्णा विश्वकर्मा ,रामखेलावन राम , जयप्रकाश राम आदि उपस्थित थे। 

                   कार्यक्रम का समापन "सर्वे भवंतु सुखिनः सर्वे संतु निरामया सर्वे भद्राणि पश्यंतु मा कश्चित् दुःखभागभवेत् । ओम शांतिः शांतिः शांतिः।" के साथ हुआ।






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