दुमका, 14 सितंबर। महाराष्ट्र के बाद झारखंड में भी पत्रकार सुरक्षित महसूस नहीं कर रहे है। आये दिन लोकतंत्र के चौथे स्तंभ कहे जाने वाले पत्रकार बेइज्जत हो रहे है। सरकारी बाबुओं का मनोबल महाराष्ट्र में ही नहीं झारखंड में भी सर चढ़ नाच रहा है। सोमवार को सीएम हेमंत के दुमका आगमन के साथ ही उपराजधानी की राजनीति हलचले तेज हो गई है। दुमका उपचुनाव की सरगर्मी का उबाल नेता, बुद्धिजीवि एवं पत्रकारो में भी आसानी से भांपी जा सकती है है। वाकया दुमका राजभवन मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के पहुंचने पर घटी। जहां सीएम सोरेन का बुद्धिजिवियों के साथ राजभवन में संवाद कार्यक्रम था। वहीं बुद्धिजिवियों में वरीष्ठ अधिवक्ता सह पत्रकार शिवशंकर चौधरी पहुंचे। जहां उन्हें राजभवन में बुद्धिजीवियों के सीएम के साथ हो रहे संवाद में भाग लेना था। श्री चौधरी के प्रवेश होने पर व्यवस्था में लगे झारखंड शिक्षा परियोजना के कर्मी मनोज अंबष्ट ने बदसलूकी करते हुए धक्का मार पीछे धकेल दिया।
प्रत्यक्षदर्शियों की माने तो छाति पर हाथ डाल जाने को पीछे धकेला। यह देख पत्रकारों में विभागीय कर्मी द्वारा किए गए व्यवहार को लेकर क्षोभ व्याप्त है। सीएम से ऐसे कर्मी पर कार्रवाई की मांग पत्रकारों ने किया है। यहां बता दें कि आरोपी शिक्षा विभाग कर्मी का पत्रकारों के साथ बदसलूकी का यह पहला मामला नहीं है। इससे पहले भी चौथे स्तंभ से चार बार बदसलूकी कर चुके है। जिसकी शिकायत पहले भी की जा चुकी है। घटना में पत्रकारों विरोध प्रदर्शन सोशल मीडिया में तस्वीर वायरल होने पर कार्रवाई की मांग भी उठने लगी। हालांकि मामला तूल पकड़ता देख सीएम की बैठक में बुद्धिजीवि सह पत्रकार को बुलाया गया। जिसके बाद कुछ पत्रकार ही बैठक में जा सके। कुछ वरीष्ठ पत्रकार फिर बाहर ही रह गये। तब तक बैठक संपन्न हो चुकी थी। अब देखना यह है कि पत्रकार के खिलाफ बदसलूकी करने का आरोपी कर्मी पर कार्रवाई होती है या फिर अन्य मामलों के तरह भी नजर अंदाज कर दिया जाता है।
आरोपी कर्मी कई आरोप पहले भी लग चुके है और शिक्षा मंत्री द्वारा संताल परगना क्षेत्रीय शिक्षा उपनिदेशक को जांच कर कार्रवाई करने का आदेश भी दिया गया है।