मानव तस्करी, बाल मजदूरी और बाल विवाह के विरुद्ध एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन
गढ़वा। अंतरराज्य प्रवासी श्रमिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने तथा मानव तस्करी, बाल मजदूरी और बाल विवाह जैसे गंभीर सामाजिक मुद्दों पर जन-जागरूकता बढ़ाने और समुचित कार्रवाई सुनिश्चित करने के उद्देश्य से जिला विधिक सेवा प्राधिकरण (डालसा), गढ़वा एवं जन साहस (JAN SAHAS) के संयुक्त तत्वावधान में एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन सेमिनार हॉल, जिला विधिक सेवा प्राधिकार, गढ़वा में किया गया।
इस कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य समाज के कमजोर और वंचित वर्गों के अधिकारों की रक्षा करना तथा प्रवासी श्रमिकों को सुरक्षित, सम्मानजनक वातावरण प्रदान करना रहा। कार्यक्रम में यह स्पष्ट रूप से रेखांकित किया गया कि पलायन की प्रक्रिया के दौरान विशेष रूप से महिलाएं और बच्चे मानव तस्करी, शोषण, बाल श्रम एवं बाल विवाह जैसी अमानवीय परिस्थितियों का शिकार बनते हैं।
कार्यशाला के दौरान जिले में विभिन्न विभागों के समन्वय से किए जा रहे रोकथाम, मुक्ति और पुनर्वास से संबंधित योजनाओं एवं प्रयासों की भी जानकारी दी गई। इसमें यह बताया गया कि कैसे शिक्षा विभाग, श्रम विभाग, समाज कल्याण विभाग, पुलिस प्रशासन, स्वास्थ्य विभाग, और अन्य संस्थान आपसी समन्वय से इस दिशा में कार्य कर रहे हैं।
प्रमुख वक्ताओं में जिला विधिक सेवा प्राधिकरण (डालसा) के सचिव सुश्री निभा रंजन लकड़ा , श्रम अधीक्षक संजय आनंद सहित अन्य अधिकारी उपस्थित रहे, जिन्होंने अपने विचार साझा किए और इन समस्याओं के समाधान हेतु कानूनी एवं प्रशासनिक उपायों की विस्तृत जानकारी दी।
इस अवसर पर उपस्थित सामाजिक कार्यकर्ताओं, विधिक विशेषज्ञों एवं विभागीय प्रतिनिधियों ने समाज के सबसे कमजोर वर्गों तक सहायता पहुंचाने, जागरूकता फैलाने, तथा त्वरित कार्रवाई सुनिश्चित करने पर बल दिया। कार्यशाला में यह भी चर्चा हुई कि स्थानीय स्तर पर संरक्षण तंत्र को कैसे और प्रभावी बनाया जा सकता है।
जन साहस द्वारा प्रस्तुत जिले की रिपोर्ट में यह दर्शाया गया कि गढ़वा के विभिन्न प्रखंडों में कितने परिवारों का पंजीकरण किया गया है, कितने प्रवासी मजदूरों को सहायता मिली है और हेल्पलाइन(18002000211) व रेस्क्यू टीमों के माध्यम से अब तक कितने मामलों में कार्रवाई की गई है।
यह कार्यशाला जिला स्तर पर मानवाधिकार संरक्षण, श्रमिकों की सुरक्षा, बाल अधिकारों की रक्षा एवं बाल विवाह जैसी कुप्रथाओं को समाप्त करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल रही, जो भविष्य में जिला प्रशासन और जन संगठनों के बीच बेहतर समन्वय को बढ़ावा देगी।