जंगल और पहाड़ी के बीच बसा हुआ चकरी गांव आज भी विकास का बाट जोह रहा । चकरी गांव के लगभग 50 घर की आबादी मूलभूत सुविधाओं से काफी दूर है। पहाड़ की गोद में बसा हुआ इस गांव के लोग देश आजादी के आज तक पेयजल, सड़क ,शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधा से वंचित है। आजादी के 72 साल बाद भी इस गांव में विकास की किरण नहीं पहुंची । चकरी गांव के दक्षिण दिशा में निवास करने वाले आदिम जनजाति के लोगों को आवागमन हेतु सड़क के नाम पर पगडंडी ही नसीब है। आदिम जनजाति बस्तियों से मुख्य सड़क तक आवागमन के लिए कोई भी सड़क नहीं है। लोग नदी नाला पार कर पगडंडी के रास्ते मुख्य सड़क पर पहुंचते हैं। वहीं पेयजल के लिए इस गांव के लोग नदी और कुआं का सहारा लेते हैं ।गांव में चापाकल ,जल मीनार सहित अन्य पेयजल की सरकारी व्यवस्थाएं नदारद है। लोग झोपड़ीनुमा छोटे-छोटे प्लास्टिक युक्त खपरैल घरों में निवास करने को मजबूर हैं।साथ ही बच्चों की शिक्षा दीक्षा के लिए चकरी गांव में एक भी विद्यालय अवस्थित नहीं है। जिसका नतीजा है कि गांव में कोई भी व्यक्ति पढ़े-लिखे नहीं है और आज के नौनिहाल बच्चे भी शिक्षा से काफी दूर है। इस गांव के दक्षिण भाग को अवलोकन करने पर दो दशक पूर्व बना हुआ सिर्फ बिरसा आवास विकास के नाम पर देखा जा सकता है। वह भी पूरी तरह से ध्वस्त के कगार पर दिखाई देगा।इस गांव में प्रधानमंत्री आवास के नाम पर एक भी आवास नहीं बना है ।वही 50 घरों में से लगभग 25 घरों को ही राशन और पेंशन मिलता है। लिहाजा यह हैै कि यहांं के आदिम जनजाति ग्रामीण पेयजल, सड़क ,शिक्षा ,स्वास्थ्य जैसी मूलभूत सुविधाओं के मोहताज हैं।
ग्रामीण मोती कोरवा व विनोद कोरवा ने बताया कि बस्ती से मेन सड़क तक जाने के लिए कोई भी कच्ची पक्की सड़क नहीं है।हम लोग नदी नाला पार कर किसी तरह से पगडंडी के सहारे ही मुख्य सड़क तक जाते हैं बताया कि किसी को सीरियस तबियत बिगड़ने पर सड़क के अभाव में उसकी जान भी चली जाती है। वही शादी विवाह में हम लोग साइकिल के भरोसे दूल्हा-दुल्हन को मुख्य सड़क तक लाते ले जाते हैं।
ग्रामीण महिला ललिता देवी, विद्यांचली देवी, सुबचनी देवी, फूलमती देवी ने बताया कि जब से हमारी शादी हुई है तब से हम लोग नदी और कुआं का पानी पी रहे हैं। गांव में एक भी जल मीनार और ना ही कोई चापाकल है। मजबूरन हम लोग कुआं का ही पानी सेवन करते आ रहे हैं।
ग्रामीण फुलवंती देवी, फुलपतिया देवी, सीलोचन कोरवा, कलावती देवी सहित अन्य ने बताया कि हमारी उम्र 60 वर्ष से ऊपर ढल चुकी है फिर भी हम लोगों को वृद्धा पेंशन और ना ही अन्य प्रकार के पेंशन मिलता है जिससे घर परिवार को चलाने में भारी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। बताया कि गांव के अधिकतर बुजुर्गों को वृद्धा पेंशन नहीं मिलता है।