गढ़वा से विकास कुमार की रिपोर्ट
गुरुजी का निधन, पार्टी और राज्य के लिए अपूरणीय क्षति, उनकी जीवनी को पाठ्यक्रम में जोड़ा जाए - धीरज दुबे
झारखंड आंदोलन के प्रणेता और झारखंड मुक्ति मोर्चा के संस्थापक संरक्षक दिशोम गुरु शिबू सोरेन के निधन पर झामुमो मिडिया पैनलिस्ट सह केंद्रीय सदस्य धीरज दुबे ने गहरा शोक व्यक्त किया है। उन्होंने कहा कि गुरुजी का जीवन संघर्ष, साहस और समाज के प्रति समर्पण की मिसाल है। गुरुजी ने झारखंड राज्य के निर्माण के लिए जो संघर्ष किया, वह इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में लिखा जाएगा।
उनके विचार और योगदान को नई पीढ़ी तक पहुँचाना अत्यंत आवश्यक है, इसलिए उनकी जीवनी को स्कूली और उच्च शिक्षा के पाठ्यक्रम में शामिल किया जाना चाहिए।
धीरज दुबे ने कहा कि गुरुजी केवल एक राजनेता नहीं थे, वे झारखंड की आत्मा थे। उन्होंने जल, जंगल, जमीन की रक्षा के लिए संघर्ष किया और आदिवासी अस्मिता को राष्ट्रीय मंच पर पहचान दिलाई। जिस तरह महापुरुषों के जीवन प्रसंग बच्चों को विद्यालयों में पढ़ाए जाते हैं, उसी तरह शिबू सोरेन के विचार और संघर्ष की गाथा भी छात्रों को पढ़ाई जानी चाहिए, ताकि वे अपने इतिहास और संस्कृति से जुड़ सकें।
धीरज ने कहा कि गुरुजी का जीवन केवल झारखंड तक सीमित नहीं रहा, बल्कि उन्होंने पूरे देश में हाशिए पर पड़े समाजों के लिए आवाज़ उठाई। चाहे संसद में जनहित की लड़ाई हो या झारखंड में आदिवासी अधिकारों की बात, उन्होंने हमेशा जनता का पक्ष मजबूती से रखा।
उन्होंने राज्य सरकार और शिक्षा विभाग से अपील की कि गुरुजी के जीवन पर आधारित सामग्री तैयार कर उसे पाठ्यक्रम में शामिल किया जाए। यह पहल छात्रों को प्रेरित करने के साथ-साथ झारखंडी अस्मिता को सशक्त बनाने का कार्य करेगी।
गुरुजी का योगदान हमेशा अमर रहेगा और उन्हें सच्ची श्रद्धांजलि यही होगी कि आने वाली पीढ़ियाँ उनके संघर्षों से सीखें और समाज के लिए सकारात्मक बदलाव का हिस्सा बनें।