फोटो 02 : पार्थिव शरीर के आने की इंतजार में खड़े ग्रामीण
साकेत मिश्रा की रिर्पोट
हरिहरपुर। मंगलवार की शाम कांडी प्रखंड के मझिगावां पंचायत स्थित पोखरा टोला में उस समय मातम छा गया, जब बेंगलुरु से मजदूरी करने गए संतोष यादव का शव ताबूत में बंद होकर गांव पहुंचा। संतोष की असामयिक मौत की खबर ने पूरे गांव को गमगीन कर दिया। बताया जाता है कि 35 वर्षीय संतोष यादव, पिता कामेश्वर यादव, रोज़ी-रोटी के लिए बेंगलुरु के सरजापुर क्षेत्र स्थित एक नंदीरा निर्माण कंपनी में मजदूरी कर रहा था। शनिवार को कार्य के दौरान वह छः मंजिला ऊंची इमारत से नीचे गिर गया, जिससे उसके शरीर के कई हिस्सों में गंभीर चोटें आईं और अत्यधिक रक्तस्राव हुआ। इलाज के लिए ले जाते समय रास्ते में ही उसकी मृत्यु हो गई।
परिजनों को घटना की सूचना मिलते ही पूरे गांव में कोहराम मच गया। मृतक के बूढ़े माता-पिता व पत्नी ने बेंगलुरु जाकर कानूनी प्रक्रिया पूरी की और मंगलवार देर शाम उसका पार्थिव शरीर ताबूत में लेकर गांव लौटे। शव पहुंचते ही गांव में मातमी सन्नाटा छा गया और सैकड़ों की संख्या में ग्रामीण अंतिम दर्शन के लिए जुट गए। मृतक संतोष अपने पीछे वृद्ध माता-पिता, पत्नी, दो पुत्र व एक पुत्री को छोड़ गया है। अब परिवार की पूरी जिम्मेदारी वृद्ध पिता कामेश्वर यादव पर आ गई है। घटना की सूचना मिलते ही पंचायत के मुखिया प्रतिनिधि शंभूनाथ शाह, उपमुखिया श्रवण पासवान बीडीसी प्रतिनिधि सुनील यादव, वार्ड सदस्य सत्य।प्रकाश चौबे समेत कई जनप्रतिनिधियों ने शोक-संतप्त परिवार से मुलाकात कर उन्हें ढांढस बंधाया।
मुखिया प्रतिनिधि ने हरसंभव मदद का आश्वासन भी दिया। संतोष यादव का अंतिम संस्कार मंगलवार की शाम सोन नदी के श्रीनगर घाट पर किया गया। अब सवाल यह उठता है कि आखिर कब तक ही ऐसे ताबूत में बंद करके युवाओं के शव आते रहेंगे।