प्रतियोगी परीक्षा विधेयक मेहनती अभ्यर्थियों के पक्ष में
*भाजपा कदाचार और भ्रष्टाचार की पक्षधर - झामुमो*
झारखंड मुक्ति मोर्चा के प्रवक्ता धीरज दुबे ने भारतीय जनता पार्टी के द्वारा प्रतियोगी परीक्षा विधेयक का विरोध को बेतुका और बेबुनियाद बताया, उन्होंने बताया कि भाजपा अपने व्यवहार के अनुरूप पुनः लोगो को बरगलाने का काम कर रही हैं। जबकि यह विधेयक गुजरात, ऊतर प्रदेश और उत्तराखंड पहले से लागू है। ऐसे में झारखंड में भाजपा के विरोध से साफ जाहिर होता है कि भारतीय जनता पार्टी कदाचार और भ्रष्टाचार की पक्षधर है। प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी करने वाले छात्रों के सुनहरे भविष्य के लिए यह विधेयक अति आवश्यक है क्योंकि यह विधेयक अब परीक्षाओं में होने वाली नकल और अनुचित साधनों के उपयोग और अनियमितताओं पर नकेल कसने का एक कारगर उपाय साबित होगा। 17 वर्ष तक झारखंड में शासन करने वाली भाजपा के कार्यकाल के दौरान कई परीक्षाओं में पेपर लीक होने, परीक्षा में सेटिंग तथा परीक्षा केंद्रों पर अनियमितता का मामला सामने आया, संबंधित कई मामले न्यायालय तक पहुंचे परंतु पूरे जनजालों में नुकसान सिर्फ यहां के मेहनती छात्रों एवं अभ्यर्थियों का ही हुआ।
वर्ष 2009 में तत्कालीन राज्यपाल सैयद सिब्ते रजी ने प्रथम तथा द्वितीय सिविल सेवा परीक्षा सहित दर्जन भर परीक्षाओं की जंच का जिम्मा निगरानी को सौंपा. निगरानी ब्यूरो की ओर से प्रथम और द्वितीय सिविल सेवा परीक्षा में की गई धांधली की जांच रिपोर्ट सरकार को सौंपी गयी. लेकिन तत्कालीन अर्जुन मुंडा सरकार ने निगरानी रिपोर्ट पर कार्यवाही करने के बजाय उसे ठंडे बस्ते में डाल दिया. इस बीच झारखंड विधानसभा में जेपीएससी द्वारा ली गयी परीक्षाओं की सीबीआई जांच का मुद्दा भी उठा, लेकिन सदन में तत्कालीन सरकार ने सीबीआई जांच से इनकार कर दिया. इसके बाद झारखंड उच्च न्यायालय ने अगस्त 2012 में जेपीएससी द्वारा ली गयी प्रथम व द्वितीय सिविल सेवा परीक्षा सहित दर्जनों परीक्षा की जांच सीबीआई से कराने का आदेश जारी किया साथ ही कोर्ट द्वारा द्वितीय सिविल सेवा के 166 अफसरों के काम करने और वेतन लेने पर भी रोक लगा दी थी.
हेमंत सरकार द्वारा झारखंड विधानसभा में पारित प्रतियोगी परीक्षा विधेयक के प्रावधानों के अनुसार अगर परीक्षार्थी पहली बार नकल करता है तो 1 साल की सजा और 5 साल का जुर्मान दूसरी बार नकल करता है तो उसे तीन साल की सजा होगी। इसमें जुर्माने की राशि दस लाख रुपये है। जुर्माने की राशि नहीं देने पर तीस माह की अतिरिक्त सजा। परीक्षा संचालन के लिए अनुबंधित व्यक्ति, प्रिंटिंग प्रेस उसके कर्मी, परीक्षा प्राधिकरण का कोई कर्मी कोचिंग संस्था या अन्य कोई संस्था साजिश के तहत गोपनीयता भंग करता है तो उसे दस साल से लेकर आजीवन कारावास तक की सजा व दो करोड़ रुपये से लेकर दस करोड़ रुपये तक का जुर्माना लगेगा। ऐसे में जुर्माने की रकम नहीं देने पर तीन वर्ष तक अतिरिक्त जेल। अगर कोई व्यक्ति संगठित अपराध में परीक्षा प्राधिकरण के साथ साजिश करता है। उसे भी दस साल से लेकर आजीवन कारावास तक की सजा होगी। उसपर भी दो करोड़ का जुर्माना लगेगा। जुर्माने की राशि का भुगतान नहीं करने पर तीन वर्ष का अतिरिक्त जेल। कई व्यक्ति, प्रिंटिंग प्रेस, परीक्षा संचालन के लिए अनुबंधित है और वह प्रतियोगिता परीक्षा के प्रश्न पत्रों की किसी भी समय परीक्षा समाप्त होने के पूर्व या उसके बाद चोरी, जबरन वसूली, लूट में शामिल रहता है। ओएमआर शीट को नष्ट करता है तो उसे सात से दस वर्ष की सजा और जुर्माने में एक करोड़ रुपये से दो करोड़ रुपये तक का प्रविधान किया गया है। उसे जुर्माने की राशि नहीं देने पर तीन वर्ष की अतिरिक्त कारावास की सजा काटनी होगी। किसी परीक्षार्थी पर चार्जशीट होती है तो उसपर चार्जशीट की तिथि से दो से पांच वर्ष तक तथा दोष सिद्ध होने पर दस वर्ष के लिए सभी प्रतियोगिता परीक्षा में शामिल होने पर प्रतिबंध होगा, अगर उसी परीक्षार्थी पर उसी मामले में दोबारा चार्जशीट होती है तो उसे पांच से दस वर्ष की सजा और दोष साबित होने पर प्रतियोगी परीक्षाओं में बैठने पर आजीवन प्रतिबंध लगेगा।