डंडई स्थित जल संसाधन विभाग की 86 डिसमिल भूमि की कुछ हिस्सों पर अतिक्रमणकारियों के द्वारा अवैध कब्जा किया गया है। और विभाग मुक्त कराने में असफल है। बताया गया कि उक्त भूमि जल संसाधन विभाग की है। लेकिन उस पर कब्जा किसी और का हो गया है ।वहीं अतिक्रमणकारियों के द्वारा उक्त भूमि को अपने कब्जे में कर उसे दूसरों के हाथों किराया पर लगा दिया गया है ।उक्त भूमि पर फिलहाल ठेला, गुंचा, होटल ,सैलून ,फल , अंडा, सहित दर्जनों से भी अधिक प्रकार कि दुकाने स्थापित हैं । वही उक्त भूमि का मालिक बने लोगों के द्वारा उक्त दुकानदारों से प्रत्येक माह भारी-भरकम राशि की वसूली की जा रही है । उस दौरान उनके द्वारा महज 10 फीट की जगह का 500 से ₹800 रूप तक की राशि प्रत्येक माह के हिसाब से वसूला जा रहा है । उक्त क्रियाकलाप पिछले दस ग्यारह वर्षों से होते आ रहा है । उक्त भूमि पर दुकान लगाए दुकानदारों का कहना है कि हम सभी भू स्वामियों के कहने पर उक्त स्थल पर अपना अपना दुकान लगाएं हैं । वहीं उसके एवज में हम लोगों में किसी से 500 तो किसी से ₹600 से लेकर ₹800 तक प्रत्येक माह की दर से उनके द्वारा किराया वसूला जाता है । साथ ही उन्होंने कहा की ससमय उक्त किराया चुकता नहीं करने पर उनके द्वारा अस्थल खाली कर देने की बार बार धमकी भी दी जाने लगती है । मजबूरन हम लोगों को उनके कहे अनुसार किराया प्रत्येक माह चुकता करना पड़ता है ।
ग्रामीणों ने बताया कि एसडीओ जियाउल अंसारी की उपस्थिति में मापी शुरू गई बाजार समिति की भूमि के दौरान जल संसाधन विभाग के भूमि को अतिक्रमण होने का मामला सार्वजनिक हुआ था ।उस दौरान उक्त भूमि की मापी किए अमीन हरिनारायण सिंह के द्वारा जल संसाधन विभाग के भूमि को 86 डिसमिल रकबा होने की बात कही गई थी । बताया गया कि एक ओर जहां अभियान के तहत सरकारी भूमि को अतिक्रमण मुक्त कराया जा रहा है । वहीं विभाग अब तक अपनी भूमि से बेखबर बना हुआ है । साथ ही ग्रामीणों ने जानकारी देते हुए बताया कि उक्त मामला से बेखबर हुए विभाग अगर अपनी भूमि को कब्जे में कर उस पर कमरों का निर्माण करा देती तो उससे सरकार के राजस्व में बहुत बड़ा फायदा पहुंच जाता है।