महर्षि वाल्मीकि और गोस्वामी तुलसीदास की परम्परा के वाहक थे रामानन्द सागर : नीरज श्रीधर स्वर्गीय Garhwa

महर्षि वाल्मीकि और गोस्वामी तुलसीदास की परम्परा के वाहक थे रामानन्द सागर : नीरज श्रीधर स्वर्गीय
कला एवं समाज सेवा को समर्पित संस्था पंडित हर्ष द्विवेदी कला मंच , नवादा (गढ़वा) के द्वारा महर्षि वाल्मीकि जी और गोस्वामी तुलसीदास जी की परंपरा के वाहक सुविख्यात लेखक , निर्माता व निर्देशक श्रद्धेय रामानंद सागर जी की जयंती स्थानीय मेलोडी मंडप , गढ़वा में मनाई गई।
               उपस्थित जनों द्वारा श्रद्धेय रामानन्द सागर जी के चित्र के समक्ष पुष्पार्चन किया गया। 
    
               विषय प्रवेश कराते हुए मंच के निदेशक नीरज श्रीधर स्वर्गीय ने कहा कि महर्षि वाल्मीकि जी ने रामकथा को संस्कृत में लिखकर जग कल्याणार्थ प्रस्तुत किया। कालांतर में उसी रामकथा को जनसामान्य की भाषा में लिखकर गोस्वामी तुलसीदास जी ने मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम के चरित्र को घर-घर तक पहुँचाने का पुनीत कार्य किया। जब जनसंचार का प्रमुख माध्यम दूरदर्शन बन रहा था तभी वैश्विक स्तर तक राम कथा को पहुँचाने का महत्वपूर्ण कार्य कलाजयी धारावाहिक रामायण के माध्यम से रामानन्द सागर जी ने किया।इस आधार पर हम कह सकते हैं कि सर्व श्रद्धेय महर्षि वाल्मीकि एवं गोस्वामी तुलसीदास की परंपरा के वाहक थे रामानन्द सागर।
                    कलाप्रेमी श्रवण शुक्ला जी ने कहा कि पंडित हर्ष द्विवेदी कला मंच द्वारा वर्तमान समय के गोस्वामी तुलसीदास जी के रूप में सुविख्यात रामानन्द सागर जी की जयंती मनाना सराहनीय कार्य है।विभिन्न प्रकार की समस्याओं को झेलते हुए जिस प्रकार से श्रद्धेय रामानन्द सागर ने रामायण धारावाहिक का निर्माण किया वह सभी के लिए प्रेरणाप्रद है। वैश्विक महामारी कोरोना काल में जब रामायण धारावाहिक का प्रदर्शन किया गया तो उसने लोगों को स्वतः होम क्वॉरेंटाइन रहने में मदद करने के साथ-साथ विश्व कीर्तिमान भी स्थापित किया।
                     ज्योतिषाचार्य श्याम नारायण पांडेय ने कहा कि रामानंद सागर बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे। उनके कृत्यों को जन-जन तक पहुँचाने का जो कार्य पंडित हर्ष द्विवेदी कला मंच के माध्यम से किया जा रहा है वह अत्यंत प्रशंसनीय है।
                    संगीत शिक्षक पी.के. मिश्रा ने कहा कि श्रद्धेय रामानन्द सागर ने इस जग को जो दिया है वह अतुल्य है। उन्होंने अपने कालजयी धारावाहिक रामायण के निर्माण से यह सिद्ध कर दिया कि कला मानव के कल्याण के लिए किस प्रकार से उपयोगी हो सकती है।
                    नवोदित कवि सौरभ कुमार तिवारी ने "हम कथा सुनाते हैं राम सकल गुणधाम की, यह रामायण है पुण्य कथा श्रीराम की..." प्रस्तुत किया।
                    आयोजन को सफल बनाने में दयाशंकर गुप्ता , श्याम नारायण पांडेय, कुमार गौरव गर्ग आदि का महत्वपूर्ण योगदान रहा।
                   कुमार गौरव गर्ग द्वारा  "सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामया:, सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चित् दु:ख भाग भवेत् । ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः।" का पाठ कर आयोजन का समापन कराया गया।

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