मजदूर का पसीना सूखने से पहले मिल जानी चाहिए मजदूरी, यहां 57 दिनों में भी नहीं मिली मजदूरी Kandi

मजदूर का पसीना सूखने से पहले मिल जानी चाहिए  मजदूरी, यहां 57 दिनों में भी नहीं मिली मजदूरी
फोटो : ड्यूटी करनेवाली महिला शिक्षिकाएं।

कांडी : काम करने वाले का पसीना
सूखने से पहले उसकी मजदूरी मिल जानी चाहिए। लेकिन यहां काम करने के 57 दिन के बाद भी मजदूरी का कहीं आता-पता नहीं है। यह मामला है पलामू एवं गढ़वा दो जिले में बंटे 77 विश्रामपुर विधानसभा क्षेत्र का। यह एक प्रसिद्ध दार्शनिक का कहा हुआ है कि काम करने वालों को उसकी मजदूरी तुरंत मिल जानी चाहिए। लेकिन यहां एक मामला प्रकाश में आया है कि 77 विश्रामपुर विधानसभा क्षेत्र में बिल्कुल शॉर्ट नोटिस पर महिलाओं से चुनाव में काम लिया गया है। लेकिन उस काम के एवज में उन्हें एक महीना 27 दिन बीत जाने के बाद भी पारिश्रमिक का कोई भुगतान नहीं किया गया। काम भी वैसा लिया गया कि महिलाओं से भी ड्यूटी ली जाएगी इसकी कभी कोई सूचना उन्हें नहीं दी गई। इतना ही नहीं चुनाव कर्मियों को संबंधित कार्य का कई बार प्रशिक्षण दिया जाता है। लेकिन इन महिला शिक्षिकाओं को एक दिन भी कोई प्रशिक्षण नहीं दिया गया। लेकिन अंतिम क्षणों में 12 नवंबर के दोपहर बाद 2 - 3:00 बजे मोबाइल फोन पर  सूचना दी गई कि आपकी भी चुनाव में ड्यूटी लगी है। अमुक प्रखंड में तत्काल ज्वॉइन करें। अभी स्थिति ऐसी थी कि वहां पहुंचने का भाड़े का कोई साधन उपलब्ध नहीं था। कहा जाता है कि चुनाव एवं जनगणना में नौकरी बच गई तो बच गई। इसी डर के मारे तमाम महिला शिक्षिकाओं ने गाड़ी रिज़र्व कर करके संबंधित प्रखंड में देर शाम तक जा जाकर ज्वाइन किया। इस प्रकार पर्दा नशीन 28 मतदान केदों पर 56 महिला मतदान पदाधिकारी ने उक्त केदो पर पूरे दिन ड्यूटी की। एक केंद्र पर दो शिक्षिकाओं की पोलिंग अफसर 2 एवं 3 के रूप में ड्यूटी लगाई गई थी। जबकि 7 जोड़ी यानी 14 शिक्षिकाओं को रिजर्व में रखा गया था। इस प्रकार कुल 70 शिक्षिकाओं की ड्यूटी लगी थी। अगली सुबह मॉक पोल से 1 घंटा पहले उन्हे मतदान केंद्र पर पहुंच जाना था। उन्होंने ऐसा ही किया भी। पूरे दिन मतदान केंद्र पर ड्यूटी करके कुछ महिलाएं देर रात तक घर पहुंच पाईं। शेष को प्रखंड मुख्यालय में ही रुक जाना पड़ा। दूसरे दिन वह अपने विद्यालय की ड्यूटी पर पहुंच सकीं। अभी स्थिति यह है कि अभी तक इस कार्य के एवज में सरकार के द्वारा निर्धारित पारिश्रमिक का उनका भुगतान नहीं किया गया है। लिहाजा गाड़ी रिज़र्व करके जाने आने का खर्च भी या तो अपने से देना पड़ा है या उधार पड़ा है। इस संबंध में कई शिक्षिकाओं ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि इस समस्या का समाधान कराने में वह मीडिया का सहयोग लेना चाहती हैं। स्थानीय स्तर पर बात करें तो कांडी प्रखंड से 8 शिक्षिकाओं की ड्यूटी लगी थी। जिनमें से 6 को प्रति महिला 1500 रुपए अपने पॉकेट से बीडीओ ने 7 जनवरी को भुगतान किया है। जबकि मझिआंव एवं बरडीहा प्रखंड में ड्यूटी करने वाली 26 महिला शिक्षिकाओं एवं कांडी की शेष दो शिक्षिकाओं का भुगतान लंबित पड़ा है। 

क्या कहा जिला चुनाव पदाधिकारी पलामू ने :- इस विषय में पलामू के जिला निर्वाचन पदाधिकारी प्रभारी उदय रजक ने कहा कि भुगतान के विषय में जिला उप निर्वाचन पदाधिकारी उदय रजक ने कहा कि वह सहायक निर्वाचन पदाधिकारी और ड्यूटी करने वाली महिलाओं के विभाग से डिटेल मंगाएंगे इसके बाद भुगतान करने का प्रयास किया जाएगा।

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