पोषण माह के तहत अन्नप्राशन गोद भराई, वजन लंबाई ,ऊंचाई तथा पोषण वाटिका कार्यक्रम किया गया।

 नगर उंटारी परियोजना में पोषण माह के तहत अन्नप्राशन गोद भराई, वजन लंबाई ,ऊंचाई तथा पोषण वाटिका कार्यक्रम किया गया।"राष्ट्रीय पोषण माह" के तहत "पोषण जागरूकता अभियान" कार्यक्रम आयोजित कि गई। पोषण अभियान की थीम "संतुलित भोजन, स्वस्थ जीवन"है। अभियान में सहिया एवं सेविका ने बताया कि बालिकाओं के लिए किशोरावस्था में पोषण का अत्यधिक महत्व बढ़ जाता है क्योंकि इस दौरान उनके शरीर में अनेक प्रकार के परिवर्तन होते हैं। किशोरियों को प्रतिदिन लगभग 2200 कैलोरी की आवश्यकता होती है साथ ही उनको शारीरिक व मानसिक विकास को बढ़ावा देने के लिए विटामिन, कैल्शियम, आयरन, जैसे पोषक तत्वों की जरूरत होती है। संतुलित आहार से तात्पर्य उन सभी खाद्य पदार्थों से हैं जो शरीर में जरूरी पोषक तत्वों की पूर्ति करें तथा खाने की मात्रा और सही समय भी बहुत जरूरी होता है। किशोरियों को कैल्शियम,विटामिन ,फाइबर तथा ऐसे जरूरी पोषक तत्व, फल सब्जियां तथा अनाज से मिल सकते हैं इससे उनका शारीरिक तथा मानसिक विकास उचित प्रकार से होता है। सब्ज़ियों का हमारे स्वस्थ जीवन में बहुत बड़ा योगदान है। सब्ज़ियों के नियमित सेवन से हमारा स्वास्थ्य तथा शरीर की आंतरिक प्रणाली मज़बूत होती है। सब्ज़ियों के उचित सेवन से हमारी पाचन शक्ति बढ़ती है। नारंगी और पीले रंग की सब्ज़ियां तथा मीठे आलू, गाजर, खुबानी ये सभी विटामिन-सी कि मात्रा से भरपूर होते हैं। जो हमारी त्वचा के विकास और सुंदरता के लिए बहुत ही लाभदायक होते हैं। लाल  रंग की सब्ज़ियां जैसे टमाटर, लाल मिर्च, लाल प्याज और फल पपीता लाइकोपीन से भरपूर होते हैं जो हमारे त्वचा कि रक्षा करते हैं तथा उन्हें हानिकारक किरणों से भी बचाते हैं। पोषण थाली एवम् पोषण माला के विषय में बताया गया। पांच  परिवार को न्यूनतम आवश्यक सब्जी एवं स्थानीय फलों की प्राप्ति हेतु पोषण वाटिका माॅडल को गांव में स्थापित करने के लिए प्रेरित किया गया। क्षेत्र में किचन गार्डेन में उगने वाली मौसमी सब्जियां जैसे चुकंदर, मूली, बैंगन, गोभी, टमाटर, सहजन आदि लगा कर परिवार के पोषण पर ध्यान दिया जा सकता है। महिलाओं व किशोरियों के अच्छे स्वास्थ्य के लिए हीमोग्लोबीन का बहुत महत्व है। इसकी कमी से शरीर का स्वास्थ्य गिरता है। इसी के निमित्त बताया गया  कि चौलाई खाने से भूख बढ़ती है तथा कब्ज व पेट की समस्या दूर होती है। चौलाई का नियमित सेवन खून में आयरन की बढ़ोतरी करता है। हाथ, पैर व तलवों में जलन होने पर इसके रस में थोड़ी शक्कर मिलाकर पीने से लाभ मिलता है और  आंखों के लिए फायदेमंद है। 

कार्यक्रम के अन्त में  पौधे वितरित किया गया। किशोरी एवं महिलाओं ने पौधे का रोपण किया। स्वच्छता और साफ-सफाई का ध्यान रखते हुए अपनी स्वच्छता सुनिश्चित करने की बात कही गई। साबुन से हाथ धोने एवं बच्चों  को साफ सफाई का ध्यान रखने की बात कही गई ।






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